
इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. मौजूदा नीतीश सरकार का कार्यकाल इस साल 23 नवंबर को पूरा हो रहा है. चुनाव आयोग ने तैयारियां तेज कर दी है. आने वाले महीनों में बिहार में चुनाव की तारीख का ऐलान हो सकता है.
आने वाले समय में बिहार समेत 6 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. विधान सभा चुनाव वाले इन राज्यों में अवैध रूप से रह रहे प्रवासी विदेशी घुसपैठियों के वोटर के रूप में दर्ज नामों को हटाने के लिए निर्वाचन आयोग मतदाता सूची की समीक्षा करेगा. इसकी शुरुआत बिहार से होगी. अवैध विदेशी प्रवासियों को उनकी जन्म स्थली की जांच कर फर्जी दस्तावेजों के जरिए शामिल कराए गए लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जाएगा.
अवैध प्रवासियों की जांच
चुनाव आयोग इस साल बिहार सहित आगामी साल भर में छह राज्यों में होने वाले चुनावी राज्यों की मतदाता सूची की गहन समीक्षा करेगा. बिहार में इस साल अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके अलावा असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में चुनाव 2026 में मार्च-अप्रैल में प्रस्तावित हैं.
इन राज्यों में अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाया जाएगा. इसके बाद दूसरे राज्यों में भी ये जांच होगी. चुनाव आयोग अपने इस कदम का दायरा बाद में अन्य चुनाव वाले राज्यों तक बढ़ाएगा. आयोग ने यह फैसला ऐसे समय में किया है, जब कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई हो रही है.
इन राज्यों में होगी जांच
निर्वाचन आयोग पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करेगा ताकि मतदाता सूची की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखने के अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा किया जा सके. इस गहन समीक्षा के तहत चुनाव अधिकारी घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे. इससे त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार की जा सकेगी.
आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 8 से 24 मई के बीच समाप्त हो रहा ह. इन राज्यों में मतदाता सूची की गहन समीक्षा इस साल के अंत तक शुरू की जाएगी. हालांकि, चूंकि बिहार में इस साल चुनाव होने हैं. लिहाजा आयोग ने वहां तुरंत विशेष गहन पुनरीक्षण कराने का निर्णय लिया है.
देना होगा जन्म का प्रमाण
बिहार विधान सभा का कार्यकाल 23 नवंबर तक है. विपक्षी दलों ने निर्वाचन आयोग पर भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता आंकड़ों में हेर-फेर करने के आरोप लगाए हैं. इन सबके बीच आयोग ने गहन पुनरीक्षण के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाए हैं कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में नाम दर्ज न करवा सकें.
आयोग ने इस कवायद के लिए एक अतिरिक्त 'घोषणा पत्र' उन आवेदकों के लिए पेश किया है जो मतदाता बनने के इच्छुक हैं या जो राज्य से बाहर से आकर स्थानांतरित हुए हैं. उन्हें यह शपथ पत्र देना होगा कि वे 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में पैदा हुए थे. अपनी जन्म तिथि या जन्म स्थान के प्रमाण स्वरूप कोई दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा.
कैसे होगा सर्वेक्षण?
घोषणा पत्र में एक विकल्प यह भी है कि वे 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच भारत में पैदा हुए हैं, इसका सबूत दें. इस स्थिति में उन्हें अपने माता-पिता की जन्म तिथि/स्थान से संबंधित दस्तावेज भी देने होंगे. बिहार में पिछली बार गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था लेकिन तब इतनी सख्ती नहीं थी. इसी दौरान राजनीतिक शह का फायदा उठाते हुए अंधाधुंध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों ने स्थानीय राजनेताओं की मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने नाम मतदाता सूचियों में दर्ज करा लिए थे.
इस बारे में निर्वाचन आयोग ने कहा कि तीव्र शहरीकरण, बार-बार होने वाला पलायन, युवा नागरिकों का मतदान के योग्य होना, मृत्यु की रिपोर्टिंग न होना और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम सूची में शामिल होने जैसी अनेक वजहों से त्रुटि रहित मतदाता सूची की तैयारी के लिए पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है. बूथ स्तर के अधिकारी गहन पुनरीक्षण के दौरान घर-घर जाकर सर्वे करेंगे. चुनाव आयोग ने कहा कि इस विशेष पुनरीक्षण के दौरान वह मतदाता के रूप में पंजीकरण की पात्रता और अपात्रता से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनी प्रावधानों का पालन करेगा.