
बिहार में चंद महीनों के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हाल ही में बिहार दौरे पर गए थे. केन्द्र में बिहार चुनाव की धमक दिखनी शुरू हो गई है. नेता एक-दूसरे के खिलाफ आरोप और बयानबाजी कर रहे हैं. जैसे-जैसे चुनाव पास आएंगे, बयानबाजी और तेज हो जाएगी.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य में आयोगों के पुनर्गठन का सिलसिला लगातार जारी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने आधा दर्जन आयोगों का पुनर्गठन किया है. इनमें बाल संरक्षण अधिकार आयोग के बाद अल्पसंख्यक आयोग, सवर्ण आयोग, मछुआरा आयोग और अनुसूचित जाति आयोग शामिल हैं.
बिहार में इन आयोगों के पुनर्गठन का काम लंबे अरसे से टल रहा था. अब विधानसभा चुनाव के दरवाजे पर खड़ी सरकार ने इसे पूरा करने का फैसला किया है. एक के बाद एक इन आयोगों के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है. आयोगों के पुनर्गठन में जिन चेहरों को जगह दी गई है, उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव में कहीं ना कहीं से टिकट के दावेदार थे.
चुनाव के पहले पुनर्गठन
राज्य अल्पसंख्यक आयोग से शुरुआत करें तो वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ आपत्ति जताने वाले जेडीयू के पूर्व राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बलियावी को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया. बलियावी को ये जिम्मेदारी देकर उन्हें वक्फ संशोधन कानून पर ज्यादा आक्रामक ना होने का संदेश दिया गया है.
संभव हो बलियावी भी इस नई जिम्मेदारी से संतुष्ट हों. एनडीए में शामिल घटक दलों से संबंध रखने वाले दूसरे नेताओं को भी अल्पसंख्यक आयोग में एडजस्ट किया गया है. आयोग में लखविंदर सिंह और मौलाना उमर नूरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया है.
चुनावी रेस से बाहर
सवर्ण आयोग का गठन कर सरकार ने पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता महाचंद्र प्रसाद सिंह के आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के कयास पर विराम लगा दिया. महाचंद्र प्रसाद सिंह को सवर्ण आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन को इसी आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया जो उनके लिए किसी एडजेस्टमेंट से कम नहीं है.
कई नेताओं को आयोग में इसलिए जगह मिली है ताकि उनके चुनाव लड़ने की संभावना को खत्म कर दिया जाए. बीजेपी के एक और नेता राजकुमार सिंह को सवर्ण आयोग का सदस्य बनाया गया है. राजकुमार सिंह राजपूत बिरादरी से आते हैं और उनकी भी चाह टिकट पाने की थी.
एडजस्टमेंट की राजनीति
आयोगों के पुनर्गठन में केवल पॉलिटिकल एडजस्टमेंट हुआ हो, ऐसा भी नहीं है. कई नेताओं के परिवार वाले और रिश्तेदारों को भी इसमें एडजस्ट किया गया है. राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग में स्व. रामविलास पासवान के दामाद और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बहनोई मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है.
इसी आयोग में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार को दी गई है. इस आयोग में नेताओं के परिवार से कई चेहरों को जगह मिली है. राज्य मछुआरा आयोग में पूर्व विधायक अजीत चौधरी को उपाध्यक्ष की कुर्सी मिली है. अजीत चौधरी बक्सर जिले ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार माने जाते हैं.
कुल मिलाकर देखा जाए तो आयोगों के पुनर्गठन ने एक तरफ जहां टिकट के दावेदारों की संख्या में कटौती की है. वहीं नेताओं के रिश्तेदारों की भी बल्ले-बल्ले रही है. सायन कुणाल मंत्री अशोक चौधरी के दामाद हैं और आचार्य किशोर कुणाल के बेटे हैं. उनको राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड में सदस्य बनाया गया है. रश्मि रेखा सिन्हा मुख्यमंत्री के सचिव और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पूर्व मुख्य सचिव दीपक कुमार की पत्नी हैं. उन्हें राज्य महिला आयोग में सदस्य बनाया गया है
बयानबाजी का दौर
बिहार चुनाव से पहले बयानबाजी शुरू हो गई है. मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी यादव पर पलटवार किया है. मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि आरोप लगाने से पहले तेजस्वी यादव को अपने घर देखना चाहिए. सायन कुणाल तो पिछले डेढ़ साल से मेरे दामाद बने हैं. मेरे दामाद बनने से पहले सायन आचार्य किशोर कुणाल के बेटे हैं. सायन की पहचान उनके पिता से है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आरोपों पर देवेंद्र कुमार मांझी ने कहा, देवेंद्र मांझी राज्य अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं. देवेंद्र मांझी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद हैं. इन आरोपों पर देवेंद्र मांझी ने कहा कि एक दलित के बेटे को डराना चाहते हैं तेजस्वी यादव. मैं एक इंजीनियर रहा हूं, 15 साल से समाज की सेवा कर रहा हूं. एक दलित के बेटे को इस पद पर तेजस्वी पचा नहीं पा रहे हैं.
शशि भूषण की रिपोर्ट.