
ओडिशा स्थित भारत के दूसरे सबसे बड़े चिड़ियाघर नंदनकानन में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बैटरी से चलने वाली इको-फ्रेंडली "टॉय ट्रेन" को हरी झंडी मिल गई है. ओडिशा के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री बिक्रम केशरी आरुख ने चिड़ियाघर परिसर में टॉय ट्रेन का शुभारंभ किया. कांग्रेस विधायक सुरेश कुमार राउत, चिडियाघर के निदेशक और वरिष्ठ अधिकारी समारोह में शामिल हुए.
रोपवे झूला का भी किया गया शिलान्यास
टॉय ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद वन पर्यावरण मंत्री बिक्रम केशरी आरुख ने चिडियाघर में रोपवे झूला के लिए शिलान्यास रखा. रोपवे झूला को बिना पिलर के 18 महीनों के भीतर 13 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाना है. इस झूले से पर्यटकों को चिड़ियाघर और बॉटनिकल पार्क के बीच मौजूद कांजिया झील की खूबसूरती दिखाई देगी. झूला में 12 केबिन तैयार किए जाएंगे. साथ ही प्रत्येक केबिन में 6 लोगों के बैठने की व्यवस्था की जाएगी. रोपवे झूला कांजिया झील से 36 मीटर ऊपर रहेगा और झील के साथ चिड़ियाघर और बॉटनिकल पार्क की प्राकृतिक खूबसूरती की झलक दिखाएगा.
टॉय ट्रेन में दिव्यांग पर्यटकों के लिए खास इंतजाम
बैटरी से चलने वाली इको-फ्रेंडली टॉय ट्रेन में इंजन समेत पांच डिब्बे हैं. टॉय ट्रेन की स्पीड करीब 10 किलोमीटर प्रतिघंटा है. साथ ही ट्रेन एक निश्चित स्टेशन से 15-20 मिनट में 1.5 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. ट्रेन में सफर के दौरान पर्यटक हाथी, हिरण एवं अन्य वन प्रणियों के साथ प्रकृतिक की खूबसूरती के बीच कांजिया झील का लुत्फ उठा सकेंगे. टॉय ट्रेन में कुल 72 सीटें है, साथ ही दिव्यांग पर्यटकों के लिए ट्रेन में दो व्लीचेयर की व्यवस्था की गई है. ट्रेन के प्रत्येक डब्बें में गर्मी से बचाव के लिए पंखा लगाया गया है. टॉय ट्रेन में सफर के लिए बच्चों की फीस 20 रुपया और वरिष्ठ पर्यटक के लिए 50 रुपये तय की गई है.
पहले भी संचालित हो रही थी टॉय ट्रेन
बता दें कि नंदनकानन चिड़ियाघर में टॉय ट्रेन को पहले भी संचालित किया जा रहा था लेकिन 2014 में तकनीकी खराबी होने के बाद बंद कर दिया गया. वहीं रोपवे झूला से दुर्घटना के बाद 2011 में बंद कर दिया गया था. राज्य में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नंदनकानन चिड़ियाघर में दोबारा टॉय ट्रेन कि शुरुआत की गई है, साथ ही जल्द ही रोपवे झूला को संचालित करने की योजना है.