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FilmyFriday Saira Banu: 12 साल की उम्र से मिसेज दिलीप कुमार बनने का देखा था ख्वाब... फिल्म पड़ोसन के लिए रखी थी ये शर्त, साहब के आखिरी वक्त तक रोज उतारती थीं उनकी नजर

सायरा बानो बॉलीवुड की उन एक्ट्रेस में शुमार हैं, जिन्होंने खूबसूरती के साथ ही एक्टिंग से सबको अपना दीवाना बना दिया. सायरा का जन्म 23 अगस्त, 1944 को भारत में हुआ था. उनकी मां नसीम बानो भी अपने समय की मशहूर एक्ट्रेस रही थीं.

Saira Banu Saira Banu

इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की सबसे जानी-मानी एक्टेसेज में से एक सायरा बानो आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. सायरा बानो ने महज 16 साल की उम्र में एक्टिंग की शुरुआत की थी. सायरा की मां नसीम बानो 40 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस थीं. उनकी मां हिंदी सिनेमा की पहली सुपरस्टार कहा जाता है. जब सायरा 3 साल की थीं तो भारत-पाकिस्तान बंटवारे में उनके पिता परिवार को छोड़कर पाकिस्तान चले गए. बचपन से सायरा बानो ने सिर्फ दो ही ख्वाब देखे. पहला मां की तरह ब्यूटी क्वीन बनना और दूसरा खुद से 22 साल बड़े दिलीप कुमार से निकाह करना. किस्मत देखिए सायरा के दोनों ही ख्वाब पूरे हुए.

लंदन से की थी पढ़ाई
सायरा बानो का जन्म 23 अगस्त 1944 को मसूरी में हुआ था. उनके पिता का नाम मियां-उल-हक था जोकि एक फिल्म प्रोड्यूसर थे. मां नसीमा बानो खुद एक एक्ट्रेस थीं और बेटी को हीरोइन बनाने के लिए उन्होंने खुद के करियर कुर्बानी दे दी. सायरा महज 3 साल की थी, जब 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे में उनके पिता ने पाकिस्तान को चुना. मां नसीम बानो ने उनके साथ पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया और बच्चों के साथ इंग्लैंड रहने चली गईं. हालांकि इंग्लैंड में जब कमाई का कोई जरिया नहीं मिला तो उनकी मां भारत वापस आ गईं. सायरा अपनी मां को देखकर हीरोइन बनने का ख्वाब देखती थीं लेकिन उनकी मां इसके खिलाफ थीं. नसीमा चाहती थीं कि सायरा एक वकील या डॉक्टर बनें. उन्होंने उन्हें पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया. सायरा सिर्फ स्कूल की छुट्टियों में भारत आया करती थीं. सायरा बानो ने अपनी पढ़ाई लंदन से पूरी की थी. द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वो लंदन के एक जाने-माने स्कूल में पढ़ती थीं.

सायरा बानो की नानी शमशाद बेगम एक ट्रेन्ड क्लासिकल सिंगर थीं. दरअसल, सायरा अपनी दादी के बहुत करीब थीं और उन्होंने उनसे गायन की शिक्षा ली थी. वह उनके नक्शेकदम पर चलना चाहती थीं. सायरा बानो ने दिलीप साहब को इम्प्रेस करने के लिए उर्दू भी सीखनी शुरू कर दी थी.

16 साल की उम्र में पहली फिल्म
जब भी सायरा छुट्टियों में लंदन से भारत आती थीं तो कोई न कोई प्रोड्यूसर उनके घर फिल्म का ऑफर लेकर पहुंच जाता था. लेकिन उनकी मां हमेशा इनकार कर देती थीं क्योंकि वो नहीं चाहती थीं कि सायरा हीरोइन बनें. जब सायरा 16 साल की थी तो उन्हें शम्मी कपूर के अपोजिट फिल्म जंगली ऑफर हुई थी. सायरा की जिद के बाद वो उनके फिल्म में रोल के लिए राजी हो गईं. फिल्म की आधी शूटिंग उन्होंने पहली छुट्टी में की और फिर लंदन लौट गईं. जब दूसरे साल स्कूल की छुट्टी हुई तो उन्होंने बची हुई फिल्म पूरी की. सायरा की मां नसीम बानो जानती थीं कि अगर वो फिल्मों में आती रहीं, तो लोग उनकी सायरा की तुलना उनसे करते रहेंगे, इसलिए उन्होंने खुद 1957 से हिंदी फिल्मों में काम करना छोड़ दिया.

फिल्म जंगली जबरदस्त हिट साबित हुई और इससे सायरा को देशभर में पहचान मिल गई. फिल्म के साथ इसके गानें चाहे कोई मुझे जंगली कहे, मैं कश्मीर की कली हूं और अई अयैया सुकू सुकू जबरदस्त हिट रहे थे. आगे उन्होंने ब्लफ मास्टर, झुक गया आसमान और आई मिलन की बेला, पूरब पश्चिम जैसी कई हिट फिल्मों के साथ खूब नाम कमाया.

दिलीप साहब से शादी की जिद की
एक बार सायरा मां के साथ घर पर महबूब खान के निर्देशन में बनी फिल्म आन देख रही थीं. उस फिल्म में दिलीप कुमार हीरो के किरदार में थे. फिल्म में दिलीप साहब का दमदार रोल सायरा को इतना पसंद आया कि वो मां के सामने जिद करने लगीं कि वो दिलीप साहब से ही शादी करना चाहती हैं. 12 साल की सायरा की ये जिद सुनकर नसीम बानो हंस पड़ीं. उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि उनकी कही बात सच साबित हो जाएगी. दिलीप कुमार ने 1966 में सायरा बानो से शादी कर ली. जिस समय दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी हुई थी उस समय सायरा बानो 22 और दिलीप साहब 44 साल के थे.

मरते दम तक उतारती रहीं नजर
कई लोगों को नहीं पता होगा लेकिन सायरा बानो रोजाना दिलीप कुमार की नजर उतारा करती थी. ऐसा इसलिए क्योंकि दिलीप साहब की मां और दादी भी उनकी नजर उतारती थीं. दरअसल कभी एक बाबा ने उनकी दादी और मां से कहा था कि 15 साल की उम्र तक इस बच्चे को बुरी नजर से बचाकर रखना, इसलिए उन्हें नजर से बचाने के लिए वो लोग उनके माथे पर राख लगाते थे. जब सायरा उनकी जिंदगी में आईं तो वो रोजाना उनके नाम पर सदका करने लगीं और रोजाना किसी गरीब को या तो खाना खिलाती थीं या तो उसे राशन देती थीं. सायरा बानो का मानना था कि दिलीप साहब बचपन से ही बेहद खूबसूरत हैं और उन्हें नजर जल्दी लगती है.