
शिक्षा में इतिहास की अहम भूमिका होती है. यह विषय छात्रों को उनके कलचर के बारे में बताता है. साथ ही यह भी बताता है कि किस प्रकार उनकी पीढ़ी बदली है. भारत की बात करें तो भारत को इतिहास ब्रिटिश काल में कैसा था, उसके बाद भारतीयों का जीवन कैसा रहा, सती प्रथा, आजादी की लड़ाई आदि इस सब के बारे में छात्र केवल इतिहास पढ़ने से ही जान पाएंगे. इसके अलावा हिंदी सिनेमा में भी कई ऐसी फिल्में बनीं हैं जिससे लोगों को इतिहास के बारे में पता चलता है.
लेकिन हाल ही एनसीईआरटी से इतिहास में मुगलों से जुड़े इतिहास को हटाया गया. जिससे भारत में वह काल जिसमें मुगलों ने भारत में राज किया उसके बारे में छात्र नहीं जान पाएंगे. लेकिन क्या ऐसा करना सही था या गलत इसपर अभिनेता आर माधवन ने टिप्पणी की है.
बढ़ सकती हैं मुश्किलें
आर माधवन टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि मेरे विचार रखने से मेरी मुश्किलें बढ़ सकती हैं, लेकिन मैं फिर भी कहूंगा. वह कहते हैं कि उन्होंने अपने स्कूल के दौरान इतिहास में मुगल, ब्रिटिश काल और आजादी की लड़ाई जैसे कई मुद्दों को पढ़ा.
वह कहते हैं कि इस सब पर करीब 8 चैप्टर थे, लेकिन दक्षिण के किंगडम पर केवल एक चैप्टर. वह बताते हैं कि चोला राज करीब 2400 साल तक चला जबकि मुगल और ब्रिटिश राज केवल 800 साल, इसके बावजूद मुगल और ब्रिटिश राज को ज्यादा पढ़ाया गया.
भाषा पर उठाया सवाल
माधवन कहते हैं तमिल काफी पुरानी भाषा है. इसके बारे में लोग ज्यादा जानते हैं और यह काफी बोली जाती है. लेकिन सिलेबस में इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया. आखिर किसने तय किया कि सिलेबस में क्या पढ़ाया जाए और क्या नहीं. वह कहते हैं कि इस तरह का सिलेबस रखने से हमारी संस्कृति के पीछे छिपे वैज्ञानिक ज्ञान को छिपाया गया है.
जलियावाला बाग पर माधवन का जवाब
जलियावाला बाग पर माधवन कहते हैं कि ब्रिटिश राज के हिसाब से देखें को ब्रिटिश की किताबों में शायद इस हादसे को इस तरह से पेश किया गया होगा कि जरूर हमारी ही कोई गलती होगी इसलिए ऐसा हुआ.