Children at Anganwadi
Children at Anganwadi कहते हैं जब किसी के लिए कुछ करने ही चाह हो तो इंसान किसी भी हद तक जा सकता है. ठीक ऐसे ही हुआ है कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के एक दूरदराज गांव में. एक 55 साल की महिला ने स्थानीय आंगनवाड़ी में जाने वाले बच्चों के लिए पानी का कुआं खोदने का काम किया है. आंगनबाड़ी के परिसर में इस कुएं को खोदने का काम गौरी नायका ने शुरू किया है.
सप्ताह पहले शुरू किया काम
गौरी नायका ने लगभग एक सप्ताह पहले अपने घर के पास 4 फुट चौड़ा कुआं खोदने का काम शुरू किया. कुदाल, गैंती, टोकरी और रस्सी जैसे बुनियादी उपकरणों से वह इस काम को कर रही हैं. वह हर दिन थोड़ा-थोड़ा करके इस कुएं को खोद रही हैं. सभी संसाधन न होते हुए भी गौरी आंगनबाड़ी बच्चों की मदद करने के लिए तत्पर हैं. और लगातार इस मिशन को पूरा करने में लगी हैं.
पानी की कमी से जूझ रहे थे बच्चे
दरअसल, गणेश नगर में बच्चे पानी की कमी से जूझ रहे थे. इसी को देखते हुए आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए गौरी ने इस काम को करने का सोचा. गौरी के बेटे विनय नायका ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “मेरी मां रोजाना सुबह 7.30 बजे काम पर जाती हैं और दोपहर 12 बजे तक वापस आती हैं, फिर वह दोपहर 3 बजे जाती हैं और शाम 6 बजे तक वापस आती हैं. उनका लक्ष्य एक महीने के भीतर कुएं को पूरा करना है, जिससे बच्चो को पानी मिल सके.”
अपने मिशन पर अडिग हैं गौरी
हुटगर ग्राम पंचायत की अनियमित जल आपूर्ति जैसी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, गौरी अपने मिशन पर अडिग हैं. इतना ही नहीं गौरी का परिवार भी उनके प्रयासों को देखकर उनके साथ एकजुटता से खड़ा हुआ है, और लगातार उनका समर्थन और प्रोत्साहन कर रहा है.
बच्चों की दुर्दशा नहीं देखी गई
गौरी की पहल को आंगनबाड़ी केंद्र के कर्मचारियों से भी सराहना मिल रही है. आंगनबाड़ी केंद्र में शिक्षिका ज्योति नायका, गौरी के निस्वार्थ प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करती हैं. गौरी का काम सभी के लिए एक आशा की किरण के रूप में सामने आया है.
इस पहल के पीछे अपनी प्रेरणा के बारे में बात करते हुए गौरी बताती हैं कि उन्होंने देखा कि गणेश नगर में पानी की कमी है. गौरी कहती हैं, “पीने के पानी के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे संघर्ष कर रहे थे. बस बच्चों की ये दुर्दशा मुझसे नहीं देखी गई. इसीलिए मैंने खुद कुआं खोदने का काम शुरू कर दिया.