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Arthritis Treatment in ₹1: एक रुपए में गठिया का इलाज, राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में 7 महीनों में लगभग 6 हजार मरीज उठा चुके हैं लाभ

अब ये बीते दिनों की बात है कि आर्थराइटिस यानी गठिया जैसी बीमारी से सिर्फ बुजुर्ग ही पीड़ित हो, अब इसकी जद में युवा भी आ रहे हैं. यही वजह थी कि लखनऊ के बाद वाराणसी और फिर पूरे यूपी में 8 आयुर्वेद अस्पतालों में अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर बनाया गया है.

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हाइलाइट्स
  • पूर्वांचल का पहला सेंटर

  • ओपीडी से लेकर शोध तक की व्यवस्था

अब ये बीते दिनों की बात है कि आर्थराइटिस यानी गठिया जैसी बीमारी से सिर्फ बुजुर्ग ही पीड़ित हो, अब इसकी जद में युवा भी आ रहे हैं. यही वजह थी कि लखनऊ के बाद वाराणसी और फिर पूरे यूपी में 8 आयुर्वेद अस्पतालों में अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर बनाया गया है. खास बात यह है कि राजकीय अस्पताल होने की वजह से यहां महज एक रुपए में ही मरीज को परामर्श से लेकर उपचार तक खर्च आता है. इस सस्ते और कारगर इलाज मिलने के कारण बीते 7 महीने में 5911 मरीज इलाज करा चुके हैं. राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चौकाघाट में अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर बनाया गया है. यह पूर्वांचल का पहला सेंटर है, जहां ओपीडी से लेकर शोध तक की व्यवस्था है.

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अब गठिया सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं, युवाओं को भी बना रहा शिकार
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से हमेशा से चिकित्सा व्यवस्था को आमजन के लिए सुलभ कराने के मकसद का अब नतीजा दिख रहा है. वाराणसी के राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय के अर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर के नोडल अधिकारी प्रो. मनीष मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में अस्पताल की पूरी ओपीडी में लगभग 350 मरीज आते हैं. इसमें गठिया विभाग की ओपीडी में 50 से 60 मरीज उपचार के लिए आ रहे हैं. 

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वाराणसी में पूर्वांचल का पहला गठिया उपचार केंद्र
गठिया के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चौकाघाट में खास गठिया केंद्र बनाया गया है. यह पूर्वांचल का पहला सेंटर है, जहां पर ओपीडी से लेकर शोध तक की व्यवस्था है. मरीजों को गठियावात से संबंधित दवाइयों की सुविधा निशुल्क है. यहां आधुनिक उपकरणों के साथ भी इलाज किया जा रहा है. सितंबर 2024 से इसकी शुरुआत हुई थी, तब से 30 अप्रैल 2025 तक यहां 5911 मरीज आए. इनमें से 2571 महिला रोगी व 3340 पुरुष रोगी हैं. उन्होंने बताया कि गठिया सेंटर में गठिया रोग से संबंधित 19 विशेष प्रकार की औषधियां निःशुल्क वितरण की जा रही हैं. साथ ही गठिया रोग में विशेष पंचकर्म और अन्य विशेष उपचार जैसे नाड़ी स्वेद, कटिवस्ति, जानुवस्ति, ग्रीवा वस्ति, अग्नि कर्म, विद्ध कर्म, कपिंग, मर्म चिकित्सा द्वारा उपचार किया जा रहा है. 

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हर दिन ओपीडी में 50-60 गठिया रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं
रोगियों को नियमित योगाभ्यास और व्यायाम के साथ-साथ संतुलित एवं हितकर आहार संबंधी सलाह भी दी जा रही है. राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय, लखनऊ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप मे 2021 में सर्वप्रथम गठिया उपचार केन्द्र की स्थापना की गई. उससे जनसामान्य को होने वाले लाभ को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 8 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में इसे प्रारंभ कर दिया है. प्रो. मिश्र ने बताया कि गठिया की बीमारी पहले ज्यादातर लगभग 60 से ज्यादा आयु वालों को होती थी, लेकिन रहन सहन, खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या के कारण गठिया के लक्षण 40 वर्ष के उम्र के आसपास से ही लोगों को परेशान करने लगा है. यहीं कारण है कि इसके मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए आगे इसके और भी वृहद होने की उम्मीद है.

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पढ़िए मरीजों ने क्या-क्या कहा
वहीं बात करें मरीजों की तो 27 वर्ष के किशन गुप्ता ने बताया कि पहले सिर्फ उन्हे चलने-फिरने और बैठने- उठने में ही दिक्कत हुआ करती थी. जानलेवा हड्डी टूटने जैसा दर्द था. महज 15 दिनों के उपचार से सूजन और दर्द में कमी आ गई है. अब तो वाॅकर छोड़कर चलने लगा हूं. पैर तक जमीन पर नहीं पड़ पाता था. इसके अलावा उनकी जांच रिपोर्ट भी नॉर्मल हो गई है. तो वहीं मो. राहिल को तो शहर के एक ऑर्थो सर्जन ने तो दोनों घुटने के आपरेशन के लिए बोल दिया था. क्योंकि फोर्थ स्टेज में उनका गठिया पहुंच गया था. पैर भी टेड़ा हो गया था. महज एक रूपए के पर्चे पर उन्हे आयुर्वेद अस्पताल में भर्ती कर लिया गया है. दवा, इलाज, खाना और बेड मिलता है निशुल्क. उन्होंने बताया कि वे चल तक नहीं पा रहे थें. लेकिन अब सूजन कम हो गई है और चल भी पा रहे हैं. वहीं महिला मरीज किश्वर जहा ने बताया कि गठिया की वजह से चलना भी मुश्किल था. यूरिक एसिड भी बढ़ा था. अंग्रेजी दवा भी काम नहीं की थी, लेकिन आर्युवेद चिकित्सा से उनको काफी आराम पहुंचा है. मरीज प्रिती सिंह ने बताया कि उन्हें 10 महीने से दिक्कत थी. एलोपैथी जब फायदा नहीं हुआ तो आयुर्वेद चिकित्सा से काफी आराम पहुंचा है. सभी डाॅक्टर और स्टाॅफ का दोस्ताना और परिवार जैसा बर्ताव रहता है.