जयपुर के सिटी पैलेस में प्राचीन पारंपरिक कला संस्कृति की धरोहर को संजोने के लिए एक अनूठी पहल की गई है. सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें 28 किस्म की पारंपरिक कलाओं की ट्रेनिंग दी गई. इस एक महीने के शिविर में 8 साल से लेकर 60 साल तक के स्टूडेंट्स ने भाग लिया. इसमें कथक, पेंटिंग, ध्रुपद, बांसुरी वादन, कैलिग्राफी और ठीकरी कला जैसी लुप्त हो रही कलाओं को भी सिखाया गया. इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को प्राचीन विरासत की अहमियत समझाना और राजस्थान की लोक कलाओं की परंपरा को आगे बढ़ाना है.