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Bihar Assembly Election: किसमें कितना है दम? NDA का 'साझा संकल्प' बनाम सरकारी नौकरी का 'तेजस्वी प्रण'

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन ने अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं. महागठबंधन का 'संकल्प पत्र' नौकरी, स्थायीकरण और वित्तीय सुरक्षा की गारंटी देने की ओर अग्रसर है. जबकि एनडीए 125 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया गया है. 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड और 50 लाख पक्के मकान का वादा, गरीब और निम्न मध्यम वर्ग को लुभाने का स्पष्ट संदेश है.

Nitish Kumar and Tejashwi Yadav Nitish Kumar and Tejashwi Yadav

बिहार विधानसभा चुनाव के महासमर में दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए (NDA) और महागठबंधन ने अपने-अपने घोषणापत्रों के जरिए जनता को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. एनडीए ने अपना 'साझा संकल्प पत्र' जारी कर जहां विकास और कल्याणकारी योजनाओं का मिश्रण प्रस्तुत किया है, वहीं, महागठबंधन ने अपने चुनावी अभियान को 'सरकारी नौकरी की गारंटी' और कर्मचारियों के स्थायीकरण के 'तेजस्वी प्रण' पर केंद्रित किया है. घोषणा पत्र के आईने में आप वोट जुगाड़ की रणनीति को साफ-साफ देख सकते हैं. दोनों गठबंधनों का घोषणा पत्र ये बता रहा है कि बिहार की सियासत किस तरफ जा रही है. 'फ्री बिज' पॉलिटिक्स की सियासी सुंगध भी इन दोनों घोषणा पत्रों में आप महसूस कर सकते हैं. एनडीए का 'साझा संकल्प पत्र' भी अधिक मतदान करने वाले वर्ग को लक्षित करते हुए मुफ्तखोरी या यूं कहें फ्री बिज पॉलिटिक्स को छू रहा है.

संकल्प पत्र या फ्री बिज पॉलिटिक्स?
सियासी जानकार मानते हैं कि एनडीए का संकल्प पत्र एक सोची-समझी रणनीति का परिणाम है, जिसने अपनी एकता को दर्शाते हुए अधिक मतदान करने वाले वर्गों को साधने के लिए 'मुफ्तखोरी' के नए अध्याय जोड़े हैं. 125 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया गया है जो मिलना शुरू भी हो गया है . और जो जाति और धर्म से परे एक विशाल वर्ग को सीधे आकर्षित कर रहा है. कुछ इसी तरह स्वास्थ्य और आवास वाले मुद्दों पर भी ध्यान दिया गया है. 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड और 50 लाख पक्के मकान का वादा, गरीब और निम्न मध्यम वर्ग को लुभाने का स्पष्ट संदेश है. पेंशन और सामाजिक सुरक्षा: सामाजिक सुरक्षा के तहत विभिन्न पेंशन योजनाओं का विस्तार किया जाएगा और किया भी गया है. एनडीए ने आधी आबादी पर भी फोकस किया है. 

महिलाएं एनडीए के लिए हमेशा 'ट्रंप कार्ड' रही हैं (2020 में 66.7% मतदान) इनकी ओर से किया गया था.  इस वर्ग को साधने के लिए करोड़पति दीदी वाला फंडा निकाला गया है. करीब एक करोड़ महिलाओं को 'करोड़पति दीदी' बनाने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा, जिसके तहत व्यवसाय के लिए कम ब्याज पर दो लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा. लखपतिया दीदी, जीविका दीदी और आशा कार्यकर्ता जैसी सफल योजनाओं को आगे बढ़ाया जाएगा.

ग़रीब वर्गों को KG से PG तक मुफ्त शिक्षा, पटना के अलावे चार शहरों में मेट्रो का निर्माण की घोषणा, युवाओं को लुभाने का प्रयास है तो माता जानकी के नाम पर सीतापुरम नगर की स्थापना धार्मिक पहलू को भी दर्शा रहा है.

