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पहले से ही एक बार ट्रांसप्लांट हो चुके लीवर को फिर इस्तेमाल कर दिखाया, पहली बार भारत में हुआ ऐसा चमत्कार

एक ब्रेन डेड व्यक्ति के लीवर को किसी मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया. 6 दिन बाद उस शख्स की भी मौत हो जाती है. संयोग से उसकी भी मौत इंट्राक्रेनियल हेमरेज से होती है जिससे डोनर की भी मौत हुई थी. अब उसी लीवर को एक तीसरे शख्स को सफलता से ट्रांसप्लांट किया गया है.

 पहले से ही एक बार ट्रांसप्लांट हो चुके लीवर को फिर इस्तेमाल कर दिखाया चमत्कार पहले से ही एक बार ट्रांसप्लांट हो चुके लीवर को फिर इस्तेमाल कर दिखाया चमत्कार
हाइलाइट्स
  • भारतीय डॉक्टरों ने रच दिया इतिहास

  • ट्रांसप्लांट हुए लीवर का दोबारा दूसरे मरीज में सफलता से हुआ ट्रांसप्लांटेशन

  • मरीज की हालात बिल्कुल ठीक

भारत में डॉक्टरों ने एक ऐसा चमत्कार किया है जो देश में इससे पहले कभी नहीं हुआ. डॉक्टरों ने पहले से ट्रांसप्लांट हुए लीवर को फिर से किसी दूसरे मरीज में कामयाबी के साथ ट्रांसप्लांट किया है. अब तक के इतिहास में दुनिया भर में इस तरह के ट्रांसप्लांट बहुत कम हुए हैं. ट्रांसप्लांट किए लीवर को दिल्ली के एक 54 साल के शख्स को लगाया गया है, और उसकी हालत स्थिर है, हांलाकि डॉक्टर अभी भी उस पर नजर बनाए हुए हैं.  

दान की हुए लीवर का हुआ ट्रांसप्लांटेशन

टाइम्स ऑफ इंड‍िया में छपी र‍िपोर्ट के मुताब‍िक 21 सितंबर की गुड़गांव की एक 44 साल की महिला की फोर्टिस गुड़गांव में मौत हो गई. वजह थी इंट्राक्रेनियल हेमरेज यानी ब्रेन से खून का बहना. महिला लंबे समय से हाइपरटेंशन से भी पीड़ित रही थी. परिवार ने लीवर, किडनी समेत उसके सभी अंगों को दान कर दिया ताकि दूसरों की जिंदगियां बचाईं जा सकें. अगले दिन यानी 22 सितंबर को फोर्टिस अस्पताल में गुड़गांव के ही एक 53 साल के शख्स में यह लीवर लगाया गया. एक हफ्ते बाद ही 28 सितंबर को उस व्यक्ति को भी इंट्राक्रेनियल हेमरेज हो गया. 5 अक्टूबर को 53 साल के इस शख्स की भी मौत हो गई.  उसके भी परिवार ने लीवर समेत प्रमुख अंगों को दान कर दिया.

एक ब्रेन डेड व्यक्ति के लीवर को किसी मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया

लीवर ट्रांसप्लांटेशन के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट रहती है. लेकिन पहले ही एक बार ट्रांसप्लांट हो चुके इस लीवर को कोई लगवाना नहीं चाहता था.  मैक्स साकेत के मुताबिक, उसके यहां उसी ब्लड ग्रुप के 21 मरीज ट्रांसप्लांट के लिए लीवर के इंतजार में थे लेकिन एक को छोड़कर कोई भी इस लीवर के लिए तैयार नहीं हुआ. इसलिए मरीज के लिए अगले कुछ दिन बहुत ही अहम रहने वाले हैं.  इस मामले में सबसे पहले जिस शख्स को लीवर ट्रांसप्लांट हुआ उसकी भी डोनर की तरह ही दिमाग से खून बहने की वजह से मौत हुई थी, इसलिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है. अच्छी बात यह है कि अबतक मरीज को कोई दिक्कत नहीं हुई है.