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Guidelines for coaching institute in Rajasthan: खुदकुशी की घटनाओं पर लगाम की तैयारी, राजस्थान सरकार ने जारी की गाइडलाइन

सरकार ने कोचिंग संस्थाओं के लिए नियम बना दिया है जिसके तहत कोई भी कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापन में नहीं यह लिखेगा कि हम चिकित्सा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में चयन की गारंटी देते हैं. कोचिंग संस्थानों के भ्रमित कर देने वाले विज्ञापनों के रोक के लिए जिला स्तरीय कमेटी बनेगी और कोचिंग संस्थान का विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले जिला स्तरीय कमेटी से पास कराना होगा.

राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गाइडलाइन राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गाइडलाइन
हाइलाइट्स
  • NCRB के आंकड़ों ने खोली पोल

  • सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गाइडलाइन

2019 में आई वेब सीरीज 'कोटी फैक्ट्री' के बाद राजस्थान के शहर कोटा को शहर की तरह नहीं, बल्कि 'कोचिंग फैक्ट्री' के तौर पर देखा जाने लगा. एक शहर, जो 'गलाकाट प्रतिस्पर्धा' के बीच इंजीनियरिंग या मेडिकल कोर्स में दाखिले की गारंटी के तौर पर खुद को पेश करता है. राजस्थान का ऐसा शहर, जहां करीब 4000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री 'दिन दूनी रात चौगुनी' तरक्की कर रही है. करीब 2 दशक से यूं कहें कि करीब 20 साल से हर साल ही हजारों-लाखों बच्चों का 'स्टडी डेस्टिनेशन' बन चुका है. पेरेंट्स के अलावा 12वीं कर रहे या पास कर चुके बच्चों में भी ये धारणा बन चुकी है कि कोटा गए बगैर, इंजीनियर या डॉक्टर बनना मुमकिन नहीं है. इसी सोच ने राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर को शहर नहीं रहना दिया. बल्कि सैकड़ों कोचिंग सेंटर वाली एक फैक्ट्री बना दिया. 

NCRB के आंकड़ों ने खोली पोल
उसी का नतीजा है कि देश के कोने-कोने से इन कोचिंग सेंटर में दाखिला लेने वाले कुछ बच्चे मन मुताबिक नतीजे मिलता नहीं देख, आत्महत्या जैसा कदम भी उठाने में संकोच नहीं करते. NCRB यानी नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 10732 बच्चों में 862 बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने परीक्षा की डर से आत्महत्या कर ली. जिसके हवाले से राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का दावा है कि कोटा में सिर्फ पिछले साल कोचिंग में दाखिला लेने वाले 22 छात्रों की मौत हुई. जिसमें 18 बच्चों ने तो फंदे पर झूलकर जान दे दी. महंगी फीस. घर से हजारों-किलोमीटर और परीक्षा में नाकामयाब होने के डर से पहले डिप्रेशन के शिकार होते हैं, फिर सुसाइड जैसे खौफनाक कदम भी उठा लेते हैं.

इन फैक्टर्स के कारण आत्महत्या करते हैं बच्चे
व्यस्त दिनचर्या, गलाकाट प्रतियोगिता और होम सिकनेस, जैसे फैक्टर अवसाद को बढ़ाते हैं और कमजोर क्षणों में इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्सेज में दाखिले की उम्मीद लगाए बैठे छात्र आत्मघाती बन जाते हैं. इस घोर निराशा में अपने माता-पिता और परिवार को जीवन भर का दुख भी दे जाते हैं. यही वजह है कि बड़ी उम्मीदों के साथ अपने-अपने शहर से कोटा में तैयारी करने वाले पहुंचने वाले छात्रों के लिए शहर सुसाइड प्वाइंट न बने. इसके लिए राजस्थान के कुछ बड़े कदम उठा लिए हैं. या यूं कहें कि कोचिंग सेंटर्स और पीजी-हॉस्टल का संचालन करने वाले लोगों के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए हैं. 

सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए जारी की गाइडलाइन

  • सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की उसमें सबसे पहले कोचिंग सेंटर्स भ्रमित करने वाले विज्ञापन या इश्तेहार नहीं छपवा पाएंगे. जिसमें टेस्ट रिजल्ट पब्लिश करने पर भी रोक लग गई है.
  • इसके बाद कोई भी कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापन में नहीं लिख सकेगा कि वो मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में चयन की गारंटी देते हैं
  • झूठे-फर्जी विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए पूरे राज्य में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर कोचिंग निगरानी समिति का गठन किया जाएगा.
  • इन कमिटी में पुलिस और प्रशासन से जुड़े लोग शामिल होंगे.
  • कोचिंग संस्थानों का विज्ञापन प्रकाशित करने से पहले जिला स्तरीय कमिटी से उसे पास कराना होगा.
  • अगर जिला स्तरीय कमिटी के फैसले से कोई भी अभिभावक या छात्र असंतुष्ट होगा, तो वो 30 दिनों के अंदर राज्य सरकार से मामले में दखल की अपील कर सकता है। 
  • गाइडलाइन के उल्लंघन पर आरोपी कोचिंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
  • कोचिंग संस्थान अपने सेंटर्स में भी टेस्ट लेते हैं, और टेस्ट के रिज़ल्ट को भी प्रकाशित कर देते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा. ताकि टेस्ट रिजल्ट में कम नंबर देखकर छात्र गलत कदम ना उठा लें.
  • कोचिंग संस्थान और अभिभावकों के पास स्टूडेंट्स के आवास का पता और मोबाइल नंबर होना जरूरी होगा.
  • हॉस्टल और पीजी सुविधाओं के आसपास पुलिस गश्त जरूरी होगी.
  • पुलिस थाने में छात्र-छात्राओं के लिए अलग से हेल्प डेस्क बनेगा.
  • नए कोचिंग सेंटर खोलने से पहले देखना जरूरी होगा कि आसपास कोई शराब या नशीला पदार्थ की ब्रिकी नहीं होती हो.
  • कोचिंग संस्थान में आने वाले स्टूडेंट्स और दूसरे लोगों के लिए एक मूवमेंट रजिस्टर या फिर इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था की जाएगी.
  • स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोचिंग संस्थानों में जागरूकता सप्ताह का आयोजन होगा। इसके लिए जिला स्तरीय कमेटी अनुभवी मनोविशेषज्ञों की मदद लेगी.
  • तनाव रोकने के लिए वर्कशॉप का आयोजन होगा। जिला प्रशासन पर कोचिंग संस्थानों से मासिक कार्यक्रम तैयार करवा कर उनके आयोजन की जिम्मेदारी होगी.
  • पुलिस थाने का सम्पर्क नंबर और हेल्पलाइन नंबर स्टूडेंट्स को देने होंगे. पीजी और हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक यूनिफॉर्म फॉर्मेट लागू किया जाएगा. इसमें उनकी पूरी डिटेल, अभिभावकों के सम्पर्क की सूचना, मासिक किराया, रिफंड नीति, दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी और कोचिंग संस्थान के नियमों की जानकारी दी जाएगी.
  • अगर स्टूडेंट्स बिना सूचना दिए तीन दिन अनुपस्थित रहे, उसके अभिभावकों से सम्पर्क कर गैरहाजिर रहने का कारण कोचिंग संस्थानों को पता करना होगा.

गौरतलब है कि राजस्थान सरकार राजस्थान कोचिंग इंश्योरेंस कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2023 लाने जा रही है जिसके लिए सुझाव मांगे गए हैं.