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मां की सेवा के लिए श्रवण कुमार बने लखनऊ के सुभाष

श्रवण कुमार तो एक ही थे, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे हैं जो उनके आदर्शों को मानते आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसा ही एक बेटा है, जिसने अपना पूरा जीवन अपनी मां की सेवा में लगा दिया और आज भी कोरोना जैसे कठिन समय में समय निकालकर उनकी दिन रात सेवा में लगा हुआ है. लखनऊ के रहने वाले सुभाष की मां पिछले 12 सालों से बिस्तर पर लेटी हुई हैं.

Subhash with his mother Subhash with his mother
हाइलाइट्स
  • पोस्ट ऑफिस में फॉर्म बेचकर चलाते हैं खर्चा

  • माता की सेवा के लिए नहीं की नौकरी

श्रवण कुमार तो एक ही थे, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे हैं जो उनके आदर्शों को मानते आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसा ही एक बेटा है, जिसने अपना पूरा जीवन अपनी मां की सेवा में लगा दिया और आज भी कोरोना जैसे कठिन समय में समय निकालकर उनकी दिन रात सेवा में लगा हुआ है. लखनऊ के रहने वाले सुभाष की मां पिछले 12 सालों से बिस्तर पर लेटी हुई हैं. वह चल फिर नहीं सकती इसलिए सुभाष सारा काम धंधा छोड़कर उनकी सेवा में लग गए.

मां के लिए श्रवण कुमार बने सुभाष
जानकारी के मुताबिक लखनऊ के हजरतगंज थाना क्षेत्र के नरही में रहने वाले सुभाष श्रीवास्तव (50) ने अपना पूरा जीवन अपनी माता की सेवा में लगा दिया. सुभाष जी की माता कलावती, 91 वर्ष की हैं. सुभाष के पिता की मौत तकरीबन 12 साल पहले हुई थी, जिसके बाद से उनकी माताजी अकेले हो गईं.  

एक दिन अचानक आज से लगभग 12 साल पहले सुभाष की माताजी बाहर निकलते समय जीने से गिर गईं, जिसके कारण उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई. आनन-फानन में डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां उन्होंने ऑपरेशन करने की सलाह दी. हालांकि हार्ट पेशेंट होने की वजह से ऑपरेशन में रिस्क बताया गया तो सुभाष ने इसे न करवाने की ठानी.  सुभाष ने जीवन भर मां को लिटा कर सेवा करने की सोची और वह अपनी मां को घर लेकर आ गए. इसके बाद से आजतक वह उनकी सेवा कर रहे हैं.

पोस्ट ऑफिस में फॉर्म बेचकर चलाते हैं खर्चा
सुभाष जिस तरह से दिन रात मां की सेवा में लगे रहते हैं इस पर उनके कई रिश्तेदार चकित भी होते हैं. सुभाष अपनी मां को आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाइयां देते हैं, ताकि उन्हें ज्यादा तकलीफ न हो. सुभाष ने बताया कि वो मां के आसपास ही रहते हैं क्योंकि वह बात बात पर उनको आवाज देती रहती हैं. ऐसे में सुभाष के आसपास ना रहने से वो काफी घबरा जाती हैं. इस वजह से सुभाष अपना काम भी नहीं कर पाते. सुभाष पोस्ट ऑफिस में फॉर्म वगैरह बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं. इसके अलावा घर से ही फोन द्वारा छोटा-मोटा काम करके वो अपना और मां का खर्चा चलाते हैं. सुभाष की माताजी 91 साल की हैं और बेड पर लेटे-लेटे ही अपना सारा काम करती हैं. ऐसे में सुभाष सुबह उठते ही अपनी माता का नृत्य कर्म कराने से लेकर नहलाना कपड़े धोना और उसके बाद खाना बना कर देना, उसके बाद खिलाने तक का काम करते हैं. सुभाष अपनी माता की दवाई भी उनके पास ही रखते हैं, ताकि उन्हें किसी भी तरह की तकलीफ न हो.

माता की सेवा करना ही मेरा लक्ष्य 
सुभाष कहते हैं कि माता की सेवा करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है. इस वजह से उन्होंने ना ही कोई काम किया और ना ही कभी आगे करने की सोचते हैं. आज 50 साल उम्र हो जाने के बाद भी मैं अपनी मां की सेवा में लगा हुआ हूं. मुझे लगता है कि मां का आशीर्वाद मेरे ऊपर बना रहा इसीलिए मैं ये सब कर पाया. माता कलावती जी से जब गुड न्यूज टुडे ने बात की तो उन्होंने कहा हमारा बेटा हमारी बहुत सेवा करता है. ऐसा बेटा पाकर मैं धन्य हो गई. दिनभर हमें खाना खिलाना, उठाना, बैठाना, चाय पिलाना ये पिछले कई सालों से करता आ रहा है. मेरा बेटे को खूब आशीर्वाद है.