
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 दूसरे दिन नेशनल सिक्योरिटी सेशन के दौरान सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने युद्ध के बदलते स्वरूप, चरित्र और भविष्य में भारतीय सेना इससे निपटने की तैयारी के बारे में बात की. सेनाध्यक्ष से जब यह सवाल किया गया कि क्या युद्ध का तरीका बदल रहा है, एमएम नरवणे ने कहा कि प्रकृति नहीं बल्कि या युद्ध का स्वरूप ही बदल रहा है.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने यह भी कहा कि कहा कि यह चिंता का विषय है कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बुनियादी ढांचे और सैनिकों जमा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर चीनी सैनिक रहने के लिए हैं, तो हम भी वहां रहने के लिए हैं.
सेना अध्यक्ष ने कहा, 'यह चिंता का विषय है कि बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है. चीनी सैनिकों ने आधारभूत संरचना का निर्माण किया. इसका मतलब है कि वे वहां रहने के लिए हैं. यदि वे वहां रहने के लिए हैं , हम भी वहां रहने के लिए हैं. हमारी तरफ से निर्माण भी होगा और विकास भी हम करेंगे. उसी तरह, जैसा पीएलए ने किया है.'
चीन ने तोड़ा है प्रोटोकॉल
लद्दाख में एलएसी के साथ भारत-चीन गतिरोध के बारे में एक सवाल के जवाब में, जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि हाल ही में, 'विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उत्तरी सीमा पर जो कुछ भी हुआ है वह चीनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निर्माण के कारण है. चीन ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया था. यही गतिरोध का कारण है.'
बदल रही युद्ध की प्रकृति
सेना अध्यक्ष नरवणे ने शनिवार को कहा कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा है. यद्यपि युद्ध का स्वरूप स्थिर रहता है. युद्ध का स्वभाव बेशक दुश्मन पर अपनी इच्छा थोपना होता है. लेकिन जिस तरह से इसे किया जाता है, युद्धों का चरित्र हमेशा बदलता रहता है.
जब एमएम नरवणे से सवाल किया गया कि सेना युद्ध के लिए किस तरह की तैयारी कर रही है, उन्होंने सेना टेक्नोलॉजी के बारे में बात की साथ ही यह भी कहा कि सेना की तैयारी, सीमाओं की अशांति पर निर्भर करती है.
भविष्य के युद्ध पर क्या बोले जनरल नरवणे?
जनरल एमएम नरवणे ने कहा, 'हमारे आगे बढ़ने के साथ टेक्नोलॉजी भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह के युद्ध हमें लड़ना है. भविष्य के युद्धों से निपटने के लिए हमें अतीत के युद्ध और अन्य संघर्ष जो चल रहे हैं, उनकी भी स्टडी करनी होगी.'
सेना को हमेशा रहना होगा तैयार!
एमएम नरवणे ने कहा, 'हमें खुद यह पता लगाना होगा कि भविष्य के किसी भी संघर्ष की रूपरेखा क्या होगी? यह सबसे बड़ी चुनौती होगी. हमें अपनी क्षमताओं और तैयारियों के बारे में ध्यान रखना होगा.'
जमीन नहीं, हवा में होगी लड़ाई!
सेना अध्यक्ष ने युद्ध की भूमिका पर बातचीत करते हुए कहा, 'एक बात साफ तौर पर इशारा कर रही है कि भविष्य के युद्ध दूर से लड़ें जाएंगे. लोग हथियारों से अधिक जूझेंगे. हवाई हमले बढ़ सकते हैं. पहले युद्ध जमीन पर लड़े जाते थे, लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं.'
सेना अध्यक्ष ने कहा कि हमारे पश्चिम और उत्तर में अस्थिर सीमाएं हैं. टेक्नोलॉजी के बारे में बातचीत करना अच्छा है लेकिन सीमाओं पर सैनिकों का टिके रहना भी जरूरी है.