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योगी सरकार के स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों के बारे में जानिए

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 25 मार्च को योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह हुआ. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत 12 प्रदेशों के मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे. योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने बाद 52 मंत्रियों ने भी शपथ ली. यूपी में इस बार 12 लोगों को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है.

यूपी के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ लेते असीम अरुण, दयाशंकर मिश्रा दयालु और गुलाब देवी यूपी के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर शपथ लेते असीम अरुण, दयाशंकर मिश्रा दयालु और गुलाब देवी
हाइलाइट्स
  • योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने बाद 52 मंत्रियों ने भी शपथ ली.

  • यूपी में इस बार 12 लोगों को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है.

यूपी के राजनीतिक इतिहास में शुक्रवार का दिन यानी 25 फरवरी का दिन खास था. योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने के साथ ही उनके योगी 2.0 की शुरूआत हो गई है. लखनऊ के अटल बिहारी वाजेपेयी इकाना स्टेडियम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ की शपथ दिलाई और मंत्रियों ने भी शपथ ली है, योगी आदित्यनाथ 37 साल बाद लगातार दूसरी बार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने हैं, योगी आदित्‍यनाथ के साथ ही केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने डिप्‍टी सीएम पद की शपथ ली है. आईये एक नजर डालते हैं योगी सरकार के उन नेताओं पर जिनको राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  बनाया गया है. 

नितिन अग्रवाल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हरदोई सीट से चौथी बार विधायक नितिन अग्रवाल ने शुक्रवार को राजधानी लखनऊ (Lucknow) के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, इकाना (Ekana Stadium) में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद पर शपथ ली. बता दें कि नितिन अग्रवाल पूर्व सांसद और यूपी सरकार में मंत्री रहे नरेश अग्रवाल के बेटे हैं. 

नितिन अग्रवाल 2017 में बीजेपी के राजा बक्स सिंह को हराकर समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए, लेकिन भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष बने. बाद में उन्होंने औपचारिक रूप से समाजवादी पार्टी छोड़ दी. गौरतलब है कि उनके पिता नरेश अग्रवाल ने 2018 में बीजेपी में शामिल होने के लिए समाजवादी छोड़ दी थी. नितिन अग्रवाल के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई की है. उनकी कुल संपत्ति 31.52 करोड़ रुपये है और देनदारी 3.40 करोड़ रुपये है. पिछले चुनाव में नितिन अग्रवाल को 97,735 वोट मिले थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजा बक्स सिंह को 92,626 वोट मिले थे.. नितिन अग्रवाल को 42 परसेंट जबकि राजा बक्स सिंह को 40 परसेंट वोट हासिल हुआ था.

कपिलदेव अग्रवाल

विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने वाले सदर विधायक कपिलदेव अग्रवाल की फिर ताजपोशी की गई। उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है. 

कपिलदेव अग्रवाल ने भाजपा के टिकट पर साल 2002 का चुनाव सदर विधानसभा सीट से लड़ा, लेकिन सपा के चित्तरंजन स्वरूप ने उन्हें हरा दिया था, इसके बाद अग्रवाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और जीत की हैट्रिक लगाई.  मंत्रालय में उन्हें दूसरी बार जगह मिली है. राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए कपिल देव अग्रवाल शहर के गांधीनगर में रहते हैं.  वह मूल रूप से मेरठ के किला परीक्षितगढ़ के रहने वाले हैं.  उनके पिता रमेश चंद जिले में गन्ना विभाग में काम करते थे, इस वजह से परिवार मुजफ्फरनगर शिफ्ट हो गया और यहीं पर रहने लगे. 

रवींद्र जायसवाल

वाराणसी उत्तरी से जीत हासिल करने के बाद विधायक रवींद्र जायसवाल को योगी 2.0 सरकार में दोबारा मंत्रिपद की जिम्‍मेदारी दी गई . इस बार रवींद्र जायसवाल  राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद संभालेंगे. रवींद्र जायसवाल वाराणसी उत्तरी सीट से तीसरी बार विधायक बने हैं. उन्होंने इस बार सपा के अशफाक को हराया है. रवींद्र जायसवाल को पिछली योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टांप न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग मिला था.

संदीप सिंह

संदीप सिंह ने राजनीति में 2017 में एंट्री करने के बाद अलीगढ़ की अतरौली सीट से जीत हासिल की थी. संदीप सिंह को अब दूसरी बार विधायक बनाया गया है. अतरौली सीट से कल्याण सिंह 10 बार विधायक रहे हैं. संदीप सिंह ने लंदन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है.  उनके दादा कल्याण सिंह यूपी के पूर्व सीएम थे.

