
21 अक्टूबर यानी आज बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता शम्मी कपूर की बर्थ एनिवर्सरी (Shammi Kapoor Birth Anniversary) है. शम्मी कपूर बॉलीवुड (Bollywood) के वैसे अदाकार माने जाते हैं जिनके बिना फिल्म इंटस्ट्री का जिक्र अधूरा सा लगता है. बात शम्मी कपूर की हो रही है तो उनके डांस मूव को याद ना करना एक बेईमानी ही होगी. गाना याहू .. हो या बदन पर सितारे लपेटे हुए , इन गानों में शम्मी के डांस मूव अलग ही जलवा बिखेरते नज़र आते हैं. शम्मी कपूर की अदायगी देख कौन उनका कायल ना हो जाए, एनर्जी से भरपूर शम्मी कपूर का दीवाना कौन ना हो जाए.
अपने यूनिक स्टाइल से सबको अपना फैन बनाने वाले शम्मी कपूर की पैदाइश 21 अक्टूबर 1931 को हुई थी. मुंबई में जन्मे शम्मी कपूर का कुछ वक्त पेशावर, पाकिस्तान में पुश्तैनी कपूर हवेली में बीता. बाद में वह कुछ वक्त कोलकाता (तब कलकत्ता ) में बिताया. बाद में शम्मी जब मुंबई आए और उनका एडमिशन सेंट जोसेफ कॉन्वेंट और फिर डॉन बॉस्को स्कूल में हो गया. और फिर आया साल 1948, जब शम्मी कपूर ने बॉलीवुड में बाल कलाकार का रोल किया.
किस्सा शम्मी कपूर और नूतन के बचपन के प्यार का
1953 में आई लैला मजनू किस को याद नहीं होगी. नूतन के साथ शम्मी कपूर की दोस्ती इसी फिल्म से शुरू हुई थी. पड़ोसी होने की वजह से दोनों एक साथ खेलते थे, और ज्यादा वक्त एक दूसरे के साथ ही बिताते थे. बड़े होने पर शम्मी कपूर नूतन से शादी भी करना चाहते थे, लेकिन नूतन की मां ने मना कर दिया और दोनों के प्यार का किस्सा यहीं अधूरा रह गया.
ऐल्विस प्रेस्ले कहे जाते थे शम्मी कपूर
बात उन्ही ऐल्विस प्रेस्ले की हो रही है जो अपने बालों को काला करने के लिए शू पॉलिश का इस्तेमाल करता था, जिनसे पीएम मोदी की भी तुलना की जा चुकी है. एक दौर था जब बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर शम्मी कपूर को बॉलीवुड का ऐल्विस प्रेस्ले कहा जाता था. इसका ये बिल्कुल मतलब ना निकालें कि शम्मी कपूर ऐल्विस प्रेस्ले की कॉपी किया करते थे. ये जरूर कहा जा सकता है कि शम्मी कपूर के कुछ अंदाज एकदम ऐल्विस प्रेस्ले जैसे थे, और वो एकदम कुदरती लगते थे.
जब शम्मी कैमियो एक्ट्रेस को दे बैठे थे दिल
पर्दे पर बेपरवाही बिखेरते, को-एक्टर्स के साथ छेड़खानी करते और हंसते खेलते शम्मी कपूर की जिंदगी में वो वक्त भी आया जब 'रंगीन रातें' की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात गीता बाली से हुई, और शम्मी कपूर गीता को अपना दिल दे बैठे. आगे दोनों ने शादी भी की. लेकिन उनका ये सफर ज्यादा वक्त तक नहीं चला और साल 21 जनवरी 1965 को गीता की मौत हो गई. इस जुदाई ने शम्मी कपूर को अंदर तक झकझोर कर रख दिया. शम्मी और गीता को एक बेटा और एक बेटी भी थी. बच्चों के लिए शम्मी कपूर के घर वालों ने दूसरी शादी करने का दबाव बनाना शुरू किया और फिर शम्मी की जिंदगी में नीला देवी आईं.
जब शम्मी ने दूसरी पत्नी से लिया मां ना बनने का वादा
कहा जाता है कि शम्मी ने शादी के वक्त ही नीला देवी से कभी मां ना बनने का वादा लिया, और नीला देवी ने इस शर्त को मंजूर भी किया.
और रफी को बदलना पड़ा अपने गाने का अंदाज
एक इंटरव्यू में शम्मी मोहम्मद रफी को याद करते हुए कहते हैं कि 'मैं उनके बिना कुछ नहीं था' वे शम्मी के गानों को गाते वक्त इस बात का खास ध्यान रखते थे कि शम्मी कैसे एक्सप्रेशन दिया करते हैं. शम्मी कपूर की एक आदत थी कि वे अपने हर गाने की रिकॉर्डिंग में मौजूद हुआ करते थे. इसलिए उन्हे ये बात मालूम हुई.
शम्मी कपूर को याद करते वक्त इस बात का जिक्र जरूरी है कि शम्मी किस कदर आसानी से कैमरे के सामने एकदम सहज हो जाया करते थे, और यही उनकी सबसे बड़ी खूबसूरती थी. क्योकि कैमरे के सामने सीरियस होना तो बहुत आसान है लेकिन किसी भी एक्टर का कैमरे के सामने सहज होना बहुत मुश्किल होता है, और इसी सहजता के साथ शम्मी कपूर ने अपने अंदर सिनेमा का एक पूरा दौर समेट लिया जो कभी खत्म नहीं होगा.