 Tania Begum
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 Tania Begum  हैदराबाद की रहने वाली 12 साल की तानिया बेगम ड्रग-फ्री वर्ल्ड फाउंडेशन - इंडिया के एंबेसडर के रूप में काम कर रही हैं. तानिया इतनी कम उम्र से ही लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. ड्रग्स के बारे में उनकी जिज्ञासा टीवी विज्ञापनों से जन्मी और उन्होंने अपने पिता से नशे और इसकी आदतों के बारे में पूछा. तानिया के पिता एक सोशल वर्कर हैं और उन्होंने इस विषय पर तानिया को गहनता से समझाया. धीरे-धीरे, तानिया अपने पिता के साथ शहर के विभिन्न कार्यक्रमों और हर रविवार एडिक्शन एवेयरने मैराथन में जाने लगी.
हालांकि, तानिया के पिता सल्लाउद्दीन शेख ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “एक एक्टिविस्ट के रूप में, मैं कभी नहीं चाहता था कि मेरी बेटी किसी भी अभियान का हिस्सा बने. मैंने उसे मना करने की भी कोशिश की. हालांकि, तानिया का जुनून और भी बढ़ गया क्योंकि वह नशे और नशीली दवाओं के विषयों पर समाचार लेख, किताबें और यूट्यूब वीडियो आदि से जानने-स्झने लगी."
सात साल की उम्र में बनी एंबेसडर
नशे को रोकने के प्रति तानिया के काम का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ड्रग-फ्री वर्ल्ड - इंडिया पर शेयर किया गया था, और इसे देखकर इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने उनसे संपर्क किया. वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने महज सात साल की उम्र में उन्हें अपनी सबसे कम उम्र की ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया.
संगठन के पोस्टरों और जर्नल्स के जरिए इस युवा एक्टिविस्ट ने स्कूलों, कॉलेजों, बाजारों, और कार्यक्रमों में जागरूकता फैलाना शुरू कर दिया. अपने माता-पिता के सपोर्ट और दो अन्य व्यक्तियों की एक समर्पित टीम के साथ, तानिया ने अपने समुदाय को शिक्षित करने के मिशन पर शुरुआत की.
उनकी नजर में, तेलंगाना में शराब सबसे प्रचलित लत है, उसके बाद पेनकिलर दवाएं आती हैं. वह दवाओं और टॉक्सिक चीजों के ऐसे ढेरों नाम बता सकती थी जिनसे बहुत से एडल्ट अनजान थे. तानिया ने ई-सिगरेट से होने वाले खतरों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने और जागरूकता बढ़ाने का बीड़ा उठाया है.
स्कूल के पास बंद कराई शराब की दुकान
तानिया ने अपने पिछले स्कूल, यूनिसन इंटरनेशनल में 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की है.  उन्होंने इस स्कूल के पास में ही एक शराब की दुकान देखी. अपने साथी छात्रों को नशे की लत का शिकार होते देख तानिया ने दुकान के मालिक से संपर्क करके इसे बंद कराने का बीड़ा उठाया. अपने दोस्तों के सहयोग से, उन्होंने ग्राहकों को नशे के गंभीर परिणामों के बारे में शिक्षित करने के मिशन पर काम शुरू किया. उनके अथक प्रयासों के कारण अंततः दुकान बंद हो गई.