AIIMS Jodhpur
AIIMS Jodhpur एम्स जोधपुर के कार्डियोलॉजी विभाग में गुरुवार को बिना ओपन हार्ट सर्जरी किए पांच बच्चों के दिल में छेद को बंद किया गया. इन बच्चों की उम्र 6 से 15 वर्ष के बीच है. यह एम्स जोधपुर के डॉक्टरों का कमाल है. दिल में छेद को ‘सेप्टल डिफेक्ट्स’ कहा जाता है.
यह डिफेक्ट जन्मजात होता है और जितना जल्दी इसका इलाज करा लिया जाए उतना अच्छा रहता है. भारत में हर साल लगभग 25,000 बच्चे दिल में छेद के साथ जन्म लेते हैं. और इस डिफेक्ट को ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए ठीक किया जाता है.
लेकिन मेडिकल साइंस में एक मिसाल पेश करते हुए एम्स जोधपुर के डॉक्टरों ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के ‘एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट’ का इलाज किया. वह भी एक नहीं बल्कि पांच बच्चों का.
बिना सर्जरी बंद किया दिल का छेद:
एम्स जोधपुर के सहायक प्रोफेसर (कार्डियोलॉजी) डॉ. अतुल कौशिक के मुताबिक बच्चों के इलाज के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जगह एक खास उपकरण का इस्तेमाल किया गया. छेद को बंद करने के लिए एंजियोग्राफी का उपयोग करके फेमोरल वीन में से एक उपकरण डाला गया.
इसका फायदा यह रहा कि बच्चों की ओपन हार्ट सर्जरी नहीं करनी पड़ी. बताया जा रहा है कि एक बच्चे ने पहले दूसरे केंद्र में ओपन हार्ट सर्जरी करवाई थी, लेकिन यह प्रक्रिया विफल हो गई. लेकिन अब एम्स जोधपुर में बच्चे का इलाज सही से हो गया है.
कार्डियोलॉजी टीम के साथ एनेस्थिसिया विभाग और सीटीवीएस शामिल था.