Dehradun IMA 155th passing out parade
Dehradun IMA 155th passing out parade भारतीय सेना में अधिकारी बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए सरकार ने एक ऐतिहासिक और बेहद मानवीय फैसला लिया है. अब मेडिकल कारणों से ट्रेनिंग पूरी करने से पहले बाहर होने वाले कैडेट्स (Officer Cadets) को भी ECHS (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) की सुविधा मिलेगी.
यह कदम से न केवल फौजियों का सम्मान करेगा, बल्कि उन कैडेट्स के जीवन में भी रोशनी की किरण लाता है, जो NDA, OTA या IMA जैसी प्रतिष्ठित अकादमियों में दाखिला लेने के बाद मेडिकल समस्याओं के कारण ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाते.
अब तक वंचित थे कैडेट्स
आमतौर पर ऐसे कैडेट्स, जिन्हें मेडिकल बोर्ड आउट कर दिया जाता है, उन्हें Ex-Servicemen (ESM) का दर्जा नहीं मिलता. इस वजह से अब तक वे ECHS जैसी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित थे. लेकिन सच यह भी है कि इन कैडेट्स में से कई आजीवन विकलांगता का शिकार हो जाते हैं और उनके परिवार पर भारी आर्थिक व भावनात्मक बोझ पड़ता है.
सरकार का बड़ा मानवीय कदम
सरकार ने यह घोषणा करते हुए साफ कर दिया है कि यह सुविधा सिर्फ उन्हीं कैडेट्स को मिलेगी जो ट्रेनिंग के दौरान मेडिकल कारणों से बाहर हुए हैं. इसमें भविष्य में होने वाले ऐसे सभी मामलों को भी शामिल किया जाएगा.
किन शर्तों पर मिलेगी यह सुविधा?
परिवारों पर घटेगा आर्थिक बोझ
सरकार पहले से ही ऐसे कैडेट्स को मासिक एक्स-ग्रेशिया भुगतान देती रही है. इसके अलावा, विकलांगता की डिग्री (20% से 100%) के आधार पर मासिक विकलांगता भत्ता भी दिया जाता है. अब ECHS के तहत कैशलेस और बिना सीमा वाली हेल्थकेयर सुविधाएँ मिलने से इन परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी.
ECHS क्या है और क्यों है खास?
ECHS की शुरुआत अप्रैल 2003 में हुई थी ताकि सेवानिवृत्त सैनिकों और उनके आश्रितों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें. पूरे भारत में 30 रीजनल सेंटर और 448 पॉलीक्लिनिक्स काम कर रहे हैं. लगभग 63 लाख लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं. 3,000 से ज्यादा अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थान इस नेटवर्क से जुड़े हैं.
इस नई घोषणा के बाद यह नेटवर्क अब ट्रेनिंग के दौरान मेडिकल वजह से बाहर होने वाले कैडेट्स के लिए भी जीवनरेखा साबित होगा.
क्यों है यह फैसला खास?
भारत जैसे देश में जहां सेना को सम्मान और आदर्श माना जाता है, वहां यह निर्णय उन परिवारों के लिए एक सुरक्षा कवच है, जिनके बेटे या बेटियां देश की सेवा के सपनों के साथ अकादमी में दाखिल तो होते हैं, लेकिन मेडिकल समस्याओं की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते. अब तक ऐसे परिवार खुद को असुरक्षित और उपेक्षित महसूस करते थे, लेकिन इस कदम से सरकार ने साफ संदेश दिया है कि एक बार सेना से जुड़ गए, तो आप हमेशा देश की ज़िम्मेदारी और सम्मान का हिस्सा रहेंगे.
सरकार का यह फैसला भले ही गिनती के कुछ कैडेट्स को प्रभावित करता हो, लेकिन इसके मानवीय और सामाजिक मायने बेहद बड़े हैं. यह कदम आने वाले समय में और भी कैडेट्स को सुरक्षा की भावना देगा और परिवारों को भरोसा दिलाएगा कि अगर उनके बच्चे देश के लिए समर्पित होकर ट्रेनिंग में उतरे हैं, तो देश भी उनका साथ कभी नहीं छोड़ेगा.