
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के मालीपुर रोड स्थित रामनगर में समाजवादी पार्टी ने अनोखी पहल की है. पार्टी कार्यकर्ता फराज आलम गाडा के नेतृत्व में यहां ‘PDA पाठशाला’ की शुरुआत हुई है. उनका कहना है कि इन पठशालाओं का उद्देश्य शिक्षा से वंचित गरीब बच्चों को न सिर्फ पढ़ाना, बल्कि उन्हें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी जागरूक बनाना है.
ABCD भी समाजवादी रंग में
इस पाठशाला की सबसे खास बात यह है कि यहां पढ़ाई राजनीतिक चेतना से जुड़ी हुई है. बच्चों को ABCD सिखाने का तरीका भी पारंपरिक नहीं, बल्कि समाजवादी रंग में रंगा हुआ है.
उदाहरण के तौर पर:
फराज आलम बताते हैं कि इससे बच्चों में राजनीतिक और सामाजिक सोच की नींव डाली जा रही है.
बढ़ रही है बच्चों की भागीदारी
PDA पाठशाला की शुरुआत जब हुई, तब पहले दिन 25 बच्चे आए थे. लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 60 से अधिक हो चुकी है. बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जाता है, ताकि उनका मन लगे और वे शिक्षा को आनंद के रूप में अपनाएं.
भाजपा सरकार पर निशाना
फराज आलम ने भाजपा सरकार पर शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है, ताकि गरीब बच्चों को शिक्षा और सवाल करने का अधिकार न मिल सके. शिक्षा ही सवालों को जन्म देती है और यही लोकतंत्र की बुनियाद है." उन्होंने यह भी कहा कि नौकरी और आरक्षण जैसे मुद्दों पर हो रहे हमलों से गरीब तबके के बच्चों का भविष्य खतरे में है.
अखिलेश यादव के निर्देश पर शुरू की गई पाठशाला
फराज आलम ने बताया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर यह पाठशालाएं उन इलाकों में चलाई जा रही हैं, जहां सरकारी स्कूल बंद हो गए हैं या बच्चों की पहुंच से बाहर हैं. उनके मुताबिक, "हमारा मकसद केवल बच्चों को किताबें पढ़ाना नहीं, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है."
विचारों की नींव बचपन से
फराज का मानना है कि बच्चों में समाजवादी विचारधारा की नींव बचपन से ही रखनी चाहिए. उनका कहना है, “आज का बच्चा कल का नागरिक है। अगर आज उसके अंदर विचार और साहस डाला जाए, तो कल वह अन्याय के खिलाफ खड़ा हो सकेगा.”
उन्होंने आगे कहा, "हम अखिलेश यादव जी के सिपाही हैं. भाजपा सरकार स्कूल बंद कर रही है, इसलिए हम PDA पाठशालाएं चला रहे हैं. शिक्षा खत्म करोगे तो सवाल भी खत्म हो जाएंगे. इसलिए हम बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उन्हें विचार दे रहे हैं, ताकि वे सोचें, समझें और लड़ सकें.”
(राहुल कुमार की रिपोर्ट)