
 Andhra girl dies of Bird Flu 
 Andhra girl dies of Bird Flu आंध्र प्रदेश में दो वर्षीय बच्ची की चिकन खाने से मौत हो गई. परिवारवालों ने बताया कि बच्ची कभी-कभी कच्चा चिकन खा लेती थी, जिससे उन्हें बर्ड फ्लू संक्रमण का शक है. बर्ड फ्लू आमतौर पर संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने या अधपका मांस खाने से फैल सकता है.
बच्ची ने खा लिया था कच्चा चिकन
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बच्ची ने 26 फरवरी को कच्चा चिकन खा लिया था. अधिकारियों ने बताया कि बच्ची के परिवार में किसी और को बर्ड फ्लू नहीं हुआ, जिससे यह मामला चौंकाने वाला है. जिला स्वास्थ्य विभाग इस मामले की पूरी तरह से जांच कर रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि बच्ची को संक्रमण कहां से हुआ. हालांकि अब तक किसी और इंसान या मुर्गियों में संक्रमण के संकेत नहीं मिले हैं. डॉक्टर्स को शक है कि बच्ची की मौत फूड पॉइजनिंग की वजह से भी हो सकती है.
फूड पॉइजनिंग पर बात करते हुए जाने माने फिजिशियन डॉ. मोहसिन वली ने बताया, ''गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी हो जाती है. गर्मी खुद बैक्टीरिया को ग्रो करने में मदद करती है. लोग बाहर का तला भुना खाते हैं, इस वजह से गर्मियों में फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है. गर्मियों में इंफेक्शन से बचने के लिए ताजा खाना खाएं, पानी ज्यादा पिएं, मौसमी फल खाने चाहिए. विटामिन सी युक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए. गर्मी के दिनों में बाहर का खाना खाने से बचें. बाहर का खाना कई दिन पुराना हो सकता है, इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है. फ्रिज में रखा खाना भी गर्मियों में सेहत के लिए ठीक नहीं होता है. चाय का सेवन कम से कम करें. बियर पीने से बचे, ये शरीर को डिहाइड्रेट करती है. तेज धूप में बाहर निकलने से बचें. अगर तबीयत ठीक नहीं है तो मास्क लगाकर निकलें.''
कैसे होती है फूड पॉइजनिंग
गर्मी के दिनों में फूड पॉइजनिंग के मामले अधिक सामने आते हैं. फूड प्वॉइजनिंग तब होती है जब हम संक्रमित भोजन खाते हैं. फूड प्वॉइजनिंग स्टेफायलोकोकस या ई. कोलाई बैक्टीरिया की वजह से होता है. फूड पॉइजनिंग के लक्षण खाना खाने के 2 से 6 घंटे के बाद दिखाई देने लगते हैं. मीट और प्याज की चीजें ज्यादा समय तक अच्छी नहीं रहती हैं. वैसे फुड पॉइजनिंग बहुत ही आम है. खास तौर पर गर्मी और बारिश के मौसम में लेकिन अगर समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो इससे जान भी जा सकती है.

डॉक्टर के अनुसार, "अगर 3 दिन से ज्यादा समय से बुखार है, उल्टी है. या फिर मल में खून आ रहा है या फिर वॉमिटिंग में खून आ रहा है तो आपको डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए."
फूड पॉइजनिंग के लक्षण
पेट में दर्द और मरोड़ होना
उल्टी होना
सिरदर्द और चक्कर
पेट फूलना
बुखार के साथ जोड़ों में दर्द
फूड पॉइजनिंग से बचाव कैसे करें
फूड पॉइजनिंग के कारणों में खराब खाना, गंदा पानी, और स्वच्छता की कमी शामिल हैं. फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. खाने से पहले और बाद में हाथ धोना, खाने को सही तापमान पर रखना, और एक्सपायरी डेट चेक करना जरूरी है. साथ ही एक बात का और ध्यान दीजिए जब भी आप खाने का कोई भी पैक्ड आइटम खरीदे तो उसकी एक्सपाइरी डेट जरूर चेक कर ले.
कच्चे मांस, समुद्री भोजन या अंडे को छूने से पहले और बाद में हमेशा अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं.
सभी मांस, पोल्ट्री, सी फूड और अंडे को सही तापमान पर पकाएं. खाने से पहले हमेशा ये जांचें कि खान अच्छी तरह पका है या नहीं.
रॉ मीट और सी फूड को दूसरे फूड आइटम से अलग रखें. मीट और सब्जियों के लिए अलग-अलग कटिंग बोर्ड का इस्तेमाल करें. बर्तनों को बिना धोये दोबारा इस्तेमाल न करें.
बचे हुए खाने को एयरटाइट कंटेनर में रखें और दो दिनों के भीतर खा लें. खाने से पहले खाने को कम से कम 165°F/74°C पर दोबारा गर्म करें.
प्लास्टिक में रखे फूड आइटम्स और खुले में बिकने वाले फूड को खाने से बचें. इसके अलावा संक्रमित और गंदा पानी पीने से भी फूड प्वॉइजनिंग हो सकती है. एक्सपाइरी डेट के खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
फूड पॉइज़निंग से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं.