
आमतौर पर देखा जाता है कि जब किसी मामले को कोई अस्पताल संभाल नहीं पाता तो वह मरीज़ को रेफर कर देते हैं. या फिर बेड की कमी के कारण भी मरीज़ को रेफर किया जाता है. रेफर करने से मरीज का इधर से उधर जाने में समय भी खराब होता है, साथ ही उसके परिजनों को दिक्कत का भी सामना करना पड़ता है.
हैदराबाद के सनतनगर ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ने सरकारी अस्पतालों की इमेज को बदलने के लिए एक नया कदम उठाया है. इस अस्पताल ने ठाना है कि वह हर मर्ज का इलाज अपने ही अस्पताल में करेंगे, वो भी अपने ही रिसोर्सिज से.
जीरो रेफर फ्रेम मॉडल आधारित अस्पताल
हैदराबाद के इस अस्पताल ने इस मॉडल को अपनाया है कि वह अपने संसाधनों के बल पर सभी बीमारियों से लड़ेगे. साथ ही किसी भी हाल में किसी मरीज को रेफर नहीं किया जाएगा. उसका इलाज होगा. साथ ही अगर उसे भर्ती भी करना पड़े तो अस्पताल के पास बड़ी संख्या में बैड मौजूद हैं.
किन बीमारियों का हो सकता है इलाज
अस्पताल में किडनी ट्रांस्पलांट, ओपन हार्ट सर्जनी, ब्रेन व स्पाइन सर्जनी जैसी लगभग सभी बीमारियों का इलाज मुमकिन है. जिन बीमारियों का इलाज प्राइवेट अस्पताल में लाखों रुपए में होता है, और लोग उन अस्पतालों में अपनी बीमारियों के लिए खर्च को देखते हुए जाने से कतराते हैं. उन्हीं बीमारियों का इलाज यहां बिलकुल मुफ्त में होता है.
अस्पताल में करीब 6 हजार प्रकार के टेस्ट मौजूद हैं. साथ ही मरीज़ की हालत को देखते हुए उसके अनुसार उसकी दवा में अदला-बदली भी की जाती है.
कैंसर के लिए भी है बेस्ट
यह अस्पताल मुंबई के टाटा मेमोरियल के बाद केवल एक मात्रा ऐसा अस्पताल है जहां कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचाना जा सकता है. इसमें सभी प्रकार के कैंसर शामिल हैं. शुरुआती स्टेज में कैंसर के पता लगने से उसका इलाज किया जा सकता है. साथ ही मरीज को बचाया जा सकता है.
रोजाना लगती है मरीज़ो की भीड़
एक आंकड़े के अनुसार रोज अस्पताल में 2737 मरीज ओपीडी में खुद को दिखाते हैं. 2024 में करीब 8 लाख मरीज ओपीडी में आए थे. यह अस्पताल तकनीक के मामले में भी आगे है. यहां ऐप के माध्यम से अपॉइंटमेंट बुक की जा सकती है. साथ ही किसी जांच की रिपोर्ट पर फोन पर मिल जाती है. इसके अलावा जो लोग अस्पताल नहीं आ सकते, उसके घर दवा भिजवाई जाती है.