
देहरादून का मुख्यमंत्री आवास मुख्यमंत्री के लिये अशुभ है और इसमें रहने वाला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता? ये मिथक पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बाद एक बार फिर पुख़्ता हो गया.
हरीश रावत अपने ढाई साल के मुख्यमंत्री काल में इस आवास में रहने के लिये कभी नहीं गये. रावत से पहले मुख्यमंत्री बने विजय बहुगुणा इसमें रहने गये थे, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. इसी आवास में रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये थे. उनके बाद सितंबर, 2011 में दोबारा मुख्यमंत्री बने भुवन चंद्र खंडूरी इस आवास में गये ही नहीं.
आवास में रहने से परहेज करते हैं मुख्यमंत्री
दिलचस्प है कि मुख्यमंत्री आवास में रहने से परहेज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और तीरथ सिंह रावत भी लंबे समय तक पद पर नहीं बने रह पाए. हरीश रावत 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में हारकर सत्ता से बाहर हो गए. इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में रहने की बजाय उसे कोविड केयर सेंटर के रूप में तैयार करने की घोषणा की. लेकिन उसके पूरा होने से पहले ही चार महीने से भी कम समय तक पद पर रहने के बाद उनकी विदाई हो गई.
शानदार है देहरादून का मुख्यमंत्री आवास
देहरादून में मुख्यमंत्री का आवास बेहद शानदार क्षेत्र में बना हुआ है. घर के दो बड़े दरवाजे हैं, जिसे पहाड़ी शैली से बनाया गया है. मुख्य दरवाजे के अंदर दाखिल होते हुए बड़ा सा बगीचा है. जिसमें तरह-तरह के महंगे पेड़ पौधे और पाम के पेड़ लगे हुए हैं. पहाड़ी शैली से मुख्य दरवाजे के बाद मुख्य बिल्डिंग बनी हुई है. महंगी लकड़ियों से खिड़की और दरवाजे बनाए गए हैं. अंदर दाखिल होते हुए चमचमाती टहल और राजस्थानी पत्थरों से किए गए काम नजर आते हैं. मुख्यमंत्री के दफ्तर को बेहद शानदार तरीके से बनाया गया है. दफ्तर के अलावा मुख्यमंत्री के घर में भी दो बड़े-बड़े ऑफिस हैं, जहां पर बैठकर के मुख्यमंत्री अपने काम देखते हैं. पब्लिक के लिए एक बड़ा हॉल है, जहां पर सोफे और कुर्सियां रखी हुई हैं. घर के बैक साइड में ही मुख्यमंत्री का दफ्तर है.
एनडी तिवारी के कार्यकाल में हुआ था आवास का निर्माण
देहरादून में गढ़ी कैंट में राजभवन के बराबर में बने मुख्यमंत्री आवास का निर्माणकार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था. हालांकि, जबतक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता उसके पहले ही उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया. इसके बाद 2007 में बीजेपी की सरकार बनी और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूड़ी को मिली. इस अधूरे बंगले को खंडूड़ी ने तैयार कराया. मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने ही इस बंगले का उद्धाटन किया लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. ढाई साल बाद ही उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई.