रिक्शा चालक के IAS बेटे से प्रेरित है यह फिल्म, एक्टर इमरान जाहिद ने बताया क्यों खास है यह कहानी
रिक्शा चालक के IAS बेटे से प्रेरित है यह फिल्म, एक्टर इमरान जाहिद ने बताया क्यों खास है यह कहानी जिल्लत इंसान से क्या कुछ नहीं करवा देती है. इस जिल्लत से शुरू हुई कहानी है दिल्ली के आईएएस ऑफिसर गोविंद जायसवाल की कहानी. गोविंद जायसवाल की कहानी से प्रेरित मूवी "अब दिल्ली दूर नहीं" नाम की मूवी 12 मई को रिलीज हो रही है. इस फिल्म में एक्टर इमरान जाहिद ने gnttv.com से खास बातचीत की है. अपने इस इंटरव्यू में इमरान ने इस मूवी के कई पहलुओं को खोला है. कमल चंद्र के डायरेक्शन और दिनेश गौतम की लिखी गई ये फिल्म बिहार के एक सिंपल और भोले गांव के लड़के की कहानी है. जो जीवन में सफलता और असफलता के मायनों पर बात करती है.
मजबूत संदेश देने का है उद्देश्य
जीएनटी से बात करते हुए इमरान ने कहा, "यह गोविंद जायसवाल की बायोपिक नहीं है, बल्कि उनके जीवन से प्रेरित है. हम एक रियल लाइफ इशू की तलाश कर रहे थे, जो दर्शकों को एक मजबूत संदेश दे, क्योंकि मेरा मानना है कि सिनेमा हमारे समाज का आईना है. इसलिए हम चाहते थे कुछ ऐसा बनाए, जिससे लोग प्रेरित हो सकें. हमने आज के युवाओं के लिए एक इंस्पिरेशनल फिल्म बनाने का के बारे में सोचा, जो किसी के दिल में प्रेरणा और एक राग पैदा कर सके."
यूपीएससी एस्पायरेंट्स के बीच रहे हैं इमरान
रियल लाइफ से इंस्पायर एक कैरेक्टर निभाने की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "एक वास्तविक जीवन के नायक की भूमिका निभाना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था, जो बहुत ही हम्बल बैकग्राउंड से आता है. इसलिए एक एक्टर के तौर में आपको उस कैरेक्टर की बारीकियों को समझने की जरूरत है. मैंने अपनी शिक्षा दिल्ली के नॉर्थ कैंपस विश्वविद्यालय से पूरी की है, कई यूपीएससी उम्मीदवारों के कारण उस पूरे क्षेत्र और आस-पास के इलाके को आईएएस जोन कहा जाता है. तो आप कह सकते हैं कि मैं कई यूपीएससी उम्मीदवारों के साथ रहा हूं और इससे मुझे निरीक्षण करने और देखने में काफी मदद मिली. साथ ही इस कहानी को फिल्म के तौर पर लाने का मकसद केवल ये था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस कहानी तक पहुंचाया जा सके.
इमरान महेश भट्ट को अपना मेंटर मानते हैं, और उनके कई सारे थिएटर शो भी कर चुके हैं. गोविंद बताते हैं कि बिहार का बैकग्राउंड होने के कारण इस कैरेक्टर को अपनाना काफी आसान था. गोविंद जायसवाल से अपनी मुलाकात के बारे में बात करते हुए इमरान बताते हैं कि, "जब मैंने उनसे पूछा कि आप आईएएस बनने से पहले क्या सोचते थे तो उन्होंने बोला कि मैं सोचता था जब मैं आईएएस बन जाऊंगा तो मेरे डाइनिंग टेबल पर एक फ्रूट का बास्केट रखा हो."
कौन हैं गोविंद जायसवाल?
गोविंद जायसवाल ने 2006 में यूपीएससी एग्जाम क्वालीफाई किया और ऑल इंडिया 48 रैंक हासिल की. गोविंद जायसवाल यूपी के वाराणसी के रहने वाले हैं. फिलहाल वो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक के पद पर तैनात हैं. गोविंद ने बचपन से अपने परिवार को कई संघर्षों से गुजरते देखा है. उनके इस कठिन सफर में उनके पिता और उनकी बहनों ने उनका काफी साथ दिया. उनके त्याग और आर्शीवाद के बिना वो अपनी जिंदगी के इस मुकाम तक कभी नहीं पहुंच पाते.
गोविंद के पिता नारायण ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष किया. 1995 में, नारायण के पास 35 रिक्शा थे लेकिन उनकी पत्नी की बीमारी के कारण उन्हें अपने 20 रिक्शा बेचने पड़े. हालांकि, उन्हें बचाया नहीं जा सका और 1995 में उनका निधन हो गया. बाद में जब गोविंद ने 2004-2005 में यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया, तो परिवार को पैसों की कमी का सामना करना पड़ा. नारायण ने तब गोविंद के सपने को पूरा करने के लिए अपने 14 रिक्शा बेचने का फैसला किया और उनके पास सिर्फ एक रिक्शा बचा था जिसे वो खुद चलाते थे.
गोविंद जहां हैं, वहां पहुंचने के लिए उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है. गोविंद की पढ़ाई के लिए उनके पिता एक रिक्शा मालिक से रिक्शा चालक बन गए. पैरों की तकलीफ होने के बावजूद भी हो रिक्शा खींचते और पैसे कमाकर गोविंद की पढ़ाई पर खर्च करते. वहीं फिल्म के लीड एक्टर जाहिद ने अपने कैरेक्टर की तैयारी के दौरान गोविंद से मिलने के बारे में बात करते हुए कहा, "एक रियल लाइफ कैरेक्टर की भूमिका निभाना वास्तव में चुनौतीपूर्ण था, जो बहुत ही हम्बल बैकग्राउंड से आता है. इसलिए एक अभिनेता के तौर पर आपको उस किरदार की बारीकियों को समझने की जरूरत है.
अब दिल्ली दूर नहीं की मुख्य शूटिंग दिल्ली में की गई थी और दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के परिधानों को तिहाड़ जेल के कैदियों ने डिजाइनर विंकी सिंह के मार्गदर्शन में डिजाइन किया है.