
Anna Marie Gueizelor: Photo: National Film Archive of India
Anna Marie Gueizelor: Photo: National Film Archive of India गानों और डांस सीक्वेंस के बिना हिंदी फिल्मों की कल्पना करना मुश्किल है. तीन घंटे की फिल्म में बस चंद मिनट के लिए डांसर्स आती हैं और दर्शक जमकर तालियां पीटते हैं. हिंदी सिनेमा के अतीत में झांके तो बहुत सी डांसर्स के नाम उभर कर आते हैं. जब बात डांस की हो आइटम गर्ल की चर्चा होना स्वाभाविक है. भारत की पहली मशहूर डांसर जिनकी पहचान आइटम गर्ल के रूप में होती थी वो हेलेन या कुक्कू नहीं बल्कि ऐना मैरी यानी अजूरी (Anna Marie Gueizelor) थीं. अजूरी के बारे में बेहद कम लिखा और पढ़ा गया है.
मैडम अजूरी थीं भारत की पहली आइटम गर्ल
Anna Marie को मैडम अजूरी भी कहा जाता है. अजूरी ने अपनी पूरी जिंदगी डांस के नाम कर दी. भारत में रहीं तो आइटम गर्ल कहलाईं और पाकिस्तान गईं तो क्लासिकल डांस से लोगों को रूबरू कराया. बैंगलोर में जन्मी अजूरी की मां नर्स थीं और उनके पिता जर्मन डॉक्टर थे. अजूरी अपने माता-पिता के डिवोर्स के बाद पिता के साथ रहीं. पिता चाहते थे कि बेटी डॉक्टर बने लेकिन अजूरी तो डांस में रुचि रखती थीं. धीरे-धीरे उन्होंने बैले डांस और पियानों की ट्रेनिंग लेनी शुरू की. बॉम्बे आने के बाद टर्किश लेखक और एक्टिविस्ट खालिदा अदीब खानम के संपर्क में आईं, उन्होंने ही Anna Marie का नाम अजूरी रखा.
ये शॉट देकर बनीं आइटम गर्ल...
पिता की मौत के बाद अजूरी ने खुद को डांस में पूरी तरह से झोंक दिया. एक फिल्म के ऑडिशन में उनसे घड़ा लेकर लहराते हुए चलने को कहा गया...अजूरी ने बड़ी ही बेबाकी से ये सीन किया. इसके बाद फिल्मों में डांस उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया. 1935 से 1947 तक वो भारतीय सिनेमा में डांस नंबर्स करती रहीं और आइटम गर्ल बनकर मशहूर भी हुईं.

अजूरी की पहली फिल्म 'नादिरा' थी, जो 1934 में बनी थी. उन्होंने जेंटलमैन डाकू (1938), चाबुकवाली (1938), वतन (1938), भू कैलाश (1938), नई दुनिया (1942), परवाना (1947) जैसी फिल्मों में डांस नंबर्स किए. भारत में उनकी आखिरी फिल्म 'बहाना' थी, जो 1960 में रिलीज हुई थी. 1960 में वह अपने पति के साथ पाकिस्तान चली गईं. वहां जाकर उन्होंने क्लासिकल डांस एकेडमी खोली, जहां वो लड़कियों का डांस सिखाती थीं. धीरे-धीरे उन्होंने फिल्मों में काम करना कम कर दिया. 1998 में पाकिस्तान में उनकी मौत हो गई.
किस्से दूसरी आइटम गर्ल के...
अजूरी के बाद अगर किसी आइटम गर्ल की चर्चा होती है तो वो हैं कुक्कू. कुक्कू मोरे एक ऐसी डांसर थीं जो अपने पहनावे और खर्चीले ढंग के लिए जानी जाती थीं. वो एंग्लो इंडियन परिवार से ताल्लुक रखती थीं. डांस करतीं तो उनकी शरीर रबर की तरह बैंड हो जाता. कुक्कू ने भारत को कैबरे डांस से रूबरू कराया. उस जमाने में भी कुक्कू एक डांस नंबर के लिए 6 से 7 हजार रुपये तक लेती थीं. उनकी शानो-शौकत ऐसी थी कि उनके कुत्ते भी गाड़ी पर चलते थे. वो कुक्कू ही थीं जिन्होंने इंडस्ट्री को हेलेन जैसी डांसर दी. हेलन जब नौकरी ढूंढ रही थीं तब कुक्कू ने ही उन्हें फिल्मों में कोरस डांसर का काम दिलाया था.

डांस नंबर के जरिए हिट हुईं हेलेन
1950-60 के दशक में हेलेन टॉप आइटम गर्ल बनकर उभरीं. 1952 में रिलीज हुई फिल्म अलिफ लैला में पहली दफा हेलेन को सोलो डांसर के तौर पर काम मिला. 'मेरा नाम चिन चिन चू', 'यम्मा यम्मा', 'ओ हसीना जुल्फों वाली', 'मोनिका, ओ माय डार्लिंग' जैसे आइटम नंबर्स देने वाली हेलेन ने कैबरे डांस को खूब लोकप्रिय बनाया. आलम ये था कि लोग सिर्फ हेलेन का डांस देखने के लिए ही फिल्म की टिकट खरीदते थे.

हेलेन के बाद स्क्रीन पर बिंदू, अरुणा ईरानी जैसी एक्ट्रेसेस डांस नंबर करती दिखीं. 90 के दशक में कल्पना अय्यर, शिल्पा शेट्टी, मलाइका अरोड़ा, राखी सावंत जैसी एक्ट्रेसेस ने डांस नंबर कर लोगों का दिल जीता. फिर वक्त बीतता गया और अब कटरीना कैफ, करीना कपूर, प्रियंका चोपड़ा और नोरा फतेही जैसी एक्ट्रेस भी डांस नंबर करने से परहेज नहीं करती हैं.