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IIT मद्रास से पास आउट स्वास्तिक सौरव दास ने बनाई पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर

IIT मद्रास से पास आउट स्वास्तिक सौरव दास और उनकी प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन की टीम ने एक पहल की है. ये लोग अपने एक नए स्टार्टअप 'निओमोशन' के तहत पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर बना रहे हैं. यह व्हीचचेयर बिजली से चार्ज होती है और इसे पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर बताया जा रहा है. यह  ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी चल सकती है इसकी स्पीड 25 किमी प्रति घंटा होगी. 

(प्रतीकात्मक- गैटी इमेज) (प्रतीकात्मक- गैटी इमेज)
हाइलाइट्स
  • पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर

  • बाइक की तरह सड़कों पर दौड़ेगी

  • 150 लोगों को मुफ्त में बांटी, लाखों में कमाई

हैंडीकैप्ड लोगों की तकलीफ को समझते हुए IIT मद्रास से पास आउट स्वास्तिक सौरव दास और उनकी प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन की टीम ने एक पहल की है.  ये लोग अपने एक नए स्टार्टअप 'निओमोशन' के तहत पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर बना रहे हैं,  जिसकी मदद से कोई भी हैंडीकैप्ड अपने हिसाब से व्हीलचेयर तैयार करवा सकते हैं. 

पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर

30 साल के स्वास्तिक सौरव दास ओडिशा के रहने वाले हैं.  उन्होंने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई IIT मद्रास से की है.  शुरू से ही स्वास्तिक सामाजिक बदलाव के लिए काम करना चाहते थे.  फाइनल ईयर में इन्हें रिहैबिलिटेशन रिसर्च डिजाइन एंड डिसेबिलिटी सेंटर, IIT मद्रास में अपनी प्रोफेसर के अंडर रिसर्च करने का मौका मिला. रिसर्च के दौरान वे भारत के 40 शहरों में तकरीबन 200 हैंडीकैप्ड लोगों से मिले जो व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते थे. 

बाइक की तरह सड़कों पर दौड़ेगी

यह व्हीचचेयर बिजली से चार्ज होती है और इसे पहली स्वदेशी मोटर व्हीलचेयर बताया जा रहा है. यह  ऊबड़-खाबड़ जमीन पर भी चल सकती है इसकी स्पीड 25 किमी प्रति घंटा होगी. अभी तक देशभर में 600 से ज्यादा लोगों को व्हीलचेयर बेच चुके हैं. तकरीबन 150 जरूरतमंद लोगों को इन लोगों ने फ्री में भी व्हीलचेयर दी है. 

150 जरूरतमंद लोगों को फ्री में दी व्हीलचेयर

हैंडीकैप्ड्स की दिक्कतों को जानने के बाद स्वास्तिक को पर्सनलाइज्ड व्हीलचेयर बनाने का आइडिया आया.  पढ़ाई पूरी होने के बाद 5 साल तक रिसर्च किया.  इसके बाद उन्होंने अपनी प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन से मिलकर 2020 में स्टार्टअप की शुरुआत की.  स्वास्तिक बताते हैं कि निओमोशन स्टार्टअप के पीछे हमारा मकसद व्हीलचेयर यूजर को स्वतंत्र बनाना है.  4 दीवारी से निकल वे भी आम लोगों की तरह बाहर जा सकें, अपने सभी छोटे-बड़े काम खुद ही करे सकें.