Surrogate Mother (Representative Image/Getty Images)
Surrogate Mother (Representative Image/Getty Images) सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं के लिए गुड न्यूज है. मोदी सरकार ने उनके लिए बड़ी राहत का ऐलान किया है. अब वह 180 दिन का मातृत्व अवकाश ले सकती हैं. केंद्र सरकार ने इसके लिए 50 साल पुराने नियम में संशोधन किया है. बता दें कि मां बनने के लिए महिलाओं को 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है. लेकिन अब सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे को पालने वाली मां को भी 6 महीने की छुट्टी मिलेगी.
मिलेगा पूरा वेतन
सरोगेसी (किराये की कोख) के जरिए मां बनने वाली महिलाओं को 6 महीने की नौकरी से छुट्टी तो मिलेगी ही साथ ही पूरे 6 महीने का वेतन भी मिलेगा. हालांकि इसका फायदा अभी सरकारी महिला कर्मचारियों को ही मिलेगा. इसी तरह से अगर पुरुष पिता बने हैं तो वे भी 15 दिन की छुट्टी ले सकेंगे. बता दें कि अब तक सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं के लिए छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं था. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर सरोगेसी होती क्या है.
सरोगेसी क्या होती है ?
सरोगसी को किराये की कोख भी कहा जाता है. आसान भाषा में समझें तो इस प्रक्रिया में बच्चा पैदा करने के लिए दूसरी महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है. यानी अगर कोई महिला गर्भ धारण नहीं करना चाहती तो वह पैसे देकर कोख किराए पर ले सकती है. सरोगेसी की प्रक्रिया में महिला अपने या फिर डोनर के एग्स से प्रेग्नेंट होती है.जो महिला प्रेग्नेंट होती है उसे सरोगेट मदर कहा जाता है. हालांकि इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि बच्चे की असली मां वो नहीं होती जो पेट में बच्चे को पालती है. बल्कि वो होती है जिसने किराए पर कोख लिया है. कानूनी रुप से उन्हें कमीशंड मदर यानी अधिष्ठाता मां कहा जाता है. जन्म लेने के बाद बच्चे का पालन-पोषण कमीशंड मदर यानी असली मां करती है किराए पर कोख देने वाली नहीं.
सरोगेसी से जुड़े ये नियम जरूर जानें
अब आपके मन में सवाल होगा कि भारत में सरोगेसी को लेकर क्या कानून है तो चलिए जानते हैं.
सिर्फ शादीशुदा जोड़े ही सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन सकते हैं. उनकी उम्र पुरुष 26-55 साल और महिला 23-50 होनी चाहिए. बता दें कि अनमैरिड कपल्स, तलाकशुदा महिलाएं, विधवाएं या LGBTQIA+ जोड़े इसके योग्य नहीं हैं.