गुलाब देवी

चंदौसी विधानसभी सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट से विजय हुईं गुलाब देवी को योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है. गुलाब देवी पहली बार 1991 में भाजपा के टिकट से विधायक बनी थीं. 1996 में उन्होंने दोबारा चुनाव  जीता. वह पांच बार विधायक रह चुकी हैं और भाजपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं. ऐसा बताया जाता है कि उनका संघ से भी अच्छा कनेक्शन है. 66 साल की गुलाब देवी पोस्ट ग्रेजुएट हैं. वो कल्याण सिंह और पिछली योगी सरकार में राज्य मंत्री रह चुकी हैं.

गिरीश यादव

गिरीश यादव ने जौनपुर सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर दूसरी बार जीत हासिल की है. इसके पहले उन्हें शहरी एवं आवास नियोजन मंत्री बनाया गया था. पेशे से वकील गिरीश चंद्र यादव ने छात्र जीवन के दौरान ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर राजनीति में कदम रखा था.

धर्मवीर प्रजापति

धर्मवीर प्रजापति ने इस बार योगी सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की शपथ ली है. इससे पहले जनवरी 2021 में पार्टी ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया था. धर्मवीर प्रजापति का हाथरस जनपद स्थित पैतृक गांव बहरदोई के मूल निवासी हैं.  गांव में अब भी आना जाना हैं.  वे 1998 में गांव छोड़कर हाजीपुर खेड़ा, खंदौली में रहने लगे थे. साल 2005 के करीब वह भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संपर्क में आए.  राजनाथ सिंह ने उन्हें भाजपा में शामिल कराया.  पहले संगठन से जुड़े, उसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी में जगह बनाई, फिर एमएलसी बने. लगातार उनकी सफलता का कारवां आगे बढ़ता चला गया.

असीम अरुण

IPS की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़े असीम अरुण ने समाजवादी गठबंधन के कैंडिडेट अनिल कुमार को कन्नौज सीट से 6,362 वोटों से हराया था. असीम अरुण कानपुर के पहले पुलिस कमिश्नर थे. असीम अरुण आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में शामिल रह चुके हैं. साथ ही साथ नेताओं के सुरक्षा दस्ते में भी ड्यूटी निभाई है. असीम अरुण मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी के भाई हैं. उनके पिता श्रीराम अरुण यूपी के डीजीपी रह चुके हैं.

नरेन्द्र कश्यप

नरेन्द्र कश्यप बीजेपी ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं.  बसपा की टिकट पर यूपी से राज्यसभा सांसद रह चुके  नरेन्द्र कश्यप  दो बार MLC भी रह चुके हैं. साल 2017 में नरेन्द्र कश्यप बीजेपी से जुड़े. पेशे से एडवोकेट नरेंद्र कश्यप मूल रूप से गाजियाबाद जिले में ग्राम सरवानी के रहने वाले हैं.   नरेन्द्र कश्यप को मायावती का करीबी माना जाता रहा है. उन्होंने बसपा में राष्ट्रीय महासचिव तक का सफर तय किया. अपनी बहू की दहेज हत्या में कोर्ट से दोषी ठहराए जाने के बाद बसपा ने उन्हें 2016 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए थे.

दिनेश प्रताप सिंह

इस बार के यूपी MLC चुनाव में बीजेपी ने रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है. इससे दिनेश प्रताप सिंह ने  पहले  2019 लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से चुनाव लड़ा था. बीजेपी से पहले दिनेश सपा, बसपा और कांग्रेस में रह चुके हैं. अप्रैल 2018 में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. वो दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे हैं.

डॉ. अरुण सक्सेना

डॉ. अरुण सक्सेना ने बरेली सदर सीट से जीत हासिल की और जीत की हैटट्रिक लगाई. इस बार उन्होंने सपा प्रत्याशी राजेश अग्रवाल को मात दी. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें एकतरफा जीत हासिल हुई थी. उन्हें करीब सवा लाख वोट मिले थे.
डॉ. अरुण कुमार सक्सेना एमबीबीएस हैं. वह शहर में एक हॉस्पिटल चलाते हैं. उनको बच्चों का काफी अच्छा डॉक्टर माना जाता है. इससे पहले बरेली शहर से विधायक डॉ. दिनेश जौहरी भी यूपी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. डॉ. अरुण कुमार ने 2007 विधानसभा चुनाव सपा के टिकट पर शहर विधानसभा से लड़ा था. मगर, हार गए थे. इसके बाद भाजपा के टिकट पर 2012, 2017 और 2022 के चुनाव जीतकर विधायक बने और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए हैं.

दयाशंकर मिश्र दयालु

पूर्वांचल से भाजपा नेता दया शंकर मिश्रा ‘दयालु’ को इस बार मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है. योगी कैबिनेट में उनको राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) बनाया गया है. दयाशंकर, 2017 के चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. पार्टी ने उनके ऊपर विश्वास जताया और पूर्वांचल विकास बोर्ड में उनको उपाध्यक्ष भी बनाया था.