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मुंबई गए थे कमाने लेकिन लापता हुआ बेटा...अब 14 साल बाद मिला... दिल छू लेगी यह कहानी

नीरज जब मुंबई से लापता हुआ था, तब वह महज 8 साल का था. परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी कि नीरज जिंदा भी है.

Kashi boy went missing for 14 years meet his family (Representational Image) Kashi boy went missing for 14 years meet his family (Representational Image)

वाराणसी जिले के बड़ागांव क्षेत्र के एक गांव गंगकला में एक युवक नीरज कन्नौजिया 14 साल बाद अपने परिवार से मिला. नीरज जब मुंबई से लापता हुआ था, तब वह महज 8 साल का था. परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी कि नीरज जिंदा भी है. लेकिन अब उसे देखते ही उसके माता-पिता और 100 वर्षीय दादी झूम उठीं. उसके छोटे भाई खुश और उत्साहित थे. नीरज की कहानी सुनाते हुए परिवार के सदस्यों ने बताया कि नीरज के पिता अपने दो बेटों धीरज और नीरज के साथ मुंबई कमाने गए थे और घर पर अपनी पत्नी, दो बड़ी बेटियों और दो छोटे बेटों को छोड़ गए थे. 

नीरज का बड़ा भाई एक साड़ी डिजाइनर के साथ काम करता था, जबकि उसके पिता लॉन्ड्री की दुकान पर काम करते थे और नीरज खुद लॉन्ड्री के सामने एक बेकरी में काम करता था. नीरज मुंबई घूमना चाहता था और एक दिन वह घर से निकल गया, लोकल ट्रेन में चढ़ गया और बाद में वह खो गया. वह लगभग दो महीने तक अलग-अलग राज्यों के स्टेशनों पर भटकता रहा और आखिरकार एक ट्रेन में सवार हो गया जो उसे आंध्र प्रदेश के गुडूर ले गई. जब वह प्लेटफॉर्म पर भटक रहा था, तो रेलवे पुलिस ने देखा और समझा कि वह खो गया है. 

ट्रस्ट ने की नीरज की देखभाल 
नीरज सिर्फ हिंदी बोल सकता था और पुलिस ने उसे वापस घर भेजने के लिए उसके ठिकाने को समझने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं समझ पाए. फिर पुलिस ने उसे आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के वेंकटचलम में स्वर्ण भारत ट्रस्ट के प्रबंध ट्रस्टी को सौंप दिया, जहां उसे गोद लिया गया और उसकी देखभाल की गई. अब 14 साल बाद होली के दिन नीरज फिर से अपने परिवार से मिला. यह पुनर्मिलन स्वर्ण भारत ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी दीपा वेंकट की बदौलत संभव हुआ. 

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नीरज को ट्रस्ट ने ब्रिज स्कूल में दाखिला दिलाया था जहां उन्होंने पढ़ाई की और तेलुगु बोलना भी सीखा. इस पूरे समय, नीरज हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता रहा. दीपा ने व्यक्तिगत रूप से नीरज की जरूरतों का ख्याल रखा, उन्हें अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कराई और उन्हें प्लंबिंग, बिजली के काम, ड्राइविंग और दो और चार पहिया वाहनों की सर्विस और मरम्मत सहित कई स्किल्स में ट्रेनिंग कराई. उन्होंने उसे चेन्नई में नौकरी भी दी. नीरज के पिता का कहना है वे दीपा वेंकट के बहुत आभारी हैं, कि उन्होंने उन्हें उनके बेटे से मिलाया. 

लगातार तलाशते रहे परिवार को 
ट्रस्ट मैनेजमेंट ने नीरज से मिली सीमित जानकारी के आधार पर उनके परिवार का पता लगाने के कई प्रयास किए. अक्टूबर 2024 में, उन्होंने मुंबई के कुरार पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, नीरज की डिटेल्स शेयर कीं, लेकिन ज्यादा कुछ सफलता नहीं मिली. होली से एक दिन पहले, प्रबंध ट्रस्टी ने नीरज को ट्रस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ, उसके पिता की तलाश में मुंबई के ईस्ट मल्लाड भेजा. कुरार पहुंचने पर, नीरज ने उस जगह को पहचान लिया जहां उसके पिता काम करते थे. 

उन्हें वह बेकरी भी मिली जहां वह काम करते थे और एक गन्ने के रस की दुकान भी मिली. लगातार खोजने के बाद, वे नीरज के परिवार से संपर्क करने में सक्षम हुए. जल्द ही, नीरज को एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया। जैसे ही उन्होंने कॉल ली, उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को स्क्रीन पर देखा. दीपा वेंकट उस समय वाराणसी में थीं और उन्होंने तुरंत नीरज के लिए मुंबई से फ्लाइट टिकट की व्यवस्था की ताकि नीरज अपने परिवार से मिल सकें. 

जब नीरज एयरपोर्ट से बाहर निकले तो उनके परिवार ने उन्हें दूर से ही पहचान लिया क्योंकि उनकी शक्ल उनके पिता से काफी मिलती-जुलती थी. उनके माता-पिता, बड़ी बहन, दोनों भाई और एक रिश्तेदार उन्हें लेने आए. बेटे को इतने सालों बाद सामने देखकर हर कोई भाव-विभोर हो गया.