
टीवी और बड़े पर्दे के मंझे हुए कलाकार मुकुल देव का दिल्ली में निधन हो गया है. उनकी उम्र 54 साल थी. उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में स्थानांतरित किया गया था, जहां उनका इलाज किया गया. वह 54 साल के थे और उनके भाई राहुल देव उनके साथ हैं.
मुकुल के साथ ‘सन ऑफ सरदार’ में काम करने वाले विंदू दारा सिंह ने इंडिया टुडे से उनके निधन की खबर की पुष्टि की. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि मुकुल आने वाली फिल्म 'सन ऑफ सरदार-2' में खुद को बड़े पर्दे पर नहीं देख पाएंगे.
कौन थे मुकुल देव?
नई दिल्ली में जन्मे मुकुल देव के पिता हरि देव एक एसीपी थे. मुकुल और उनके भाई राहुल देव दोनों ने ही मनोरंजन जगत में करियर बनाने का फैसला लिया. एक एक्टर के तौर पर मुकुल को उनका पहला चेक स्कूल में मिला, जहां उन्होंने दूरदर्शन की ओर से आयोजित एक शो में माइकल जैक्सन को श्रद्धांजलि दी थी.
मुकुल ने अपना करियर टीवी से शुरू किया था. उन्होंने 1996 में मुमकिन सीरियल में विजय पांडे का किरदार निभाया था. वह दूरदर्शन के 1995 के शो 'एक से बढ़कर एक' में भी थे. वह फियर फैक्टर इंडिया सीज़न 1 के मेजबान भी थे. उन्होंने 2000 के दशक में कहीं दिया जले कहीं जिया (2001), कहानी घर घर की (2003), प्यार जिंदगी है (2003) जैसे कई टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया. उन्होंने 2008 में एक डांस शो 'कभी कभी प्यार कभी कभी यार' में भी हिस्सा लिया.
सुष्मिता सेन के साथ शुरू किया फिल्मी सफर
मुकुल ने 1996 में दस्तक के साथ एसीपी रोहित मल्होत्रा के रूप में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. उसी फिल्म में मिस यूनिवर्स 1994 सुष्मिता सेन ने भी बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसके बाद मुकुल ने किला (1998), वजूद (1998), कोहराम (1999) और मुझे मेरी बीवी से बचाओ (2001) जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया.
हाल के वर्षों में वह यमला पगला दीवाना (2011), सन ऑफ सरदार (2012), आर... राजकुमार (2013) और जय हो (2014) जैसी फिल्मों में दिखाई दिए. वह सन ऑफ सरदार-2 के लिए शूटिंग कर चुके थे. विंदू दारा सिंह ने इंडिया टुडे से कहा कि अपने माता-पिता के निधन के बाद मुकुल अकेले पड़ गए थे और घर से बाहर भी कम ही निकलते थे.
पायलट भी थे मुकुल
मुकुल का पेशा भले ही एक्टिंग था. लेकिन वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से प्रशिक्षित पायलट भी थे. अपने आखिरी इंस्टाग्राम पोस्ट में वह बादलों के ऊपर एक प्लेन उड़ाते नजर आए थे. कैप्शन में लिखा था, "और अगर तु्म्हारा सिर भी अंधेरे के डर से फटने लगे.... तो मैं तुम्हें चांद के उस पार मिलूंगा."