
अल्जाइमर जैसी बीमारी का खतरा अब शुरुआत में ही पकड़ा जा सकता है. इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के वैज्ञानिकों ने फास्टबॉल नाम का सस्ता और आसान टेस्ट तैयार किया है, जो मरीज के ब्रेनवेव्स को स्कैन करके याददाश्त से जुड़ी दिक्कतें पकड़ लेता है. खास बात यह है कि यह टेस्ट घर पर भी किया जा सकता है और महज 3 मिनट में रिजल्ट दे देता है.
कैसे काम करता है यह टेस्ट
फास्टबॉल टेस्ट के दौरान मरीज को EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम) कैप पहनाई जाती है. यह कैप दिखने में साधारण कैफ जैसी होती है, जिसमें छोटे-छोटे सेंसर लगे होते हैं. मरीज स्क्रीन पर तेजी से बदलती तस्वीरें देखता है और EEG कैप उसके दिमाग की प्रतिक्रिया रिकॉर्ड करती है. रिसर्च में पाया गया कि जिन मरीजों में एम्नेस्टिक MCI (याददाश्त से जुड़ी कमजोरी) थी, उनकी ब्रेन प्रतिक्रिया स्वस्थ लोगों की तुलना में कहीं कमजोर रही.
क्या है MCI और क्यों है खतरनाक
MCI यानी माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट वह स्थिति है जिसमें इंसान को धीरे-धीरे याददाश्त की दिक्कतें आने लगती हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि एम्नेस्टिक MCI कई बार आगे चलकर अल्जाइमर का रूप ले लेती है. यही वजह है कि शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है.
इस रिसर्च के लीड डॉ. जॉर्ज स्टॉथार्ट ने कहा, हम मौजूदा डायग्नोस्टिक टूल्स से अल्जाइमर के शुरुआती 10 से 20 साल मिस कर रहे हैं. फास्टबॉल टेस्ट इस कमी को पूरा कर सकता है.
अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे कॉमन रूप है. सिर्फ अमेरिका में ही 65 साल से ज्यादा उम्र के करीब 7.2 मिलियन लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. यह बीमारी धीरे-धीरे याददाश्त, सोचने-समझने और बात करने की क्षमता को खत्म कर देती है. ज्यादातर मरीजों को तब तक पता नहीं चलता जब तक कि समस्या बहुत बढ़ न जाए.
कैसे की गई स्टडी
इस स्टडी में ब्रिटेन की मेमोरी क्लिनिक से आए 53 MCI मरीजों और 54 स्वस्थ बुजुर्गों को शामिल किया गया. मरीजों को दो ग्रुप में बांटा गया एम्नेस्टिक MCI (जिन्हें याददाश्त की दिक्कत थी) और नॉन-एम्नेस्टिक MCI. सभी ने 3 मिनट का फास्टबॉल टेस्ट दिया. एक साल बाद फिर से टेस्ट किया गया ताकि परिणाम की विश्वसनीयता जांची जा सके. नतीजों में पाया गया कि एम्नेस्टिक MCI वाले लोगों की ब्रेन प्रतिक्रिया लगातार कमजोर थी. यहां तक कि जिन मरीजों ने बाद में डिमेंशिया विकसित किया, उनके स्कोर शुरू से ही थोड़े कमजोर थे.
जल्दी पहचान में आएगी भूलने की बीमारी
फास्टबॉल टेस्ट को लेकर रिसर्चर्स का मानना है कि यह सस्ता, पोर्टेबल और नॉन-इनवेसिव तरीका है, जिसे घर पर भी किया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे अल्जाइमर का पता शुरुआती चरण में ही लग सकता है, जब मरीज के लक्षण सामने भी नहीं आए होते. शुरुआती डायग्नोसिस से डॉक्टर ऐसे मरीजों पर दवाओं और नई थेरैपी जैसे Aducanumab का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो बीमारी की प्रगति को धीमा कर सकती है.