पिछले कई सालों से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर साल अक्टूबर महीने को ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है. इसके तहत महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूक किया जाता है और इससे बचने के अलग-अलग उपाय बताए जाते हैं. अगर महिलाएं पहले ही ब्रेस्ट कैंसर को लेकर सचेत रहेंगी तो वे आसानी से इसे मात दे सकती हैं.
पहले ही करवा सकते हैं जांच
दरअसल, ब्रेस्ट कैंसर की जांच में किसी भी लक्षण के प्रकट होने से पहले कैंसर के लक्षणों के लिए ब्रेस्ट की जांच करना शामिल है. उदाहरण के लिए, यूनाइटेड स्टेट्स प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स औसत जोखिम वाली 50-79 वर्ष की महिलाओं के लिए हर 2 साल में मैमोग्राम की सिफारिश करती है. इनमें से ज्यादा जोखिम वाली वो महिलाएं हैं जो 30 साल की उम्र में हैं. उन सभी को नियमित जांच करवाने की सलाह दी जाती है.
स्क्रीनिंग में क्या होता है?
डॉक्टर स्क्रीनिंग करने के लिए अलग-अलग टूल्स का उपयोग करते हैं. जैसे मैमोग्राम, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई और बायोप्सी. मैमोग्राम, में कम डोज वाले एक्स-रे का उपयोग किया जाता है. ये ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए एक जरूरी टूल है. मैमोग्राम में ब्रेस्ट की इमेज बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग शामिल होता है.
और किन माध्यमों से होती है स्क्रीनिंग
अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल भी स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है. इसमें ब्रेस्ट टिश्यू को देखने के लिए साउंड वेव का उपयोग किया जाता है. जबकि MRI इमेजिंग के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी और मैग्नेट का उपयोग करता है. वहीं बायोप्सी में विश्लेषण के लिए टिश्यू के सैम्पल्स शामिल होते हैं. इतना ही नहीं बल्कि ब्रेस्ट टोमोसिंथेसिस और मॉलिक्यूलर ब्रेस्ट इमेजिंग जैसे एक्सपेरिमेंटल मेथड पर भी अब काम चल रहा है.
ब्रेस्ट कैंसर के क्या कारण हो सकते हैं?
हालांकि, ब्रेस्ट कैंसर के क्या कारण हैं इसे लेकर अभी कुछ साफ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन अब तक हुई स्टडी के मुताबिक, इसमें कई कारक योगदान करते हैं. जैसे उम्र, रिप्रोडक्टिव हिस्ट्री, जेनेटिक म्यूटेशन, पारिवारिक इतिहास, लाइफस्टाइल, मेडिकल कंडीशन आदि. कुछ लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे मोटापा, अनबैलेंस्ड लाइफस्टाइल, शराब का सेवन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं.
शुरुआती संकेतों और लक्षणों को कैसे पहचानें
ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, जिनमें गांठ, ब्रेस्ट में दर्द, स्किन में बदलाव, निपल में असामान्यताएं या डिस्चार्ज शामिल हैं. हालांकि, कुछ में इनमें से को भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं. इसलिए जरूरी है कि नियमित चेकअप करवाएं. दरअसल, नियमित जांच से जल्दी पता लग सकता है, जिससे अच्छा और पहले ही ट्रीटमेंट मिलने से इसके ठीक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास?
अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के बारे में पता चलता है या थोड़ा सा भी डाउट होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. ऐसे में ब्रेस्ट कैंसर की जांच, इसके लक्षण, शुरुआती संकेत और शीघ्र पता लगाने के महत्व को समझने से लोग इसके बारे में जागरूक हो सकते हैं.
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