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AI Blood Test Tool: न सुई... न ब्लड! सिर्फ फेस स्कैन करने से पता चल जाएगा खून में हीमोग्लोबिन का लेवल और हार्ट रेट जैसे हेल्थ पैरामीटर्स

अब आप बस इस ऐप के जरिए अच्छे रोशनी वाले कमरे में अपने चेहरे को स्कैन करें और 20 सेकंड के भीतर ही ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन स्तर, हार्ट रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन, सांस लेने की दर और तनाव के स्तर जैसी जानकारियां पा सकते हैं.

AI Blood Test Tool (Photo: Quick Vitals Website) AI Blood Test Tool (Photo: Quick Vitals Website)

ब्लड टेस्ट कराने से आपकी ओवरऑल हेल्थ के बारे में पता चल जाता है. ब्लड टेस्ट आपके शुगर, कोलेस्ट्रॉल या आयरन लेवल के साथ-साथ और कई हेल्थ पैरामीटर्स को माप सकता है और किसी बीमारी के शुरुआती लक्षणों को पहचानने में डॉक्टरों की मदद कर सकता है. आसान शब्दों में कहें तो यह एक तेज़ तरीका है यह जानने का कि आपको कोई बीमारी तो नहीं, वह भी लक्षण दिखने से पहले. 

लेकिन अब एक और तेज़ तरीका सामने आया है, जो आपको ब्लड टेस्ट जितना सटीक रिजल्ट देता है, वह भी बिना खून निकाले या सुई लगाए. अब आप बस एक ऐप के जरिए अच्छे रोशनी वाले कमरे में अपने चेहरे को स्कैन करें और 20 सेकंड के भीतर ही ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन स्तर, हार्ट रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन, सांस लेने की दर और तनाव के स्तर जैसी जानकारियां पा सकते हैं. 

2024 में लॉन्च किया गया यह ऐप हाल ही में हैदराबाद के सरकारी अस्पताल निलोफ़र में पेश किया गया. मैटरनिटी वार्ड में इसका इस्तेमाल गर्भवती महिलाओं में लो आयरन स्तर की जांच के लिए किया गया, जिससे एनीमिया की समय पर पहचान हो सकी, जो भारत में एक आम स्वास्थ्य समस्या है. अब डेवलपर्स इस ऐप को महाराष्ट्र में लागू करने की तैयारी कर रहे हैं और फिर इसे दूरदराज के आदिवासी इलाकों में ले जाने की योजना है, जहाँ खून की जांच और मूलभूत स्वच्छता सुविधाओं की अब भी कमी है।

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लॉन्च हुआ अमृत स्वस्थ भारत
आपको बता दें कि इस AI Blood Test Tool को "Quick Vitals" नामक ऐप के जरिए किया जा सकता है. क्विक वाइटल्स, बिसम फार्मास्यूटिकल्स का ऐप है जिसे बिसम फार्मास्यूटिकल्स के फाउंडर हरीश बिसम ने डेवलप किया है. इस टूल को अस्पतालों में एक से ज्यादा यूजर्स के लिए "अमृत स्वस्थ भारत" (Amruth Swasth Bharath) का नाम से लॉन्च किया गया है.. यह टूल बिना सुई लगाए बहुत तेज़ी से हेल्थ चेकअप कर सकता है, एक मिनट से भी कम समय में.

कैसे करता है काम?
यह तकनीक "Photoplethysmography (PPG)" पर आधारित है, जो त्वचा से परावर्तित होने वाली रोशनी में बदलाव के जरिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां देती है. हरीश बिसम ने इंडिय टुडे को बताया, "जब रोशनी आपके शरीर में प्रवेश करती है, तो उसका एक हिस्सा वापस परावर्तित होता है. फोन के सेंसर उस परावर्तित रोशनी को कैप्चर करते हैं. फिर ऐप, फोटोप्लैथिस्मोग्राफी तकनीक और एल्गोरिदम की मदद से उन सिग्नल्स का विश्लेषण करता है." यह टूल धड़कनों में होने वाले बदलावों को पकड़ता है और उन्हीं के आधार पर कैल्क्यूलेशन करता है.

