अनुपम खेर
अनुपम खेर बॉलीवुड हो या हॉलीवुड तमाम फिल्मों में एक ऐसा किरदार जरूर होता है जिसके बिना फिल्म कम्पलीट नहीं मानी जाती. एक्टर- एक्ट्रेस कोई भी हो, हर फिल्म में उनका एक खास किरदार जरूर होता है. आज ऐसे ही एक सदाबहार अभिनेता यानी अनुपम खेर का बर्थडे है. अपनी एक्टिंग से फिल्मों में जान डाल देने वाले अनुपम खेर का जन्म 7 मार्च 1955 को शिमला में हुआ था. अनुपम खेर के लिए पहाड़ों से दिल्ली आना और फिर मुंबई पहुंच कर अभिनय की दुनिया में अपने पांव जमाना इतना आसान नहीं था. अमुपम खेर एक इंटरव्यू में अपने पिता की कही बात 'Failure Is an Event, Not a Person’ को याद करते हुए सुने जाते हैं. मतलब यह कि इंसान फेल नहीं होता, परिस्थितियां फेल होती हैं. सही मायनों में अनुपम पर ये बात एकदम सही बैठती है. क्योंकि ये वही अनुपम खेर हैं जिन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में सड़क पर जूते रगड़े, प्लेटफॉर्म पर रातें गुजारी, लेकिन अनुपम ने अपने सपने को कभी मरने नहीं दिया. अनुपम ने अपनी मेहनत और चाहत की बदौलत अपने सपने को साकार किया. अपने पिता की बात को जिंदगी जीने का जरिया बना कर कामयाबी हासिल करने वाले अनुपम खेर के कई वीडियो हर किसी को सोशल मीडिया पर मिल जाएंगे..जिसमें अनुपम अपनी मां के साथ दिखाई देते हैं. वीडियो देख कर ये भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि अनुपम ने मां के दिए संस्कार को भी याद रखा हुआ है.
छोटे शहर का बड़ा सितारा
साल 1984 में फिल्म 'सारांश' से बॉलीवुड में कदम रखने वाले अनुपम खेर के नाम आज 500 से भी ज्यादा हिंदी फिल्में हैं. हर फिल्म में अनुपम के खास किरदार को देखते हुए सरकार ने उन्हें 2004 में पद्मश्री और 2006 में पद्मभूषण से नवाजा. अनुपम खेर के बारे में आज उनके बर्थडे पर सबसे अहम बात का जिक्र ये करना होगा कि छोटे से शहर शिमला में पैदा होने वाले एक कश्मीरी पंडित ने घर की तंगहाली के बावजूद ना सिर्फ बड़े सपने देखे बल्कि उन सपनों को सच करने की ताकत भी रखी. बता दें कि अनुपम के घर में आमदनी बहुत कम थी, बचपन तंगहाली में बीता. बच्चों की पढाई के लिए अनुपम की मां ने गहने तक बेचे.
लेकिन इस सब का अनुपम के सपनो पर कोई असर नहीं पड़ा. शिमला में अपनी स्कूल की शिक्षा हासिल करके अनुपम ने साल 1974 में दिल्ली आए. यहां पर एनएसडी में अनुपम ने एक्टिंग के करीने सीखे. और मुंबई का रूख किया. लेकिन मुंबई जैसी महानगरी में काम मिलना उतना आसान कहां था. यहां पर अनुपम को दर -दर भटकना पड़ा. इस दौर से गुजरते वक्त अनुपम कई बार निराश भी हुए लेकिन हौसला बड़ा था, और एक लंबे संघर्ष के बाद महेश भट्ट की फिल्म 'सारांश' में काम मिला. इसमें अनुपम का किरदार 60 साल के बूढे का था. अनुपम ने इस किरदार में जान डाल दी . इस किरदार को आज भी याद किया जाता है और हमेशा किया जाएगा. यहीं से अनुपम के दिन फिरने शुरू हो गए, और अनुपम खेर एक चमकते सितारे बन गए.
अनुपम खेर की हजारों खासियतों में से एक खासियत ये भी
हम सबने गौर किया होगा कि अनुपम खेर गंजे हैं यानी उनके सर पर बाल नहीं है. जबकि बाल तो इंसान की खूबसूरती बढ़ाती है . हेयर स्टाइल से ही चेहरे की खूबसूरती निखर कर सामने आती है. लेकिन अनुपम एक ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने बिना बालों के अपनी पहचान बना डाली. अनुपम जब इंडस्ट्री में आए थे तब हेयरस्टाइल का बहुत क्रेज होता था जो कि आज भी है. एक्टर के बाल को उसके बाहरी व्यक्तित्व का अहम हिस्सा माना जाता रहा है. ऐसे में अनुपम के बालों का ना होना लोगों को उनकी खराब किस्मत का नतीजा लगने लगा. लेकिन अनुपम ने उसे अपनी खासियत बना लिया. फिल्मों में बिना विग लगाए ही काम किया. आज उनका गंजा सिर उनके व्यक्तित्व की एक खासियत बन चुका है.
बेहतर अभिनेता से बढ़ कर भी बहुत कुछ ..
बता दें कि अनुपम ने अबतक हजारों थियेटर शो और 500 से ज्यादा फिल्में की हैं. यानी अनुपम काफी बीजी रहते होंगे. दूसरी तरफ उनके वीडियोज और फोटोज देख कर ये कहना जायज है कि वो अपने परिवार को भी उतना ही वक्त देते हैं जितना एक आम इंसान को देना चाहिए. सोशल मीडिया पर अनुपम की मां दुलारी को हर कोई जानता है. वो अक्सर उनके साथ समय बिताते नजर आते हैं.
अनुपम खेर की दो शादी
अनुपम खेर ने साल 1979 में मधुमालती से शादी की थी. अनुपम खेर की ये अरेंज मैरिज थी. ये शादी ज्यादा साल नहीं चली थी. साल 1985 में अनुपम खेर ने एक्ट्रेस और चंडीगढ़ से लोकसभा सांसद किरण खेर से दूसरी शादी की थी. किरण के पहले पति से एक बेटा था, जिसे अनुपम ने अपना नाम दिया, सिंकदर खेर. किरण के लिए चुनाव प्रचार हो या फिर कैंसर की बीमारी होने के बाद उनकी देखभाल, अनुपम हर फर्ज बखूबी निभा रहे हैं.
एक्टर और एक्टिविस्ट
अनुपम एक ऐसे एक्टर हैं जो वक्त के साथ खुद को अपडेट करते रहते हैं. एक अभिनेता होने के साथ अनुपम एक बड़े एक्टिविस्ट हैं. चाहे बात महिला सशक्तिकरण की हो या फिर कश्मीरी पंडितों के हक की अनुपम हर पहलू पर अपनी बात रखते हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना के आंदोलन में अनुपम भी शामिल थे. कश्मीरी पंडितों के लिए तो उन्होंने बहुत बड़ा आंदोलन किया था. उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी और दक्षिणपंथी माना जाता है. लेकिन हाल ही में कोरोना के मुद्दे पर उन्होंने सरकार की आलोचना की थी.