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खेतों में काम, ईंट भट्टे पर मजदूरी... 15 साल तक दिहाड़ी मजदूर... अब डॉक्टर बनेगा आदिवासी युवक Krushna chandra Ataka

ओडिशा के रायगड़ा के रहने वाले खेतिहर मजदूर कृष्णचंद अटाका अब मेडिकल की पढ़ाई करेंगे. वो कोंध जनजाति समुदाय से आते हैं. अटाका ने 15 साल तक मजदूरी की और उसके बाद मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी शुरू की. उन्होंने NEET पास किया और अब मेडिकल की पढ़ाई करेंगे.

15 साल तक मजदूरी करने वाले आदिवासी युवक कृष्ण चंद अटाका मेडिकल की पढ़ाई करेंगे 15 साल तक मजदूरी करने वाले आदिवासी युवक कृष्ण चंद अटाका मेडिकल की पढ़ाई करेंगे

ओडिशा में आदिवासी समुदाय से आने वाले एक युवक ने 15 सालों तक मजदूरी की. उसके बाद पढ़ाई को अपना हथियार बनाया. अब जब वो शख्स 33 साल का हो गया है तो मेडिकल की पढ़ाई करने जा रहा है. इस शख्स का नाम कृष्णचंद अटाका है. कृष्णचंद ने एनईईटी की परीक्षा पास की है. उनको एक हफ्ते के भीतर कालाहांडी में भवानीपटना के शहीद रेंडो मांझी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करेंगे.

रायगड़ा के रहने वाले हैं कृष्णचंद-
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक खेतिहर मजदूर कृष्णचंद अटाका कोंध जनजाति से आते हैं. वो रायगड़ा जिले के बिस्समकटका ब्लॉक के थुआपाडी गां के रहने वाले हैं. अटाका ने 13 सालों तक खेतों में काम किया. इसके बाद 2 साल तक वो प्रवासी मजदूर रहे. लेकिन इसके बाद उन्होंने पढ़ाई की तरफ रूख किया और मेडिकल की तैयारी शुरू की. उन्होंने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए नेशनल इलिजिबिलिटी-कम-इंट्रेंस टेस्ट पास की. अब उनको मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलने वाला है. 

परिवार के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन-
कृष्णचंद अटाका के पिता के पास सिर्फ एक एकड़ जमीन है. जिसमें उनको 5 बच्चों की परवरिश करनी है. जिसमें कृष्णचंद सबसे बड़े हैं. साल 2006 में अटाका ने 10वीं की परीक्षा 58 फीसदी अंक से साथ पास की. अगर एक एनजीओ ने उनके बोर्डिंग और फीस की जिम्मेदारी नहीं उठाई होती तो वो बरहमापुर के खलीकोट जूनियर कॉलेज में हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन नहीं ले पाते.

साल 2008 में पढ़ाई छोड़ लौटे गांव-
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक कृष्णचंद ने बताया कि जब मेरे माता-पिता गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब मेरी पढ़ाई गौण हो गई थी. उन्होंने बताया कि मेरे तीनों छोटे भाइयों ने काम करना शुरू कर दिया था. एक ने मोटर मैकेनिक, दूसरे ने राजमिस्त्री औ तीसरे ने खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करना शुरू किया था. इस दौरान कृष्णचंद को बीएससी केमिस्ट्री ग्रेजुएट डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन मिल गया था. लेकिन साल 2008 में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और वापस गांव लौट आए, ताकि वो भी घर के लिए कुछ कमा सकें. 

केरल में ईंट भट्टा पर किया काम-
रिपोर्ट के मुताबिक अटाका ने बताया मैंने खेत में कठिन परिश्रम किया. लेकिन रोजाना सिर्फ 100 रुपए कमा पाता था. इसलिए मैं साल 2012 में केरला चला गया और ईंट भट्टे पर काम करने लगा. पहले कुछ महीनों तक पेरुंबवूर में अटाका की कुछ खास कमाई नहीं हुई. इसलिए वो कोट्टायम में एक माचिस निर्माण इकाई में चले गए. साल 2014 में अटाका अपने गांव लौट आए और खेती करने लगे.

साल 2021 से शुरू की तैयारी-
कृष्णचंद ने बताया कि साल 2021 में उन्होंने एक ट्रेनिंग कोर्स में दाखिला लिया. इसके बाद मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबें खरीदना शुरू किया. उन्होंने कहा कि साल 2022 में उन्होंने टेस्ट पास किया. लेकिन एक बार फिर पैसे की तंगी समस्या बन गई. उन्होंने काउंसलिंग तक नहीं कराई. साल 2023 में एक बार फिर कृष्णचंद अटाका ने NEET क्रैक किया और 718996 आल इंडिया रैंक हासिल किया. 
इस बार अटाका मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने उधार के लिए गांव के साहूकार से संपर्क किया. एडमिशन के लिए 37950 रुपए के लिए साहूकार ने ब्याज नहीं लेने की बात कही. इस बार अटाका को फैमिली का भी समर्थन मिला.

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