
14 देशों के 500 से ज्यादा एथलीट इस समय दिल्ली में People's Armwrestling Federation of India द्वारा आयोजित आर्मरेसलिंग में भाग ले रहे हैं. फेडरेशन द्वारा 23वीं एशियन आर्मरेसलिंग चैंपियनशिप और 22वीं पैरा-आर्मरेसलिंग चैंपियनशिप का आयोजन किया जा रहा है.
फेडरेशन द्वारा आयोजित 22वीं पैरा-आर्मरेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लेने वाले भारत के निरंजन सिंह भी शामिल है. बता दें कि उन्होंने 65 किलो की श्रेणी में रजत पदक अपनी झोली में डाल लिया है. निरंजन सिंह ग्वालियर के रहने वाले हैं और वह बिना पैरों के पैदा हुए थे.
आर्मरेसलिंग ने खींचा हाथ
निरंजन सिंह बताते हैं कि उन्होंने कई खेल खेले हैं, जैसे क्रिकेट और भी कई अन्य खेल. साथ ही वह यह भी बताते हैं कि इस महीने वह व्हीलचेयर क्रिकेट का नेशनल खेलेंगे. लेकिन आर्मरेसलिंग ऐसा खेल है, जिसने उन्हें अपनी और खींचा और उन्होंने इसमें भाग लिया. और 22वीं पैरा-आर्मरेसलिंग चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया.
ट्रैक्टर को दी रफ्तार, अपने हाथों से
निरंजन सिंह बताते हैं बेशक जब वह पैदा हुए तो उनके पैर नहीं थे. लेकिन उन्होंने हाथों को ही अपनी ताकत बना लिया. वह बताते हैं कि बचपन से ही उन्होंने चीज़ों को अपने हाथों से करने की आदत डाली. जिसके कारण उन्हें बाद में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा.
निरंजन जैसी शारीरिक बनावट वाले किसी इंसान द्वारा किसी वाहन के चलाने की बात थोड़ी मुश्किल लग सकती है. लेकिन निरंजन ने इस बात को खारिज कर दिया. वह बताते हैं वह ट्रैक्टर भी चलाते थे. जिसमें क्लच, ब्रेक और रेस को वह केवल अपने हाथों से ही काबू में रख लिया करते थे. इसके अलावा उन्होंने डिलीवरी ड्राइवर के तौर पर भी काम किया है.
कैसे जुड़ा जीवन में नया अध्याय
निरंजन बताते हैं कि उनकी मुलाकात अरविंद राजन से हुई, जो कि एक वर्ल्ड चैंपियन हैं. उन्होंने निरंजन में वह कौशल देखा जिसके बाद निरंजन का जीवन ही बदल गया. अरविंद ने उन्हें कोच मनीश कुमार से मिलवाया, और यहीं से उनके जीवन में नए अध्याय की शुरुआत हो गई.
कब जुड़े स्पोर्ट्स से
निरंजन कहते हैं कि वह स्पोर्ट्स में 2021 और 2022 में शामिल हुए. उन्होंने अपना सबसे पहला नेशनल हैदराबाद में खेला. जहां उन्होंने अपने लेफ्ट हैंद के बल पर जीत हासिल की. इसके बाद निरंजन में स्पोर्ट्स में अपना नाम लिखवाने का कॉन्फिडेंस आ गया. इसके बाद उन्होंने दुबई में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में भाग लिया और भारत के लिए ब्रॉन्ज जीता.