Staff selection commission
Staff selection commission सरकारी एग्जाम्स को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद लेने का फैसला किया है. अब विभिन्न केंद्रीय सरकारी पदों के लिए विभागीय प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान AI-संचालित कंटेंट ऑथरिंग टूल का इस्तेमाल किया जाएगा. यह टूल Cubastian Consulting नामक एक कंपनी ने बनाया है.
AI तकनीक पहले से एप्रुव SSC के क्वेश्चन बैंक से प्रश्नों का चयन करने में मदद करगी जिससे फाइनल क्वेश्चन पेपर अच्छे से स्ट्रक्चर किया जाएगा ताकि सवाल गलती से भी रिपीट न हो. यह टूल परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले रियल टाइम में क्वेश्चन पेपर तैयार करता है. यह न सिर्फ समय की बचत करता है बल्कि परीक्षा की क्वालिटी और इंटीग्रेटी को भी काफी हद तक बेहतर बनाता है.
एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब पेपर परीक्षा शुरू होने से केवल 15 मिनट पहले ही जारी किया जाता है. उससे पहले तक न तो किसी यूजर और न ही किसी अधिकारी को यह पता होता है कि कौन से प्रश्न परीक्षा का हिस्सा होंगे. क्वेश्चन पेपर तक पहुंचने के लिए डिजिटल वेरिफिकेशन जरूरी होता है. इसे एडवांस्ड एन्क्रिप्शन और डिजिटल सिग्नेचर के ज़रिए सुरक्षित किया गया है. यह पेपर सिर्फ सही डिजिटल सिग्नेचर के साथ ही खोला जा सकता है, जिससे यह बेहद सुरक्षित हो जाता है.
इस सख्त और मल्टी-लेयर्ड सुरक्षा प्रणाली से किसी भी स्तर पर पेपर लीक की कोई संभावना नहीं रह जाती है. और अगर कोई प्रयास किया जाता है तो पूरी जवाबदेही तय की जा सकती है.
यह सिस्टम "ज़ीरो ट्रस्ट मॉडल" पर आधारित है, जो एक इंडस्ट्री-स्टैंडर्ड साइबर सिक्योरिटी एप्रोच है. इसका सिद्धांत यह है कि किसी भी यूज़र या सिस्टम पर डिफ़ॉल्ट रूप से भरोसा नहीं किया जाता, और हर किसी को हर बार एक्सेस करने के लिए वेरिफाई करना जरूरी है. इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए पहली परीक्षा 15 जून को आयोजित की गई.
SSC अध्यक्ष एस गोपालकृष्णन ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि हमें गर्व है कि हमने इस अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से पहली बार परीक्षा आयोजित की है. यह सिर्फ SSC ही नहीं बल्कि भारत के व्यापक एग्जाम सिस्टम के लिए बड़ा बदलाव है.