Tirich Poster Release 
 Tirich Poster Release OTT प्लेटफार्म्स पर अपनी धमक दिखा चुके पंचायत वेब सीरीज के विकास यानी चंदन रॉय जल्द ही एक फीचर फिल्म में नजर आने वाले हैं. इस फिल्म का पोस्टर दिल्ली के PVR प्लाजा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिवील किया गया.चंदन रॉय इस फिल्म में मुख्य किरदार में नजर आएंगे. ये फिल्म मशहूर उपन्यासकार उदय प्रकाश की लिखी कहानी 'तिरिछ'पर आधारित है. इस फिल्म को निर्देशित करेंगे युवा फिल्मकार संजीव के झा. पोस्टर लॉन्च के अवसर पर ये तीनों लोग मौजूद थे.
पोस्टर लॉन्च के वक्त चंदन रॉय ने कहा कि मैंने ये कहानी स्कूल के दिनों में पढ़ी थी लेकिन मैं ये सोच नहीं पा रहा था कि इस कहानी पर फिल्म कैसे बनेगी.लेकिन जब निर्देशक और स्क्रीनप्ले राइटर संजीव के झा ने मुझे इस कहानी के एक दर्जन शेड्स समझाए तो मुझे लगा कि इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए. फिर कहानी जो सामने आई उसने मुझे और उत्साहित किया.
कई फिल्में लिख चुके हैं संजीव
फिल्म के निर्देशक संजीव के झा ने कहा कि ये फिल्म एक तरफ पिता-पुत्र के अनकहे रिश्ते की कहानी भी बयान करती है तो दूसरी तरफ समाज को एक नए नजरिए से देखती है.ये एक तरह से एक जान गंवा रहे वैसे इंसान की कहानी है जिसे पता नहीं चल रहा कि उसके साथ क्या हो रहा है. संजीव ने इससे पहले सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणिती चोपड़ा स्टारर 'जबरिया जोड़ी'और अमित साध अभिनीत 'बैरोट हाउस'जैसी फिल्में लिखी हैं.संजीव की लिखी मराठी फिल्म सूमी ने पिछले साल दो नेशनल अवार्ड हासिल किए थे.
कब शूट होगी फिल्म
अपनी कहानी और संजीव के बारे में बात करते हुए उपन्यासकार उदय प्रकाश ने कहा कि मुझे अपनी कहानी तिरिछ बहुत पसंद है लेकिन मुझे लगता था कि इस कहानी पर फिल्म बनाना काफी चैलेंज हो सकता है.लेकिन संजीव के झा की लगन और सोचने के तरीके से लगा कि इसे संजीव जैसा निर्देशक बेहतर तरीके से पर्दे पर उतार सकता है.निदेशक संजीव के झा ने आगे परियोजना के तकनीकी पहलुओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि अनुमानित समयरेखा के अनुसार,फिल्म को आदर्श रूप से इसी साल शूट और रिलीज़ किया जाएगा. झा ने यह भी कहा कि निर्माता इसे ओटीटी प्लेटफार्मों पर रिलीज करने के बजाय पहले थ्रिएटर रिलीज करना चाहेंगे.
क्या है कहानी?
दरअसल तिरिछ छिपकिली की तरह का एक प्राणी है जो सांप की तरह या उससे ज्यादा जहरीला होता है और ये होता भी है या नहीं इस पर हमेशा से विवाद रहा है. ये कहानी सच और मिथक के बीच पिसते इंसान और उसके तिल तिल मरने की कहानी है. चालीस साल पहले लिखी गई ये कहानी गांव और शहर के बीच के द्वंद्व को भी दर्शाती है. ऐसी कहानी को पर्दे पर देखना निश्चित ही दिलचस्प होगा.