Ghoomar Festival 2025
Ghoomar Festival 2025 राजस्थान में भव्य घूमर महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया गया. इस घूमर महोत्सव की खास बात ये रही कि प्रदेश के सातों संभाग में एक साथ इसे आयोजित किया गया. इसमें 6 हजार से अधिक महिलाओं ने पारंपरिक घूमर नृत्य किया. एक साथ इतनी महिलाओं का घूमर नृत्य, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया. एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने डिप्टी सीएम दीया कुमारी को इस रिकॉर्ड का सर्टिफिकेट सौंपा.
भव्य घूमर फेस्टिवल का आयोजन-
राजस्थान की लोक-संस्कृति और नारीशक्ति का अद्भुत संगम तब देखने को मिला, जब उपमुख्यमंत्री एवं पर्यटन, कला और संस्कृति मंत्री दीया कुमारी की पहल पर पहली बार पूरे राजस्थान में एक साथ 'घूमर फेस्टिवल 2025' का भव्य आयोजन किया गया. इस ऐतिहासिक उत्सव ने राजस्थान की पहचान माने जाने वाले घूमर को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में नई ऊर्जा भरी. बुधवार शाम एक ही समय पर राज्य के सभी सात संभागीय मुख्यालयों जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, उदयपुर, कोटा और भरतपुर में घूमर महोत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें कुल 6100 महिलाओं और युवतियों ने एक साथ घूमर नृत्य कर एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नया इतिहास रच दिया.
जयपुर में आयोजित हुआ मुख्य कार्यक्रम-
मुख्य कार्यक्रम जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित हुआ, जहाँ दोपहर से ही महिलाओं का मेला लगता गया. रंग-बिरंगी राजपूती पोशाकों में सजी महिलाएँ व युवतियाँ एक-दूसरे के साथ अभ्यास करती रहीं, सेल्फी लेती रहीं और पारंपरिक संगीत की लय पर झूमती रहीं. जैसे ही दीया कुमारी ने मंच पर पहुंचकर नगाड़ा बजाकर महोत्सव की शुरुआत की, पूरा स्टेडियम ताल और उत्साह से गूंज उठा. खास बात यह रही कि दीया कुमारी ने स्वयं सांसद मंजू शर्मा और अन्य गणमान्य महिलाओं के साथ घूमर कर प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया और इस परंपरा की सांस्कृतिक गरिमा को उजागर किया.
घूमर महोत्सव के लिए हुई थी खूब तैयारी-
जयपुर के इस कार्यक्रम में केवल सामूहिक नृत्य ही नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत करती कई मनोहारी प्रस्तुतियाँ भी देखने को मिलीं. कार्यक्रम की शुरुआत गणगौर डांस अकादमी की कलाकारों द्वारा 'लंजो… म्हारौ आलाजी लेता आइजो…' और 'जलाल-बिलाला…' जैसी प्रस्तुतियों से हुई, जिनमें एक विवाहित नारी की भावनाएँ, विरह, प्रेम और सोलह श्रृंगार की सुंदर झलक देखने को मिली. गणगौर की कोमलता, घूमर की चपलता और लोकसंगीत की ताल ने वातावरण को भावुक और आनंदमय बना दिया. राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार इस स्तर पर आयोजित घूमर महोत्सव को सफल बनाने के लिए जयपुर के जवाहर कला केंद्र में छह दिवसीय 'घूमर लोकनृत्य कार्यशाला' भी आयोजित की गई, जिसमें 12 वर्ष से अधिक आयु की गृहिणियों, छात्राओं, कार्यरत महिलाओं और लोकनृत्य में रुचि रखने वाली प्रतिभागियों ने भाग लिया. यहाँ उन्हें पारंपरिक घूमर की बारीकियाँ हाथों की मुद्राएँ, चक्कर लगाने की कला, ताल पर पग-चाल, भाव-भंगिमा सिखाई गईं. इस वर्कशॉप में तीन लोकप्रिय लोकगीतों 'घूमर', 'नैना रा लोभी' और 'घूमेरदार लहंगा' पर आधारित 18 मिनट की विशेष प्रस्तुति तैयार की गई, जिसे राज्यस्तर पर प्रदर्शित किया गया.
घूम सिर्फ नृत्य नहीं, राजस्थान की आत्मा- दीया कुमारी
महोत्सव में बड़े पैमाने पर हुई जनभागीदारी ने न सिर्फ राजस्थान की सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित किया, बल्कि राज्य सरकार की उस दृष्टि को भी मजबूत किया. जिसके तहत सांस्कृतिक आयोजनों को पर्यटन से जोड़कर राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास में नई संभावनाएँ तलाशना शामिल है. दीया कुमारी ने कहा कि घूमर सिर्फ नृत्य नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा, नारी गरिमा और लोक-संस्कृति की जीवंत अभिव्यक्ति है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में घूमर फेस्टिवल को एक स्थायी सांस्कृतिक मॉडल के रूप में विकसित करेगी और इसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल कराने पर भी काम किया जाएगा. कार्यक्रम में राजमाता गोवर्धन कुमारी को श्रद्धांजलि देते हुए उनका लघु वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया, जिसने दर्शकों को घूमर की प्राचीनता और संरक्षण के महत्व से अवगत करवाया. जयपुर और जोधपुर में पंजीकरण संख्या 1500 से अधिक होने के कारण दोनों शहरों को उच्च श्रेणी पुरस्कार श्रेणी में शामिल किया गया, जहाँ बेस्ट ग्रुप डांस, बेस्ट कॉस्ट्यूम, बेस्ट ज्वेलरी, बेस्ट सिंक्रोनाइजेशन और बेस्ट कोरियोग्राफी जैसे पुरस्कारों में कुल ₹2,34,000 की राशि वितरित की गई, जबकि अन्य पाँच संभागों के लिए कुल ₹1,04,000 की पुरस्कार राशि निर्धारित की गई.
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