शिक्षक दिवस के अवसर पर देश भर के उन शिक्षकों की बात, जो बच्चों के जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. प्रयागराज में एक शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने अपनी आँखों की रौशनी खोने के बाद भी बच्चों को पढ़ाने का संकल्प लिया. उन्होंने कहा, "मैं बचपन में डॉक्टर बनने का सपना देखता था, लेकिन दृष्टिहीन होने के बाद मैंने तय किया कि मैं उन बच्चों को पढ़ाऊंगा जो देख नहीं पाते" उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी का अवसर छोड़कर उन बच्चों को मुख्यधारा में लाने का बीड़ा उठाया है जो देख, सुन या बोल नहीं पाते. छत्तीसगढ़ के बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में 'शिक्षादूत' बिना सुरक्षा और न्यूनतम वेतन के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. 2005-06 के सलवा जुडूम आंदोलन के कारण शिक्षा से वंचित रही एक पूरी पीढ़ी को ये युवा पढ़ा रहे हैं. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का सिंहपुर गांव 'शिक्षकों के गांव' के नाम से जाना जाता है, जहां 5000 की आबादी में लगभग 500 लोग शिक्षक हैं. इस गांव के पांच शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है. ओडिशा के पुरी तट पर एक मशहूर कलाकार ने शिक्षकों के सम्मान में विशेष कलाकृति बनाई है.