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Aajtak Health Summit 2025: तेजी से बढ़ रहा सोशल मीडिया का एडिक्शन, आने वाले समय में करना पड़ेगा इलाज- डॉ. वोहरा

डॉक्टर वोहरा के मुताबिक खासकर युवाओं में सोशल मीडिया पर ज्यादा फॉलोअर्स पाने की एक होड़ सी लग गई है. अब फॉलोअर्स बढ़ाना उनके लिए एक तरह की उपलब्धि बन गया है. यही वजह है कि इंटरनेट, रील्स और सोशल मीडिया का एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में यह लत एक बीमारी की तरह मानी जाएगी और इसका बाकायदा इलाज करना पड़ेगा.

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आज के डिजिटल युग में सबकुछ ऑनलाइन हो गया है. लोग ज्यादा से ज्यादा वक्त स्क्रीन पर बीता रहे हैं. लेकिन ये आपके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं. ये हमारा नहीं, बल्कि आजतक हेल्थ समिट 2025 के 'सर, जो तेरा चकराए' सेशन में शामिल हुए जाने-माने मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख और न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ. संदीप वोहरा का कहना है. उन्होंने बताया कि कैसे रील्स और स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है. 

सोशल मीडिया पहुंचा रहा सेहत को नुकसान-
डॉ. संदीप वोहरा से जब पूछा गया कि आजकल हर उम्र के लोग सोशल मीडिया पर रील्स देखने और फोटो पोस्ट करने में इतने ज्यादा क्यों डूबे हुए हैं, तो उन्होंने इस ट्रेंड के कराण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पहले लोग रील्स या तस्वीरें मजे के लिए शेयर करते थे, लेकिन अब ये आदत दिमाग और रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक असर डाल रही हैं. लोग दूसरों की तस्वीरें देखकर खुद से तुलना करने लगते हैं कि 'हम ऐसे क्यों नहीं दिखते?' और घंटों-घंटों रील्स देखते रहते हैं, जिससे उनकी प्रोडक्टिविटी पर सीधा असर पड़ता है. 

फॉलोअर्स की होड़ से बढ़ रही लत-
डॉ. वोहरा के मुताबिक, खासकर युवाओं में सोशल मीडिया पर ज्यादा फॉलोअर्स पाने की एक होड़ सी लग गई है. अब फॉलोअर्स बढ़ाना उनके लिए एक तरह की उपलब्धि बन गया है. यही वजह है कि इंटरनेट, रील्स और सोशल मीडिया का एडिक्शन तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में यह लत एक बीमारी की तरह मानी जाएगी और इसका बाकायदा इलाज करना पड़ेगा.

डिजिटल एडिक्शन है बड़ी मुसीबत-
डॉ. वोहरा ने आगे बताया कि जैसे-जैसे डिजिटल एडिक्शन बढ़ेगा, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ेंगी. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कनाडा में हुई एक हेल्थ स्टडी का जिक्र किया, जिसमें 350 किशोरों पर रिसर्च की गई. ये सभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे. नतीजों में पाया गया कि हर दूसरे किशोर में चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) के लक्षण देखने को मिले. खास बात यह रही कि इन युवाओं के परिवार में पहले कभी किसी को एंग्जायटी या डिप्रेशन की समस्या नहीं रही थी.

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