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Boxing Teaching: सिर्फ स्कूल ही नहीं गांव के बच्चों को भी सिखाते हैं हुनर, घर-घर से मैरी कॉम और विजेंद्र सिंह बनाने का सपना... सरकार भी दे रही साथ

अपनी जेब से खर्च किए पैसे और लाए संसाधन. और हर बच्चे को फ्री में दे रहे हैं बॉक्सिंग की ट्रेनिंग. केवल स्कूल ही नहीं कई गांव के बच्चे सीखते हैं इनसे हुनर.

कहते हैं कि हौसला अगर बुलंद हो और संकल्प दृढ़ हो तो हर सफलता को पाना आसान हो जाता है. कुछ इसी तरह की मिसाल को पेश किया गया है. दरअसल भोजपुर ज़िले के बड़हरा प्रखंड स्थित, अलेखी टोला उत्क्रमित मध्य विद्यालय, में शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुसेवक के पद पर रमेश कुमार यादव तैनात हैं. यहां वो 1-2 नहीं बल्कि आलेखी टोला और आसपास के गांव की गलियों में पैदा हुए सभी बच्चों को बॉक्सिंग खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

चल पड़े हैं देश का नाम रोशन करने
बॉक्सिंह के जरिए ये बच्चे ना केवल अपने सपनों को पंख दे रहे हैं, बल्कि देश का नाम रोशन करने की राह पर चल पड़े हैं. बॉक्सिंग खेल के प्रशिक्षक रमेश कुमार यादव पिछले 3 सालों से गांव के करीब 150 से अधिक बच्चों को फ्री में बॉक्सिंग सिखा रहे हैं. इनमें लगभग 50 लड़कियां भी शामिल हैं. ये बच्चे मैरीकॉम और विजेंद्र सिंह जैसे विश्व के बड़े बॉक्सर बनने का सपना देख रहे हैं. रमेश की इस पहल को अब सरकार का भी सहयोग मिल रहा है, जिससे ग्रामीण बच्चों की प्रतिभा को नई उड़ान मिल रही है.

उस्ताद के साथ चेला भी पहलवान
रमेश एक अनुभवी मुक्केबाज हैं. जिन्होंने उत्तर प्रदेश में दो बार राष्ट्रीय और दो बार राज्य-स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है. वर्ष 2013 में मुरादाबाद में उन्होंने कांस्य पदक भी जीता था. अपनी इस अनुभवी पृष्ठभूमि के साथ रमेश अब ग्रामीण बच्चों को मुक्केबाजी का प्रशिक्षण दे रहे हैं. उनके तीन छात्र-भगवान पांडेय, गोविंद पांडेय और दया शंकर-15वीं बिहार राज्य मुक्केबाजी चैंपियनशिप 2023 में कांस्य पदक जीत चुके हैं.

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जेब से पैसे खर्च कर शुरू की पहल
जब हमने रमेश कुमार यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल में बच्चों की प्रतिभा देखकर उन्हें लगा कि इन बच्चों को बॉक्सिंग सिखानी चाहिए. आसपास के गांव जैसे शबलपुर, बखोरापुर, पैगा और मौदेही से बच्चे हर दिन उनके पास प्रशिक्षण के लिए आते हैं. खास बात यह है कि रमेश बच्चों को फ्री में प्रशिक्षण दे रहे हैं. 

उन्होंने शुरुआत में अपनी जेब से 30 हजार रुपए खर्च कर ग्लव्स, हेड गार्ड, पंचिंग बैग जैसे ज़रूरी उपकरण खरीदे थे. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उन्हें कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पर अब सरकार की ओर से इस पहल को बल मिल रहा है. जिला प्रशासन और खेल विभाग ने रमेश की मेहनत को देखते हुए उन्हें आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया है. 

हाल ही में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए विशेष फंड आवंटित किया है, जिसके तहत रमेश को प्रशिक्षण के लिए बेहतर उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अलावा, बिहार सरकार की “आर्थिक हल, युवाओं को बल” योजना के तहत रमेश के प्रशिक्षण केंद्र को कुशल युवा कार्यक्रम से जोड़ा गया है. जिससे बच्चों को और बेहतर अवसर और प्रशिक्षण मिल रहे हैं. 

बिहार सरकार बढ़ी आगे
बिहार खेल प्राधिकरण की ओर से हाईटेक मुक्केबाजी रिंग बनवाया जा रहा है. रमेश का कहना है कि अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन का सहयोग इसी तरह मिलता रहा, तो उनके ये बच्चे न सिर्फ़ जिले, बल्कि देश का नाम रोशन करेंगे. सरकार की मदद से अब उनके पास बेहतर उपकरण और प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो रही है, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास और बढ़ गया है. आलेखी टोला जैसे छोटे से गांव से निकलकर ये बच्चे एक दिन बड़े मंच पर भारत का परचम लहरा सकते हैं.

-सुनू कुमार सिंह की रिपोर्ट