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साधारण मुस्लिम किसान ने पेश की इंसानियत की मिसाल, काली मां के मंदिर के लिए दान दी जमीन

कुछ महीने पहले तक जिस राज्य में असेंबली इलेक्शन के दौरान धर्म पर राजनीति गर्मायी हुई थी, आज उसी राज्य में हिन्दू-मुस्लिम एकता की खूबसूरत मिसाल देखने को मिल रही है. नदिया जिले के भीमपुर गांव में एक साधारण मुस्लिम किसान ने काली मंदिर बनाने के लिए अपनी जमीन दान की है. इन किसान का नाम है हन्नान मंडल. जिन्होंने अपनी 460 वर्गफ़ीट जमीन अपने हिन्दू भाईओं को दान में दी है ताकि काली मां का मंदिर बनाया जा सके. 

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हाइलाइट्स
  • पश्चिम बंगाल के गांव में कौमी एकता की मिसाल

  • मुस्लिम किसान ने दान की 460 वर्गफीट जमीन

"सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत"- बशीर बद्र 

बशीर बद्र ने यह शेर भले ही सालों पहले लिखा हो. लेकिन आज की स्थिति पर भी यह सटीक बैठता है. देश में आजकल हर दूसरा नागरिक अपने धर्म को श्रेष्ठ साबित करने में लगा है. पर सबसे श्रेष्ठ तो इंसानियत होती है, जो हर धर्म-मज़हब और जात-पात से ऊँची है. 

और इसका एक दिल छूने वाला उदाहरण देखने को मिला है पश्चिम बंगाल में. कुछ महीने पहले तक जिस राज्य में असेंबली इलेक्शन के दौरान धर्म पर राजनीति गर्मायी हुई थी, आज उसी राज्य में हिन्दू-मुस्लिम एकता की खूबसूरत मिसाल देखने को मिल रही है. 

नदिया जिले के भीमपुर गांव में एक साधारण मुस्लिम किसान ने काली मंदिर बनाने के लिए अपनी जमीन दान की है. इन किसान का नाम है हन्नान मंडल. जिन्होंने अपनी 460 वर्गफ़ीट जमीन अपने हिन्दू भाईओं को दान में दी है ताकि काली मां का मंदिर बनाया जा सके. 

इंडो-बांगला बॉर्डर पर स्थित है गांव: 

यह घटना जिस भीमपुर गांव की है, वह भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर पर स्थित है. गांव में लगभग 450 परिवार रहते हैं, जिनमें से 150 मुस्लिम परिवार हैं. बताया जा रहा है कि गांव में ज्यादातर हिन्दू परिवार बांग्लादेश से पलायन करके यहां बसे हैं. 

लेकिन गांव में सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं. कई सालों से हिन्दू परिवार बॉर्डर रोड पर एक खाली प्लॉट में काली पूजा का आयोजन करते आ रहे हैं. 

लेकिन इसके लिए हर साल काली पूजा समिति को BSF से अनुमति लेनी पड़ती है. पर इस साल जब समिति ने BSF से अनुमति मांगी तो उन्हें नहीं मिली. और इस बात से सिर्फ हिन्दू नहीं बल्कि मुस्लिम परिवार भी आहत हुए. हन्नान का कहना है कि उन्हें यह सोचकर बहुत बुरा लगा कि सिर्फ थोड़ी सी जमीन के आभाव में मां काली की पूजा नहीं हो पाएगी.

मुस्लिम किसान ने दान दी जमीन: 

हन्नान खुद बहुत पैसेवाले नहीं हैं. खेती-बाड़ी करके अपने परिवार का गुजारा करते हैं. लेकिन जब उन्हें पता चला कि इस साल मां काली की पूजा में रुकावटें आ रही हैं तो उन्होंने सोचा कि इस समस्या को हमेशा के लिए हल किया जाना चाहिए.

और इसलिए उन्होंने अपनी जमीन में से 460 वर्गफीट जमीन काली मां के मंदिर के लिए दान करने का निर्णय लिया. उनके इस एक कदम ने न सिर्फ अपने गांववालों का दिल जीत लिया बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए एक उदहारण पेश किया है. 

हन्नान के इस कदम से गांव में हिन्दू-मुस्लिम एकता और मजबूत हो गई है. गांववालों का कहना है कि कुछ महीने पहले तक अलग-अलग पार्टी के नेता आकर हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन अब उन सबको पता चल गया होगा कि गांव के लिए एकता और आपसी भाईचारे की भावना से बढ़कर कुछ नहीं है. 

बेशक, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हन्नान की यह नेकदिल पहल उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो देश को धर्म के नाम पर बाँटने की कोशिश में लगे हैं. ऐसे लोगों को हन्नान से सीख लेनी चाहिए.