युवा, अतिपिछड़ा वर्ग और किसान पर निशाना-
1 करोड़ नौकरी/रोजगार की घोषणा की गई है, जो युवाओं को बूथ तक लाने में सहायक होगी. अतिपिछड़ा वर्ग के 36% वोट को प्रभावित करने पर भी ध्यान दिया गया है. इस वर्ग को और करीब लाने के लिए, व्यवसाय करने हेतु 10 लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी. साथ ही, अवकाश प्राप्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, ताकि इस वर्ग को मजबूत किया जा सके. किसानों को मिलने वाली सम्मान राशि में कर्पूरी ठाकुर के नाम पर 3 हजार रुपये की अतिरिक्त सम्मान राशि मिलेगी, जिससे कुल राशि बढ़कर 9 हजार रुपये हो जाएगी. एनडीए ने उन समूहों को लक्षित किया है जिनकी संख्या अधिक है और जिनकी मतदान में भागीदारी अहम है. जैसे- महिलाओं का 67% मतदान और अतिपिछड़ा वर्ग 36% मत एनडीए का लक्ष्य है.

'तेजस्वी प्रण' और सरकारी नौकरी-
महागठबंधन का 'संकल्प पत्र' नौकरी, स्थायीकरण और वित्तीय सुरक्षा की गारंटी देने की ओर अग्रसर है. इसमें फ्री बिज पॉलिटिक्स के सारे तत्व मौजूद हैं. महागठबंधन ने अपने घोषणा पत्र को युवा, महिला और कर्मचारियों पर सीधे वित्तीय गारंटी और नौकरी के वादों पर केंद्रित रखा है, जिसे 'तेजस्वी प्रण' के रूप में देखा जा रहा है. सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर प्रदेश के हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का अधिनियम लागू किया जाएगा और 20 महीने के भीतर नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू होगी. सभी जीविका दीदियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा और उनका वेतन ₹30,000 होगा. सभी संविदाकर्मियों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को भी स्थायी किया जाएगा. सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया जाएगा. शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों को गृह जिले के 70 किलोमीटर के दायरे में स्थानांतरण का विकल्प मिलेगा. महिलाओं को 1 दिसंबर से हर महीने ₹2,500 की आर्थिक सहायता (प्रतिवर्ष ₹30,000) मिलेगी. प्रदेश के हर परिवार को हर महीने 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी. सहारा इंडिया में फंसा पैसा वापस दिलाने और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा महिलाओं को परेशान करने से रोकने के लिए नियामक कानून बनाया जाएगा.

किसमें कितना है दम!
'तेजस्वी प्रण' के मुताबिक परीक्षा शुल्क समाप्त होगा, परीक्षार्थियों को मुफ्त यात्रा मिलेगी, और पेपर लीक पर कड़ी कार्रवाई होगी. रोजगार में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता देने के लिए सुसंगत डोमिसाइल नीति लागू होगी. प्रत्येक अनुमंडल में महिला कॉलेज खोले जाएंगे और 136 प्रखंडों में नए डिग्री कॉलेज स्थापित होंगे. बिहार का यह चुनाव अब स्पष्ट रूप से 'कल्याणकारी मुफ्तखोरी और विकास' (एनडीए) बनाम 'आक्रामक रोजगार गारंटी और स्थायीकरण' (महागठबंधन) के बीच सिमट गया है. एनडीए अपने वादों के माध्यम से मौजूदा एंटी-इनकंबेंसी को शांत करने और वोटिंग पैटर्न में प्रभावी वर्गों को साधने की कोशिश कर रहा है. वहीं, तेजस्वी यादव की नेतृत्व वाली महागठबंधन की रणनीति युवाओं और सरकारी कर्मचारियों के बीच निराशा को सीधे भुनाने की है. 'हर परिवार को सरकारी नौकरी' जैसे वादे गेम चेंजर साबित हो सकते हैं, बशर्ते मतदाता इस बात पर विश्वास कर लें कि महागठबंधन के पास इसे पूरा करने का ब्लूप्रिंट और वित्तीय संसाधन हैं.

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