पारंपरिक ब्लड टेस्ट जितना सटीक?
हरीश का कहना है कि पारंपरिक ब्लड टेस्ट में भी थोड़ी बहुत भिन्नता होती है. जैसे कि एक लैब में हीमोग्लोबिन 11.5 आ सकता है और दूसरी में 12.2, यह सामान्य है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हीमोग्लोबिन के लिए 7% तक का अंतर स्वीकार्य है. ब्लड प्रेशर के लिए भी WHO और American Heart Association क्रमशः 7% और 10% तक की छूट देते हैं. उन्होंने बताया कि यह टूल इन सीमाओं के भीतर सटीक है. 

जरूरी है कि स्कैन करते वक्त अच्छी रोशनी हो और फोन स्टेबल हो. इन हेल्थ पैरामीटर्स की जांच करता है यह ऐप: 

  • ब्लड प्रेशर
  • हीमोग्लोबिन A1c
  • पल्स रेस्पिरेटरी कॉशेंट (PRQ)
  • ब्रीदिंग रेट
  • Sympathetic स्ट्रेस लेवल
  • हार्ट रेट
  • कोलेस्ट्रॉल
  • ऑक्सीजन सेचुरेशन (SpO2)
  • Parasympathetic एक्टिविटी 
  • हार्ट रेट वायाबिलिटी (HRV)

लगातार मॉनिटरिंग के लिए, यह टूल कॉन्टैक्ट-बेस्ड PPG सेंसर के साथ भी काम करता है.

मां और बच्चे की सेहत पर असर 
यह टूल जल्दी और बिना खून लिए एनीमिया जैसी समस्याओं की जांच कर सकता है, जिससे महिलाओं और बच्चों को समय पर इलाज मिल सके. निलोफ़र अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रवि कुमार ने इंडिया टुडे को बताया, "यह भारत में हेल्थ डायग्नोस्टिक्स में क्रांति ला सकता है. खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए यह बहुत फायदेमंद साबित होगा." 

भारत में एनीमिया की चुनौती
जल्दी जांच से हेल्थ वर्कर्स समय पर खतरे में पड़े लोगों को पहचान सकते हैं और तुरंत इलाज शुरू कर सकते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40% माताएं एनीमिक हैं, ऐसे में ऐसे टेस्ट की ज़रूरत है जो बड़ी संख्या में लोगों की जल्दी जांच कर सके. स्कूल के बच्चों, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK), किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK), और अन्य नॉन-कम्युनिकेबल डिज़ीज़ (NCD) इनिशिएटिव्स में यह ऐप बहुत काम आ सकता है. जल्द ही यह टूल प्राइमरी हेल्थकेयर सेंटर्स और आयुष्मान भारत जैसे प्लेटफार्म्स में भी जोड़ा जा सकता है.

डेटा की सिक्योरिटी और प्राइवेसी
डिजिटल हेल्थ में डेटा की सुरक्षा बहुत जरूरी है. Quick Vitals ने डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े उपाय अपनाए हैं. हरीश का कहना है कि सिर्फ अधिकृत हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ही डेटा तक पहुंच सकते हैं. सभी जानकारी एन्क्रिप्टेड और सिक्योर स्टोरेज में रखी जाती है, जो नियमों का पालन करती है. 

आगे की योजना
निलोफ़र अस्पताल में सफलता के बाद, अब इसे महाराष्ट्र में लागू किया जा रहा है और फिर दूरदराज़ के इलाकों तक ले जाने की योजना है. जल्द ही 5 साल से कम उम्र के 1,000 बच्चों पर एक क्लिनिकल ट्रायल शुरू होगा, जिसमें इस टूल को पारंपरिक ब्लड टेस्ट से तुलना की जाएगी. इसके परिणाम छोटे बच्चों में समय रहते जांच का रास्ता खोल सकते हैं.