बिना स्वार्थ के सेवा करना. खुद से ज्यादा दूसरों की इच्छा का महत्व रखना अपनी जिंदगी में. अपना नुकसान करके भी दूसरों को फायदा पहुंचाना. किसी की ख्वाहिश पूरी करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाना. ऐसी भावनाओं को बहुत कमाल और Rare combination को हमने सिर्फ श्रवण कुमार में देखा था, लकिन 21वीं सदी में भी क्या श्रवण कुमार होते हैं जानेंगे आज के इस एपिसोड में. वृद्धाअवस्था वो दौर होता जब हमारे घर के बुजुर्ग एक बार फिर बचपन की ओर अग्रसर होते हैं. अपने माता-पिता का ख्याल रखने के लिए बच्चों को उनका माता-पिता बनना पड़ता. सिर्फ किरदार बदलता है, सेवा यूं ही जारी रहती है. देखिए दिल्ली की रहने वाली अनीता की कहानी जिन्होंने अपने माता-पिता के लिए बदल लिए अपने किरदार.
To serve without selfishness,putting the importance of the wishes of others more than yourself in your life. To benefit others even by doing your own harm. To be ready to do anything to fulfill one's wish. We had seen such feelings very amazing and rare combination only in Shravan Kumar. Are there people still like Shravan Kumar is even in the 21st century?