
Raman
Raman देश में कोरोना के समय जिस तरह की मेडिकल इमरजेंसी आई, सबको यही लगा कि देश में मेडिकल सेवा दुरुस्त नहीं है, खातसौर से गांवों में तो सुविधाएं ना के बराबर होने की वजह से कितने ही लोगों को अपनी जिंदगी से हाथ धो दिया. तभी बिहार के 27 साल के रमन ने तय किया कि उन्हें कुछ ऐसा करना है जिससे ग्रामीण भारत में हेल्थ सेक्टर में क्रांति आ जाए, गांव के लोग अच्छे डॉक्टर से इलाज करा पाएं... सोच तो बड़ी थी साथ ही जज्बा भी बड़ा था.. और रमन की इसी सोच ने क्रांति की लौ जला दी है.
गांव में किया हेल्थ इंफ्रा का विकास
रमन जब शहर से गांव गए तो हालात देखकर सबकुछ सही करने की ठान ली, रमन ने ये तय कर लिया कि अब कुछ ऐसा किया जाए जिससे मेट्रो सिटी की तर्ज पर गांव में भी हेल्थ इंफ्रा का विकास हो. रमन ने डिजिटल माध्यम से स्मार्ट क्लिनिक बनाई. इस स्मार्ट क्लिनिक में अब देश के बड़े अस्पतालो के डॉक्टर सीधे इलाज कर रहे हैं. असल में इस बॉक्स में सारी व्यवस्था है जो किसी क्लिनिक में होती है यहां डॉक्टर मरीजों को ऑन लाइन देखते हैं.

चलते फिरते क्लिनिक से जुड़ रहे मेट्रो सीटी के डॉक्टर्स
रमन कहते है आप इसे चलता फिरता क्लिनिक कह सकते है. रमन के मेडिकल बॉक्स को देश के किसी भी कोने में लगया जा सकता है, और लगाया भी जा रहा है. जिससे गांव के आने वाले वक्त में देश के बड़े डॉक्टर्स से राय ले सकेंगे. रमन कहते है अभी देश में 200 से जायदा जगहों पर हमने ये डिजिटल क्लिनिक लगाई है और आने वाले दिनों में करीब 2000 से ज्यादा गांव में इस क्लिनिक का विस्तार करना है.