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Navratri Puja 2021: नवरात्रि के पहले दिन होगी मां शैलपुत्री की पूजा, जानिए पूजा विधि, भोग और मंत्र

7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिन के हैं. दुर्गा मां का ये पवित्र पर्व 14 अक्टूबर को महानवमी को समाप्त होगा.

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हाइलाइट्स
  • नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री का

  • मां शैलपुत्री का पूजा विधि, भोग, मंत्र

  • कलश स्थापना का मुहूर्त का सही समय

शारदीय नवरात्रि यानी देवी मां की उपासना का महापर्व. हिंदू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व दिया गया है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिन के हैं. दुर्गा मां का ये पवित्र पर्व 14 अक्टूबर को महानवमी को समाप्त होगा. इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी. 


ऐसे करें मां शैलपुत्री की उपासना 

नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है, जो सौभाग्य की भी प्रतीक हैं. वह नौ दुर्गाओं में पहली दुर्गा हैं.  उन्हें यह नाम राज हिमालय पर्वत में यहीं पैदा होने के कारण मिला है.  नवरात्र के पहले दिन योगी अपनी शक्ति को जड़ में रखकर योग का अभ्यास करते हैं. माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ था, इसलिए मान्यता है कि नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है. आइए जानते हैं मां शैलपुत्री का स्वरुप और उनकी पूजा विधि के बारे में कुछ विशेष बातें.

कलश स्थापना की सामग्री (Navratri 2021 Kalash Sthapana samagri)

कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामिग्री को पहले से ही एकत्र कर लें. इसके लिए आपको 7 तरह के के अनाज, चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल वस्त्र और पुष्प की जरूरत पड़ती है.

शैलपुत्री की पूजा का महत्व

माता के दैहिने हाथ में त्रिशूल और कमल होता है। माता शैलपुत्री हमारे जीवन में शांति और स्थिरता लेकर आती हैं. चूंकि माता हिमालय की पुत्री हैं इसलिए मां के इस रूप को प्रकृति रूप भी कहा जाता है. महिलाएं माता की पूजा करती हैं तो यह और भी शुभ माना जाता है.