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बेटी का था सपना, 4 साल तक रोजाना जुटाए सिक्के... इमोशनल कर देगी चायवाले की कहानी

हर दिन जब कोई ग्राहक चाय पीकर दस या बीस रुपये देता, तो बच्छू उनमें से एक सिक्का एक खाली ड्रम में डाल देते. चार साल बाद, जब बेटी की स्कूटी खरीदने का वक्त आया, तो उन्होंने उस ड्रम को खोला. उसमें दस-दस रुपये के हजारों सिक्के और कुछ नोट मिले. फिर क्या था वो भारी ड्रम लेकर शोरूम पहुंच गए.

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पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के एक चायवाले की कहानी इन दिनों जमकर वायरल हो रही है. यहां एक चाय बेचने वाले पिता ने अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए वो कर दिखाया जो आज हर पिता के लिए मिसाल बन गया है. बच्छू चौधरी नाम के इस चायवाले ने रोज की कमाई में से दस-दस रुपये के सिक्के बचाकर चार साल तक जमा किए और जब बेटी की पसंदीदा स्कूटी खरीदने का वक्त आया, तो वह पूरे सिक्कों से भरा एक ड्रम लेकर सीधे शोरूम पहुंच गए.

सपना था बेटी को एक स्कूटी दिलाना
बच्छू चौधरी पश्चिम मिदनापुर जिले के मौला गांव के रहने वाले हैं. गांव में ही उनकी एक छोटी-सी चाय की दुकान है. चार साल पहले उनकी छोटी बेटी ने मासूमियत से कहा था, 'बाबा, मुझे भी एक स्कूटी चाहिए.' उस वक्त बच्छू के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह तुरंत बाइक खरीद सकें, लेकिन बेटी की बात उनके दिल में उतर गई. उन्होंने उसी दिन ठान लिया कि चाहे जितना वक्त लगे, लेकिन बेटी का सपना अधूरा नहीं रहने देंगे.

Tea Seller
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ड्रम में जमा किया पाई-पाई
हर दिन जब कोई ग्राहक चाय पीकर दस या बीस रुपये देता, तो बच्छू उनमें से एक सिक्का एक खाली ड्रम में डाल देते. चार साल बाद, जब बेटी की स्कूटी खरीदने का वक्त आया, तो उन्होंने उस ड्रम को खोला. उसमें दस-दस रुपये के हजारों सिक्के और कुछ नोट मिले. फिर क्या था वो भारी ड्रम लेकर शोरूम पहुंच गए.

शोरूम में सबकी आंखें नम हुईं
शोरूम के सेल्स एग्जिक्यूटिव अरिंदम ने बताया, 'वो व्यक्ति हमारे पास आया और बोला कि उसे अपनी बेटी के लिए स्कूटी चाहिए. पहले तो उसने कहा कि वो इसे किस्तों में लेना चाहता है लेकिन फिर संकोच के साथ बोला क्या आप रिटेल पैसे लेंगे? हमने हां कहा तो उसने बताया कि उसके पास करीब 40,000 रुपये सिक्कों में हैं. जब वो शख्स ड्रम अंदर लाया तो हम सब हैरान रह गए.'

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आठ कर्मचारियों ने मिलकर उस ड्रम को उठाया, फर्श पर उल्टा किया और गिनती शुरू की. दो घंटे पच्चीस मिनट तक लगातार गिनती चलती रही. जब गिनती खत्म हुई, तो सबके चेहरों पर मुस्कान थी. ड्रम में से निकली राशि थी एक लाख दस हजार रुपये थी.

बेटी के लिए कुछ भी कर सकता हूं...
बच्छू चौधरी ने भावुक होकर कहा, 'मेरी बेटी की ख्वाहिश थी, और मैं नहीं चाहता था कि उसे लगे कि उसका बाबा कुछ नहीं कर सकता. मैं रोज थोड़े-थोड़े पैसे बचाता था. सोचा नहीं था कि इतने पैसे जमा हो जाएंगे. आज बेटी की मुस्कान देखकर लगता है जैसे जिंदगी की सबसे बड़ी जीत मिल गई.'

लोगों ने कहा आप हो असली हीरो
जब यह खबर सोशल मीडिया पर पहुंची, तो हजारों लोग इस पिता की तारीफ करने लगे. किसी ने लिखा, 'हर पिता को बच्छू चौधरी जैसा होना चाहिए', तो किसी ने कहा, 'आज के जमाने में भी ऐसे पिता हैं जो अपनी बेटी के सपनों को अपनी जिंदगी मानते हैं.'