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Sarojini Nagar Assembly: 'मायावती' विवाद ने बनाया मंत्री और पति से लड़ाई में कटा टिकट, स्वाति सिंह की पूरी कहानी

बीजेपी ने इस बार स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी से वीआरएस लेकर राजनीति में आए राजेश्वर सिंह को यहां से प्रत्याशी घोषित कर दिया. वजह ये कि स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह दोनों इस सीट से टिकट मांग रहे थे. बीजेपी बड़ी मुश्किल में थी और पार्टी ने दोनों को साइडलाइन कर राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बना दिया.

दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह
हाइलाइट्स
  • बीजेपी ने सरोजनी नगर सीट से काटा स्वाति सिंह का टिकट

  • पति-पत्नी की लड़ाई में किसी तीसरे को मिल गया टिकट

  • 2017 विधानसभा चुनाव में भी खूब चर्चा में रही थी सरोजनी नगर सीट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार अपने चरम पर है. 10 फरवरी से चुनाव शुरू हो रहे हैं. हर बार की तरह इस बार भी कई ऐसी सीटें हैं जो चर्चा का विषय बनी हुई है. इसी में से एक है सरोजनीनगर सीट. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी यह सीट खूब चर्चा में रही थी.

दरअसल, सरोजनीनगर सीट की इतनी चर्चा के पीछे वजह है यहां से वर्तमान विधायक और योगी सरकार में मंत्री स्वाति सिंह. पिछली बार भी यह सीट स्वाति सिंह की वजह से खूब चर्चा में रही थी. आगे पूरी कहानी बताएंगे लेकिन उससे पहले यह बता दें कि बीजेपी ने इस बार स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी से वीआरएस लेकर राजनीति में आए राजेश्वर सिंह को यहां से प्रत्याशी घोषित कर दिया. वजह ये कि स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह दोनों इस सीट से टिकट मांग रहे थे. बीजेपी बड़ी मुश्किल में थी और पार्टी ने दोनों को साइडलाइन कर राजेश्वर सिंह को प्रत्याशी बना दिया. सरोजनी नगर सीट और स्वाति सिंह के विवाद का मुद्दा क्या और इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई, आइये जानते हैं.

ये है स्वाति सिंह की पूरी कहानी-
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती को अपशब्द कह दिया था. इसके बाद बसपा ने दयाशंकर सिंह के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. चुनाव सिर पर था और भाजपा नहीं चाहती थी कि इस तरह का कोई मुद्दा उठे जिससे लोगों के बीच गलत संदेश जाए. सवाल एक महिला और उस वक्त यूपी में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा सुप्रीमो के सम्मान से जुड़ा था. ऐसे में बीजेपी ने तत्काल दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाल दिया. उन्हें 6 साल के लिए बीजेपी से निलंबित कर दिया गया.

महिला सम्मान के मुद्दे पर खुलकर मैदान में उतर गईं स्वाति सिंह
बीजेपी ने तो दयाशंकर सिंह को साइडलाइन कर दिया लेकिन इस बीच विरोध करते-करते बसपा ने भी अपनी सीमा लांघ दी. इस आंदोलन में बसपा नेता और मायावती के काफी करीबी कहे जाने वाले नसीमुद्दीम सिद्दीकी ने दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह और उनकी बेटी को भी घसीट लिया. इसके अगले दिन स्वाति सिंह खुलकर सामने आई और इसका पुरजोर विरोध किया. स्वाति सिंह ने जिस तरह नारी शक्ति और महिला सम्मान की बात उठाई, उससे बीजेपी को लगा कि अब यह गेंद उसके पाले में जा सकती है. फिर क्या था, बीजेपी ने स्वाति सिंह को सरोजनी नगर सीट से उम्मीदवार बना दिया. अजेय समझी जाने वाली इस सीट पर मोदी लहर का फायदा मिला और स्वाति ने जीतकर यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दिया.

स्वाति के चुनाव जीतने के बाद दयाशंकर की पार्टी में हो गई एंट्री
चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने स्वाति सिंह को पुरस्कार दिया और उन्हें योगी सरकार में मंत्री बनाया गया. मंत्री बनने के बाद स्वाति कभी बीयर बार के उद्घाटन तो कभी तहसीलदार के साथ विवाद को लेकर चर्चा में बनी रहीं. हां, एक बात ये कि जैसे ही स्वाति सिंह ने चुनाव जीता, दयाशंकर सिंह को पार्टी में वापस शामिल कर लिया गया और वो भी तब जब बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित किया था.

...फिर इस बार क्यों चर्चा में है यह सीट
स्वाति सिंह पूरे पांच साल किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रही. लेकिन, पिछले दिनों स्वाति सिंह का एक कथित ऑडियो वायरल हुआ था जिससे ऐसा लगा कि पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा है. ऑडियो में इस बात का जिक्र था कि दयाशंकर सिंह उन्हें पीटते हैं. खैर, इससे आगे कि बात ये कि जब टिकट देने की बारी आई तो दोनों पति-पत्नी आमने सामने हो गए. दोनों ही इस सीट से टिकट मांगने लगे. अब बीजेपी के लिए ये बड़ी मुश्किल हो गई. दयाशंकर सिंह वर्तमान में उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं और साथ ही ओबीसी मोर्चा की जिम्मेवारी भी उनके पास है. बीजेपी ने इस विवाद से बचने का तीसरा रास्ता निकाला और टिकट राजेश्वर सिंह को देकर पूरे मसले को ही साफ कर दिया.