
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में 25 जुलाई 2025 को एक बड़ा हादसा हुआ. भारी बारिश के कारण गांव के एकमात्र प्राथमिक विद्यालय की छत गिर गई. इस दर्दनाक घटना में 7 बच्चों की मौत हो गई और 21 बच्चे घायल हो गए. हादसे के बाद स्कूल की इमारत पूरी तरह जर्जर हो गई, जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई बंद हो गई.
गरीब किसान ने उठाया अनोखा कदम
पिपलोदी गांव के 60 वर्षीय मोर सिंह ने अपने जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति, अपना पक्का पुश्तैनी मकान बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग को दे दिया. वह एक गरीब किसान और खेतिहर मजदूर हैं. मोर सिंह ने बिना किसी औपचारिक घोषणा, पंचायत या सभा के निर्णय लिया. उन्होंने केवल अपने परिवार से कहा कि वे मकान छोड़ देंगे और खेत के पास तिरपाल की झोपड़ी में रहने लगेंगे.
झोपड़ी में रहकर दूसरों के बच्चों के लिए बनाया स्कूल
मोर सिंह का परिवार 8 सदस्यों का है, जिसमें उनका 2 साल का पोता भी शामिल है. 2008 से 2012 के बीच चार साल की मेहनत, दिहाड़ी मजदूरी से बचाए गए पैसे और फसल की आमदनी से 4 लाख रुपये खर्च करके उन्होंने यह मकान बनाया था. लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने एक पल भी नहीं सोचा और अपना घर दे दिया. अब मोर सिंह का परिवार तिरपाल लगाकर रहता है, जहां बरसात में पानी भर जाता है, छत टपकती है, और सांप-बिच्छुओं से बचने के लिए रात में भूसे के ढेर जलाने पड़ते हैं.
मोर सिंह के त्याग से फिर शुरू हुई बच्चों की पढ़ाई
हादसे के दो दिन बाद ही, 27 जुलाई को मोर सिंह का मकान अस्थायी स्कूल में बदल गया. शिक्षक वापस लौट आए और बच्चों की पढ़ाई फिर से शुरू हो गई. हालांकि जगह सीमित है, लेकिन बच्चों और माता-पिता के लिए यह बहुत बड़ी राहत है.
गांव के लोगों की पीड़ा और सरकारी लापरवाही
गांव के लोगों ने बताया कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर थी. छत में दरारें थीं, प्लास्टर झड़ रहा था, और छत झुक चुकी थी, लेकिन कई शिकायतों के बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया.
सरकार की नई पहल: 'पिपलोदी का कायाकल्प'
राजस्थान सरकार ने पिपलोदी गांव को ‘आदर्श ग्राम’ (Model Village) घोषित किया है. 1.8 करोड़ रुपये का विकास फंड मंजूर किया गया है, जिसमें शामिल हैं:
साथ ही, हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों को 5 लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट, 1 लाख रुपये नकद, पांच बकरियां और पशु शेड भी दिए गए.
मोर सिंह को मिला सम्मान और इनाम
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जिला प्रशासन ने मोर सिंह को सम्मानित किया और 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी. उन्होंने यह रकम अपने मवेशियों के लिए ऊंचाई पर नया शेड बनाने में लगा दी.
शिक्षा के प्रति जागरूकता की मिसाल
खुद निरक्षर होने के बावजूद मोर सिंह नहीं चाहते कि गांव के बच्चे उनकी तरह अशिक्षित रहें. उनका त्याग इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा के लिए गरीबी बाधा नहीं बन सकती.
मोर सिंह का यह योगदान पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा है. जहां लोग अपनी संपत्ति बचाने में लगे रहते हैं, वहीं उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई का घर गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए दे दिया.
(फिरोज अहमद खान की रिपोर्ट)
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