आज शिक्षक दिवस के अवसर पर ऑनलाइन शिक्षकों और उनके पढ़ाने के तरीकों पर बात हो रही है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) धीरे-धीरे शिक्षा के पारंपरिक पैटर्न को बदल रहा है. इंटरनेट पर वायरल गुरुजी युवाओं की पहली पसंद बनते जा रहे हैं, जिनके लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स हैं. खान सर, नीतू मैम, विकास दिव्यकीर्ति सर, अवध ओझा, निर्माण, फिजिक्स वाला के अलख पांडे, प्रशांत खेराड और दिगराज सिंह राजपूत जैसे कई ऑनलाइन गुरुजी ने शिक्षा की परिभाषा बदल दी है. पहले बच्चे सिर्फ किताबों, क्लासरूम और शिक्षकों से सीखते थे, लेकिन अब मोबाइल या लैपटॉप से भी पढ़ाई हो रही है. AI टूल्स हर सवाल का जवाब सेकंडों में दे रहे हैं, जिससे पढ़ाई आसान और मजेदार बन गई है. स्मार्ट लर्निंग प्लेटफॉर्म, वर्चुअल ट्यूटर और डेटा बेस्ड एनालिटिक्स क्लासरूम का हिस्सा बन रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भविष्य में AI शिक्षकों की जगह ले लेगा? विशेषज्ञ मानते हैं कि गूगल और AI ने बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ाई है, लेकिन असली शिक्षक अभी भी महत्वपूर्ण हैं. डिजिटल प्लेटफार्म और ए आई टूल्स टीचर्स के असिस्टेंट की तरह है. मानवीय शिक्षकों की भूमिका अभी भी कायम है क्योंकि वे समय के साथ खुद को बदल रहे हैं.