Bihar Election Result 2025
Bihar Election Result 2025 Bihar Election 2025: बिहार में कुल 243 सीटों पर दो चरणों में चुनाव संपन्न हो चुका है. नेता हों या जनता अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हुई हैं क्योंकि इसी दिन मतगणना के बाद रिजल्ट घोषित किए जाएंगे. शुक्रवार को पता चल जाएगा कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी. हम आपको बता रहे हैं कि चुनाव के बाद वोटों की गिनती कैसे होती है, काउंटिंग सेंटर के अंदर कौन जा सकता है और बिहार में सबसे पहले किस सीट का परिणाम घोषित किया जाएगा?
क्या होता है वोटिंग के बाद
वोटिंग बूथों पर जब मतदाता अपना वोट डाल देते हैं, उसके बाद सभी ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को एकत्र किया जाता है. उन्हें सुरक्षित रूप से अलग-अलग पोलिंग स्टेशनों से लेकर स्ट्रॉन्ग रूम में लाया जाता है. यहां पर ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. चुनाव आयोग खुद स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी करता है.
ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखने के बाद उसे सील किया जाता है. वोटों की काउंटिंग के दिन सुबह 7 बजे के आसपास प्रत्येक दल के उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर भी इस दौरान मौजूद रहते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम का ताला खोलने से लेकर ईवीएम को काउंटिंग स्थल तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है.
कैसे की जाती है वोटों की गिनती
वोटों की गिनती के लिए स्पेशल काउंटिंग सेंटर बनाए जाते हैं. ये सेंटर चुनाव आयोग की ओर से निर्धारित किए जाते हैं. यहां मतगणना वाले दिन वोटों की गिनती के लिए सभी आवश्यक उपकरण और स्टाफ मौजूद होते हैं. कोई गड़बड़ी न हो इसलिए मतगणना के दिन सुरक्षा बल भी तैनात रहते हैं. वोटों की गिनती शुरू करने से पहले ईवीएम और वीवीपैट की अच्छी तरह से जांच की जाती है ताकि यह पता चल सके कि उनकी स्थिति सही है.
वोटों की गिनती जिस जगह पर होती है, वहां कई काउंटिंग टेबल लगे होते हैं. नियम के अनुसार एक काउंटिंग हॉल में आमतौर पर 14 टेबल मतगणना के लिए लगाई जाती हैं और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है. इस तरह से कुल मिलाकर एक काउंटिंग हॉल में 15 टेबल होती हैं. अलग-अलग टेबल पर अलग-अलग प्रत्याशियों के लिए वोटों की गिनती की जाती है. वोटों की गिनती के लिए एक विशेष टीम रहती है. इस टीम में चुनाव आयोग के अधिकारी और अन्य कर्मचारी शामिल होते हैं. इस टीम का काम होता है कि वोटों की गिनती में किसी भी तरह की गलती न हो.
कितने लोग जा सकते हैं काउंटिंग सेंटर
आपको मालूम हो कि हर उम्मीदवार के पास अपने एजेंट होते हैं. वोटों की गिनती के दौरान काउंटिंग सेंटर के अंदर हर टेबल पर एक एजेंट किसी उम्मीदवार की ओर से बैठ सकता है. इसके अलावा एक एजेंट को रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO की टेबल पर बैठने की अनुमति होती है. इस तरह से एक उम्मीदवार के कुल 15 एजेंट एक काउंटिंग हॉल में मौजूद रह सकते हैं. इन एजेंटों का काम गिनती की प्रक्रिया पर नजर रखना, किसी गलती या गड़बड़ी की स्थिति में तुरंत आपत्ति दर्ज कराना और यह सुनिश्चित करना कि हर वोट सही ढंग से गिना जाए.
बिहार में इस सीट का आएगा सबसे पहले परिणाम
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद शुक्रवार को सभी मतों की गिनती एक ही समय में शुरू की जाएगी. इस बार सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जानी है. उसके बाद ईवीएम खोली जाएगी. अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि जब वोटों की काउंटिंग एक समय पर सभी जगह शुरू होगी तो किसी सीट का पहले और किसी का बाद में परिणाम क्यों घोषित किया जाता है. हम बता रहे हैं ऐसा क्यों होता है. आपको मालूम हो कि जहां बूथों की संख्या कम रही है, उसके परिणाम पहले आ सकते हैं.
इसका मतलब है कि जिस विधानसभा में कम बूथ होंगे, वहां की काउंटिंग में समय कम लगेगा और जहां मतगणना केंद्रों की संख्या ज्यादा होगी वहां वोटों की गिनती में समय अधिक लगेगा. हर विधानसभा में एक राउंड में 14 ईवीएम की गिनती होगी. ऐसे में शेखपुरा जिले की बरबीघा सीट पर सबसे पहले परिणाम घोषित होने की उम्मीद है. इस बार बरबीघा में 275 बूथ हैं. यहां महज 20 राउंड में गिनती पूरी हो जाएगी. इसके बाद दरभंगा की गौड़ाबौराम सीट पर 21 राउंड में 296 बूथों की मतगणना होगी. सबसे पहले बरबीघा सीट के परिणाम और उसके बाद गौड़ाबौराम सीट के परिणाम घोषित किए जाएंगे. पटना जिले की 14 विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो सबसे कम 342 बूथों वाले मोकामा विधानसभा सीट का परिणाम सबसे पहले आ सकता है. यहां 25 राउंड की गिनती होगी. बाढ़, बख्तियारपुर में भी 25 राउंड की गिनती होगी, लेकिन यहां के बूथ क्रमश: 349 और 351 हैं. ऐसे में सबसे पहले मोकामा सीट के परिणाम घोषित किए जाएंगे.