Eligibility Criteria After Recruitment Process
Eligibility Criteria After Recruitment Process सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती प्रक्रियाओं पर अपना अहम फैसला सुनाया है. इसमें कहा गया है कि एग्जाम से जुड़े नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है. इन नियमों के केंद्र में एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया है. जो भारत में सरकारी या पब्लिक सेक्टर की नौकरी के लिए एग्जाम देना चाहते हैं उन्हें इससे काफी फायदा मिलने वाला है.
दरअसल, 7 नवंबर, 2023 को, भारत के चीफ जस्टिस डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक, सिलेक्शन प्रोसेस शुरू होने के बाद भर्ती के नियमों को नहीं बदला जा सकता है, जब तक कि मूल विज्ञापन या मौजूदा नियम विशेष रूप से ऐसे बदलाव की अनुमति न दें.
इसका मतलब यह है कि अगर किसी नौकरी की एप्लीकेशन में कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया या सिलेक्शन प्रोसेस (जैसे कि एग्जाम या इंटरव्यू) के बारे में कहा गया है, तो प्रोसेस शुरू होने के बाद उन्हें बदला नहीं जा सकता.
यह फैसला तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान हाई कोर्ट के मामले में लिया गया है. यहां कोर्ट ने के. मंजूश्री बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के एक पहले निर्णय की समीक्षा की थी.
रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू होने से पहले किया जाना सबकुछ
रिक्रूटमेंट आधिकारिक तौर पर उस समय शुरू माना जाता है जब एक विज्ञापन प्रकाशित होता है. इसमें उस पोस्ट के लिए वैकेंसी का जिक्र होता है. एक बार ऐसा हो जाने के बाद, सभी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया और सिलेक्शन मेथड अंतिम माने जाते हैं.
अगर रिक्रूटमेंट क्राइटेरिया में बदलाव करना जरूरी है, तो इसे विज्ञापन में या उन नियमों में पहले से बताया जाना चाहिए. रिक्रूटमेंट प्रोसेस के बीच में बदलाव की अनुमति नहीं है. अगर पेपर या इंटरव्यू के कट-ऑफ स्कोर जैसी चीजें जरूरी हैं, तो उन्हें रिक्रूटमेंट प्रोसेस शुरू होने से पहले ही तय कर लेना चाहिए.
छात्रों और नौकरी के उम्मीदवारों के लिए लाभ
इस फैसले से छात्रों और नौकरी चाहने वालों को सीधे फायदा पहुंचने वाला है. फैसले से उम्मीदवारों को उन अनचाहे बदलावों से छुटकारा मिलेगा, जो उनकी तैयारी पर फर्क डाल सकते हैं. उदाहरण के लिए, कल्पना करें कि आप एक नौकरी के लिए अप्लाई कर रहे हैं और प्रोसेस के बीच में ही अधिकारी एक नई योग्यता जोड़ने या परीक्षा का कट-ऑफ स्कोर बढ़ाने का निर्णय लेते हैं. ऐसा बदलाव आपको काफी प्रभावित कर सकता है.
इसके अलावा, कई छात्र सरकारी नौकरियों सहित कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी में सालों बिताते हैं. एक पारदर्शी और स्टेबल रिक्रूटमेंट प्रोसेस उन्हें यह विश्वास देगा कि उनकी मेहनत का निष्पक्ष फल मिलेगा. यह जानते हुए कि नियम अचानक नहीं बदलेंगे, छात्रों को तैयारी करने में मदद मिलेगी.
भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी
जब रिक्रूटमेंट नियमों को बीच में बदला जाता है, तो इससे पक्षपात और भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है. कई बार कुछ बदलावों को विशेष उम्मीदवारों के पक्ष में किया जा सकता है. साथ ही, बीच में नियमों को बदलने से उन छात्रों के लिए समय और मेहनत की भारी बर्बादी हो सकती है, जिन्होंने तैयारी कर रखी है.
कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए, यह निर्णय एक मिसाल कायम करता है. कई कॉम्पिटिटिव एग्जाम- जैसे UPSC, SSC या राज्य लोक सेवा परीक्षाओं में पहले भी सिलेबस या सिलेक्शन प्रोसेस के नियम बदलते रहे हैं. आगे ऐसा नहीं होगा.